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नीमच के सराफा बाजार में बिकी सब्जी: वर्षों पुरानी अनोखी परंपरा, बिना मोलभाव किए होता का एक दिन कारोबार – Neemuch News

आमतौर पर सर्राफा बाजार में लोग सोने-चांदी के आभूषण खरीदने जाते हैं। हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहार दीपावली पर लोग बढ़-चढकर सोना-चांदी खरीदते हैं। लेकिन प्रदेश के नीमच में एक अनोखी परंपरा है। यहां के लोग इस त्योहार पर सराफा बाजार में सोना-चांदी नहीं, सब

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नीमच में गोवर्धन पूजा के दिन सर्राफा बाजार में सब्जी की मंडी लगती है। यह मंडी साल में एक दिन ही यहां पर लगती है। करीब 125 वर्ष से अधिक पुरानी इस परंपरा का कारण यह है कि उस जमाने मे अन्नकूट के प्रसाद के लिए सब्जी खरीदने लोगों को दूर ना जाना पड़े। इसके लिए एक दिन के लिए सभी सब्जी व्यापारी यहां आते हैं और सोने-चांदी की दुकानों के बाहर सब्जी की दुकान लगाते हैं।

पहले के जमाने में शहर का मुख्य बाजार सर्राफा में ही था। लोगों को सब्जी के लिए कहीं भटकना न पड़े। इसलिए दुकानदारों ने उस जमाने में यह निर्णय लिया था कि अन्नकूट के प्रसाद के लिए लोगों को सराफा बाजार में ही सब्जी मिल जाए। तब से यह परंपरा चली आ रही है और लोग भी बड़े उत्साह के साथ आज भी इस परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं।

नगर के सराफा मार्केट में लगा सब्जी बाजार।

मंदिर देते हैं सब्जी खास बात यह है यहां आज के दिन सभी तरह की सब्जियां आसानी से उपलब्ध होती है। मान्यता है कि भगवान को भोग लगाने के लिए सब्जियों की खरीदारी होती है। इसलिए कोई भी ग्राहक मोलभाव नहीं करता है। वहीं सब्जी विक्रेता भी सब्जियों का वाजिब दाम लगते हैं।

दुकानदार के पास जो सब्जियां बच जाती हैं, उसे वे मंदिरों में अर्पित करके चले जाते हैं। सब्जी विक्रेताओं का मानना है कि आज के दिन उनकी बिक्री अच्छी होती है।

दुकान से सब्जी खरीदता ग्राहक।

दुकान से सब्जी खरीदता ग्राहक।

नहीं करते मोलभाव पड़वा पर सुबह 5 बजे से दोपहर 1 बजे तक सराफा बाजार में सब्जी मंडी खुल रहती है। इस वजह से एक दिन पहले रात से ही शहर से लेकर गांव से आने वाले सब्जी विक्रेता यहां आकर दुकानें लगाने के लिए जगह आरक्षित कर लेते हैं। नगरपालिका भी सफाई कराती है। सब्जी विक्रेता बताते हैं कि साल में एक ही दिन ऐसा आता है जब सब्जी लेने आए ग्राहक भाव नहीं करते हैं। हम भी ज्यादा भाव नहीं लगाते हैं।

बरसों पुरानी इस परंपरा को पीढ़ी-दर-पीढ़ी निभा रहे हैं। इसलिए कमाना उद्देश्य नहीं होकर परंपरा को जीवित रखना चाहते हैं, जिसमें व्यापारी भी सहयोग करते हैं। वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वहन के लिए सब्जी मंडी के संचालन के लिए सराफा कारोबारियों भी अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखते हैं।

सराफा व्यापारियों की दुकानों के बाहर बिकती सब्जी।

सराफा व्यापारियों की दुकानों के बाहर बिकती सब्जी।

इनका कहना

सब्जी खरीद ने आए पारस सोनी ने बताया है कि पिताजी बताते है कि 100 साल पहले से यहां एक दिन के लिए सब्जी मंडी लगती हैं। यहां आस-पास काफी मंदिर हैं। जहां पर अन्नकूट की प्रसाद बनाने के लिए लोगों को सब्जी के लिए भटकना न पड़े। इसके लिए यह परंपरा चली आ रही है। मैं भी आज पत्नी के साथ सब्जी खरीदने आया हूं।

सुबह से बाजार में ग्राहकों की भीड़ पहुंची खरीदारी करने।

सुबह से बाजार में ग्राहकों की भीड़ पहुंची खरीदारी करने।

जगदीश जोशी ने बताया कि गोवर्धन पूजा के दिन ही यहां सब्जी मंडी लगाई जाती है। अन्नकूट के लिए यहां से सब्जी ले जाते हैं। कोई भी सर्राफा व्यापारी दुकानदार किसी को परेशान नहीं करता और हमारी खरीदारी करते हैं, पानी पिलाते हैं। परसों पुरानी यह परंपरा चली आ रही है।

सराफा व्यापारी भी करते हैं सब्जी विक्रेताओं का सपोर्ट।

सराफा व्यापारी भी करते हैं सब्जी विक्रेताओं का सपोर्ट।

व्यापारी करते हैं सपोर्ट

सर्राफा व्यापारी नंदू सराफ ने बताया कि काफी पुरानी परंपरा है। गोवर्धन पूजन वाले दिन यहां सब्जी मंडी लगती है हमारा पूरा सपोर्ट सब्जी व्यापारियों को होता है। सुबह 5:00 से सब्जी मंडी लगा हो जाती हैं। पहले मुख्य बाजार यही हुआ करता था। यहां सब तरह का व्यापार व्यवसाय होता था।

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