निराश्रित पक्षियों को ‘आसरा’ नहीं, घायल कबूतर को इधर से उधर भेजते रहे
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राजधानी में निराश्रित पंछियों का इलाज कराना भी मुश्किल है। ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों देखने को मिला। सड़क किनारे एक कबूतर घायल अवस्था में मिला ताे करोंद निवासी युवक उसे उठाकर इलाज के लिए जहांगीराबाद स्थित पशु आश्रय स्थल लेकर पहुंचा।
लेकिन उसे ये कहते हुए वन विहार जाने की सलाह दी गई कि यहां पक्षियों का इलाज नहीं किया जाता। जब वन विहार पहुंचे तो वहां भी इलाज करने से इनकार कर दिया गया। ऐसे में घायल कबूतर को कोलार में पशु प्रेमी अथर्व के प्राइवेट सेंटर पर रखकर इलाज किया जा रहा है।
पशु अस्पताल में ये परेशानी जहांगीराबाद स्टेट वेटरनरी अस्पताल में भी पक्षियों का इलाज तो किया जाता है। लेकिन जरूरी है कि पक्षी पालतू हो। क्योंकि यहां घायल पक्षियों को भर्ती रखने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में निराश्रित पक्षी को भर्ती रखने की नौबत आई तो देखरेख करने वालों की व्यवस्था नहीं होने से मुश्किल होती है।
जिम्मेदार कह रहे- पता करेंगे हालांकि, इस संबंध में आसरा के जिम्मेदारों से बात की गई तो उनका कहना है कि पालतू पंक्षियों का इलाज किया जाता है। कबूतर लेकर आए थे तो उसका इलाज किया जाना चाहिए था। मना क्यों किया गया ये पता करेंगे? जंगली पक्षी जैसे उल्लू और बगुला आदि का इलाज नहीं किया जाता है।
मांझे से घायल पक्षियों के केस बढ़ेंगे मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाई जाती हैं। इस दौरान चाइनीज मांझा उपयोग किया जाता है। इन मांझों में उलझने से हर साल भारी तादाद में पक्षी घायल होते हैं। पतंग उड़ाने का दौर शुरू हो गया है। जो पूरे जनवरी चलेगा, ऐसे में पक्षियों के घायल होने के मामलों में अचानक बढ़ोतरी हो जाती है।
जानिए… क्या बोले जिम्मेदार
वन विहार में वाइल्ड पक्षियों का ही इलाज ^वन विहार में उन्हीं जानवर और पक्षियों का इलाज होता है जो वाइल्ड कैटेगरी में हैं। कबूतर इस कैटेगरी में नहीं है। उसका इलाज पशु पालन विभाग के अस्पताल में होना चाहिए। डॉ. अजय गुप्ता, पशु चिकित्सक, वन विहार
इलाज से किसने मना किया, जानकारी लेंगे हम घायल और बीमार पक्षियों का इलाज करते हैं। लेकिन, जंगली पक्षियों का इलाज नहीं करते हैं। इलाज करने से किसने मना किया और क्यों किया यह पता करेंगे।- डॉ. सुनीला सरन, प्रभारी, पशु आश्रय स्थल आसरा
हमारे यहां भर्ती करने की सुविधा नहीं स्टेट वेटरनरी हॉस्पिटल में पालतू पक्षियों का इलाज किया जाता है। लेकिन, भर्ती करने की सुविधा नहीं है, इस कारण निराश्रित पक्षियों का इलाज नहीं किया जाता है।- डॉ. अजय रामटेके, डिप्टी डायरेक्टर, पशु पालन विभाग
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