दुष्कर्मी आसाराम का बेटा नारायण साई इंदौर फैमिली कोर्ट के आदेश के बाद भी पत्नी को करीब 53 लाख रुपए की भरण पोषण राशि नहीं दे रहा है। उनकी पत्नी जानकी जैसी 1200 से अधिक महिलाओं को कोर्ट के आदेश के बाद भी हक के पैसों का इंतजार है। इंदौर फैमिली कोर्ट में
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पैसों की वसूली के लिए अलग से केस (बजावरी) लगाना पड़ रहे हैं। कई केस में पति गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद भी पैसे नहीं दे रहे हैं। दो साल में ऐसे 70 से अधिक पतियों को कोर्ट जेल भी भेज चुकी है। पैसे नहीं मिलने से महिलाओं का गुजर-बसर कठिन हो रहा है।
कुछ को तो 10-10 साल से पैसे मिलने का इंतजार है। कोई अपाहिज होने के बावजूद कोर्ट के चक्कर लगाने को मजबूर हैं, तो किसी का बच्चा दिव्यांग है। कोई अपने बच्चों की स्कूल फीस जमा नहीं कर पा रही है।
केसों में समझें पत्नियों की परेशानियां…
2018 से हर माह देने थे 50 हजार, कुछ नहीं दिया फैमिली कोर्ट में भरण पोषण नहीं देने के मामले में सबसे बड़ा केस आसाराम के बेटे नारायण साई का है। कोर्ट ने 2018 में पत्नी जानकी को हर माह 50 हजार रु. देने के आदेश दिए थे। अब तक कोई पैसा नहीं दिया। अन्य खर्च जोड़कर करीब 53 लाख बकाया है। कोर्ट ने संपत्ति कुर्क कर पैसा देने के आदेश दिए हैं।
पत्नी की मौत, पिता ने लड़ा केस, राहत नहीं पति से विवाद के चलते महिला ने 2018 में भरण पोषण का केस लगाया। केस के विचारण के दौरान 2021 में महिला की मौत हो गई। बच्चों को हक दिलाने नाना ने केस लड़ा। 2022 में कोर्ट ने बच्चों के लिए 4 हजार रुपए महीना देने आदेश दिए, लेकिन अब तक बच्चों को कोई पैसा नहीं मिला है।
14 साल के दिव्यांग बच्चे के साथ कोर्ट आती है मां भरण पोषण के लिए 7 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रही मां हर सुनवाई पर 14 साल के दिव्यांग बेटे को लेकर कोर्ट आती है। 2008 में तेलंगाना के युवक से शादी की थी। 2011 में दिव्यांग बेटे को जन्म दिया, इसलिए पति ने साथ छोड़ दिया। 2018 में कोर्ट ने 6 हजार रुपए महीना देने के आदेश दिए थे।
14 साल पहले दिए आदेश का पालन नहीं
2007 में इंदौर में शादी हुई, दो बच्चे हैं। 2010 में दोनों अलग हो गए। 2011 में कोर्ट ने 11 हजार रुपए मासिक भरण पोषण देने के आदेश दिए। 14 साल में पति ने कोई राशि नहीं दी। पैसा ना देना पड़े इसलिए पति ने कोर्ट में तर्क दिया वो संन्यासी हो गया और कुछ कमाता नहीं है। अब तक 15 लाख बकाया हो गए हैं।
पैसा न देना पड़े आय छुपाते हैं संपत्ति से बेदखल हो जाते हैं • 50% से अधिक मामलों में कोर्ट द्वारा जारी वारंट समय सीमा में तामिल ही नहीं हो पाते। • पति कोर्ट में दिए पते पर नहीं रहते हैं, घर बदल लेते हैं। कई मामलों में शहर छोड़कर चले गए। • पत्नी को पैसे नहीं देने के लिए पति अपनी आय छिपाते हैं या कोर्ट में झूठी जानकारी देते हैं। • पति के परिजन संपत्ति से बेदखल करने का दिखावा करते हैं, ताकि पत्नी हिस्सा ना मांग सके। • कुछ केस में पति, पत्नी को साथ में रखना चाहते हैं, लेकिन वह ससुराल नहीं आती। • कई बार महिला अन्य कारण से अलग हो जाती है और भरण पोषण मांगती है। इसमें ऐसे मामले भी आए, जिनमें पति जेल गए पर पैसे नहीं दिए। • कई बार अलग रहने के दौरान पत्नी बच्चों को पति से मिलने नहीं देती हैं, भरण पोषण मांगती है। • महिलाएं पति पर माता-पिता से अलग रहने का दबाव बनाती हैं। ऐसे केसों में भी पति पैसे नहीं देते।
राशि न दें तो छह माह की जेल के आदेश भी किए जा सकते हैं कोर्ट के आदेश के बाद भी 70% से अधिक केसों में महिलाओं को भरण पोषण केस में राशि नहीं दी जा रही रहे हैं। ऐसे केसों में लगातार इजाफा हो रहा है। अब जजों को ऐसे केस जिनमें पति नौकरीपेशा (सरकारी या प्राइवेट जॉब) हैं, उनके वेतन से ही भरण पोषण राशि काटकर पत्नियों के बैंक खातों में ट्रांसफर करने के आदेश करना चाहिए। जब तक पति हर महीने पैसे ना दे उसके लगाए अन्य केसों की सुनवाई रोकना चाहिए। 6 माह तक की जेल भी की जा सकती है।
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