आरोन तहसीलदार को ज्ञापन सौंपते स्कूल संचालक।
जिले में निजी स्कूलों की RTE की फीस का मामला नहीं थम रहा है। एक तरफ जहां निजी स्कूल फीस प्रतिपूर्ति पर अड़े हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रशासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि पहले स्कूलों को नॉर्म्स के हिसाब से बनाया जाए। जो स्कूल नॉर्म्स के हिसाब से हैं, उनके
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बता दें कि जिले के आरोन ब्लॉक के निजी स्कूल संचालक पहले भी लामबंद होकर आरटीई के तहत लंबित तीन वर्षों के भुगतान की मांग कर चुके हैं। हालांकि, भुगतान की प्रक्रिया पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। निजी स्कूल संचालकों की नाराजगी को देखते हुए सोमवार को जिला पंचायत CEO ने बैठक भी बुलाई थी। इसमें उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि स्कूलों और शिक्षा की गुणवत्ता सुधार ली जाए। नॉर्म्स के हिसाब से स्कूलों का संचालन किया जाए।
मंगलवार को कई निजी संचालकों ने आरोन तहसीलदार को एसडीएम के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि आरटीई के तहत हुए निःशुल्क एडमिशनों का भुगतान पिछले तीन वर्ष से लंबित है। स्कूल संचालकों ने बताया कि समय-समय पर शासन के समस्त नियमों का पालन करते हुए विद्यालय संचालक अपने विद्यालयों का संचालन करते हैं, परंतु जब इन छात्रों की प्रतिपूर्ति की राशि देने का समय आता है, तो प्रशासन नए-नए नियम और कायदे अपने हिसाब से बनाते हैं। संचालकों को प्रताड़ित करते हैं। तीन-तीन साल तक शासन द्वारा फीस प्रतिपूर्ति न किया जाना और 25 प्रतिशत छात्रों की फीस न मिलने से स्कूल प्रबंधन आर्थिक रूप से कमजोर हो जाता है और स्कूल संचालन में बहुत परेशानी आती है।
ज्ञापन में बताया गया कि सभी संचालकों का शासन से यह निवेदन है कि जब आप इन छात्रों का विद्यालय में प्रवेश कराएं, तो केवल उन्हीं विद्यालयों में प्रवेश कराएं जिनकी फीस प्रतिपूर्ति आप समय पर कर सकें, अन्यथा इनका प्रवेश निजी विद्यालयों में न कराया जाए। छात्रों को 3 वर्ष तक अध्यापन करवाने के पश्चात समय पर फीस प्रतिपूर्ति न किया जाना शासन की निजी विद्यालयों के प्रति गलत मानसिकता का घोतक है। भविष्य में इस प्रकार की स्थिति में संचालक इन छात्रों को प्रवेश देने में असमर्थ रहेंगे और पूर्व से प्रवेशित छात्रों को पढ़ाने में भी असमर्थ रहेंगे।
इस दौरान दिए गए ज्ञापन में निजी स्कूल संचालकों ने अपने यहां अध्ययनरत सभी बच्चों की पढाई की व्यवस्था प्रशासनिक स्तर पर किए जाने कीमांग करते हुए कहा है कि वे अगले मंगलवार को अपने स्कूलों की चाबी सौंप देंगे। यही नहीं उन्होंने मानसिक पीड़ा के चलते स्कूल चलाने में असमर्थतता भी जताई है। साथ ही किसी भी निजी स्कूल संचालक के साथ मानसिक पीड़ा के चलते सामने आने वाली विपरीत परिस्थिति के लिए प्रशासन को ही जिम्मेदार ठहराए जाने की बात कही है।
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