मध्य प्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा नदी के किनारे जैविक खेती को बढ़ावा देने की महत्वाकांक्षी योजना विफल हो गई है। 2022 में शुरू की गई इस योजना का मुख्य उद्देश्य नर्मदा के दोनों किनारों पर 5 किलोमीटर की सीमा तक रासायनिक खेती पर रोक लगाना था।
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योजना के तहत लगभग 1 लाख हेक्टेयर भूमि को रासायनिक खेती से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया था। इससे न केवल पर्यावरण का संरक्षण होना था, बल्कि नदी में बढ़ते जल प्रदूषण को भी रोका जा सकता था। हालांकि, समय के साथ यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई और रासायनिक खेती पर प्रभावी रोक नहीं लग सकी।
नर्मदा नदी, जो कुल 1312 किलोमीटर की दूरी तय करती है, उसमें से 1077 किलोमीटर केवल मध्य प्रदेश में बहती है। नदी के किनारे स्थित जबलपुर, डिंडौरी, मंडला, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, खरगोन, बड़वानी, अलीराजपुर और झाबुआ सहित अन्य शहरों में जैविक खेती की अपार संभावनाएं हैं।
वर्तमान में नदी के किनारे बढ़ती आबादी और जंगलों की कटाई पर्यावरण के लिए गंभीर चुनौती बन गई है। इससे मिट्टी का कटाव और जल प्रदूषण जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि योजना को पुनर्जीवित करने और नर्मदा के किनारे जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
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