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नेशनल प्रतियोगिता में सारण के आनंद को मिला ब्रॉन्ज मेडल, छपरा जंक्शन पर लोगों ने फूल माला पहनाकर किया स्वागत

नेशनल प्रतियोगिता में सारण के आनंद को मिला ब्रॉन्ज मेडल, छपरा जंक्शन पर लोगों ने फूल माला पहनाकर किया स्वागत

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सारण के लाल आनंद सिंह नेशनल प्रतियोगिता में बिहार का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, उन्होंने कई राज्यों के खिलाड़ियों को पीछे छोड़ते हुए बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन कुछ शारीरिक परेशानी होने से उन्हें ब्रॉन्ज मेडल से ही…और पढ़ें

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प्रतीकात्मक तस्वीर

हाइलाइट्स

  • आनंद सिंह ने नेशनल प्रतियोगिता में ब्रॉन्ज मेडल जीता
  • छपरा में आनंद का फूल माला पहनाकर स्वागत किया गया
  • आनंद सिंह को खेल कोटा से सचिवालय में नौकरी मिली है

छपरा:- सारण के लाल आनंद सिंह ने नेशनल लेवल पर बिहार का मान बढ़ाने का काम किया है. बता दें, कि आनंद ऑल इंडिया सिविल सर्विसेज चंडीगढ़ में 19 से 21 के बीच आयोजित प्रतियोगिता में बिहार का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. जिसमें बेहतर प्रदर्शन करते हुए कई राज्य के खिलाड़ियों को पीछे छोड़ते हुए वे आगे बढ़ते गए, लेकिन उन्हें कुछ अचानक शारीरिक दिक्कत हो गई. जिसकी वजह से उन्हें ब्रॉन्ज मेडल से ही सब्र करना पड़ा. उनकी जीत को लेकर जिले में खुशी की लहर है. उनके छपरा जंक्शन पर पहुंचते ही लोगों ने फूल माला पहना कर और मिठाई खिलाकर जोरदार स्वागत किया.

खेल कोटा से मिल चुकी है सचिवालय में नौकरी
आपको बता दें, कि आनंद सिंह परसा थाना क्षेत्र के चकसहबाज गांव के निवासी व चंद्रशेखर सिंह के पुत्र व सुरेश सिंह के भतीजे हैं. आनंद सिंह जैवलिन थ्रो के एक अच्छे खिलाड़ी हैं. वह कई बार बिहार का प्रतिनिधित्व करते हुए मेडल दिला चुके हैं. बता दें, कि आनंद सिंह को खेल कोटा से सचिवालय में नौकरी भी मिल चुकी है. उनके पिता एक किसान हैं, जबकि चाचा शिक्षक है. आनंद को आगे बढ़ाने में पिता और चाचा दोनों लोगों का भरपूर सहयोग रहा है. ऐसे में एक बार फिर पिता और चाचा की उम्मीद पर खरा उतरते हुए उन्होंने मेडल दिलाने में कामयाबी हासिल की है.

जैवलिन थ्रो है एक अच्छा गेम
लोकल 18 से आनंद सिंह ने बताया, कि सालों का संघर्ष और लोगों का प्यार रंग लाया है. वे बताते हैं, कि पहले भी बिहार को कई बार गोल्ड मेडल दिला चुका हूं. जिसकी बदौलत मुझे खेलकोटा से सचिवालय में नौकरी मिली है. वे कहते हैं, कि घर लौटने पर आज लोगों के द्वारा जो स्वागत किया गया है, उससे मुझे काफी खुशी हुई है, और उत्साह वर्धन हुआ है. आगे वे कहते हैं, आने वाले दिन में बिहार को स्वर्ण मेडल दिलाने का काम करूंगा. अचानक शारीरिक परेशानी की वजह से ऑल इंडिया में तीसरा स्थान हासिल कर पाया हूं. आगे वे बताते हैं, कि मेरे पिताजी एक छोटे से किसान हैं. जबकि मेरे चाचा एक शिक्षक हैं. जिनके द्वारा भरपूर मदद की जाती रही है, और उन्हीं के बदौलत आज मैं यहां तक पहुंचा हूं. आज के युवाओं को उन्होंने कहा कि जैवलिन थ्रो एक अच्छा खेल है. जिसे लोग भाला फेंक के नाम से भी जानते हैं. इस खेल की भी तैयारी करके अपने करियर को सेट कर सकते हैं.

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