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ये आपबीती एक आदिवासी युवक की है, जो सीएम डॉ. मोहन यादव के जनता दरबार में फरियाद लेकर पहुंचा था। सीएम से मुलाकात तो नहीं हो पाई, लेकिन अफसरों ने आवेदन लेकर लौटा दिया। ठीक उसी तरह से जैसे पिछले कई साल से लौटा रहे हैं। अब तक कार्रवाई तो दूर एक एफआईआर तक नहीं लिखी जा सकी है।
6 जनवरी को सीएम ने जनता दरबार बुलाया था। सीएम से आखिरी उम्मीद लेकर ये युवक भोपाल पहुंचा। जनता दरबार 6 जनवरी को नहीं लग सका, लेकिन युवक के आवेदन पर भोपाल से लेकर उसके जिले सिंगरौली तक अफसरों के मोबाइल फोन बजने लगे।
युवक कार्रवाई के लिए जगह-जगह अफसरों के चक्कर लगा रहा है।
क्या है पूरी कहानी, पढ़िए ये रिपोर्ट-
सिंगरौली के छोटे से गांव का रहने वाला गरीब आदिवासी युवक पिछले 8 साल से इंसाफ की उम्मीद में अफसरों के चक्कर काट रहा है। उसने बताया कि गांव के दबंगों के चलते जीना मुहाल है। गांव के सरपंच और दबंग के गुंर्गों के डर से मैंने अपना ही गांव छोड़ दिया है।
युवक ने बताया कि हमारा छोटा सा गांव है, आरोपी भी घर के पास ही रहते हैं। पड़ोस में रहने वाले श्याम नारायण पनिका ने 2017 में गर्मी के मौसम में पत्नी के साथ घर में घुसकर दुष्कर्म किया। मैं कीर्तन में गया था, लौटा तो पत्नी ने रोते हुए श्याम नारायण की करतूत बताई।
सरपंच कहता था-पत्नी की बदनामी मत करो इसी राजेंद्र सिंह के साथ काशीराम, राजूराम परमाराम रहते हैं, जो उनके गुंडे हैं। राजेंद्र सिंह ने परिवार पर दबाव बनाया कि बार-बार पुलिस के पास जाकर पत्नी की बदनामी मत करो। हम पंचायत कर उसे सजा देंगे। तुम्हें न्याय दिलाएंगे। पुलिस सुन नहीं रही थी। सरपंच न्याय देगा, इसकी आस में हम चुप रहे, कर भी क्या सकते थे? लेकिन वे लोग तो बहला रहे थे।
दुष्कर्म करने वाले को घूमते देख खून जल गया वे सब एक थे, सब मिले हुए थे। हमें कई महीने बहलाया, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। इस बीच मई 2018 में दुष्कर्म करने वाला श्याम नारायण गांव वापस आ गया और खुला घूमने लगा…मेरा खून जल गया। मैंने ठान लिया कि इसे पकड़वाना ही है।
अपना गांव छोड़कर रिश्तेदारों के यहां रहा मारपीट के बाद गांव छोड़ा तो पहले उत्तरप्रदेश में रिश्तेदारों के यहां रहा, फिर सतना में काम किया। जो कुछ कमाता हूं, घर के खाते में डलवा देता हूं। बाकी सब शिकायत करने में खर्च हो रहा है। जहां उम्मीद होती है, वहां जाता हूं। अब तक उनका गिरफ्तार होना तो दूर एफआईआर तक नहीं हुई। दबंगों ने धमकी दी है कि अबकी बार गांव गया तो मारकर फेंक देंगे…अब मैं कहां जाऊं।
पुलिस ने आवेदन लिया, लेकिन एफआईआर नहीं युवक ने आवेदनों के ढेर में से एक कागज निकाला और दिखाया। कहा- देखिए साहब…24 अक्टूबर 2018 को बगदरा चौकी में शिकायत की। तब सालेंद्र सिंह दारोगा थे। देखिए सील लगी हुई है। मैं पत्नी के साथ शिकायत करने पहुंचा था। दुष्कर्म की शिकायत की तो पुलिस ने आवेदन ले लिया, लेकिन न तो पत्नी के बयान लिए न ही रिपोर्ट ही लिखी।
गांव में दौड़ता रहा लेकिन किसी ने मदद नहीं की 5 अगस्त 2019 को काशीराम, राजूराम, परमाराम ने 10-15 साथियों के साथ घर पर हमला कर दिया। मुझे घर से निकाला और लात-घूंसों और लाठियों से पिटाई शुरू कर दी। अपनी जान बचाने के लिए मैं गांव में दौड़ता रहा, लेकिन किसी ने मदद नहीं की।
इसके बाद मुझे ही चौकी ले गए कि चलो समझौता कर लो नहीं तो बच नहीं पाओगे। चौकी में मेरी बात किसी ने नहीं सुनी। मुझे कई चोटें थीं, बांयी आंख के ऊपर सूज गया था, दांए हाथ पर चोटें थी, अंदरूनी चोटें हैं, निजी अंगों पर उन्होंने मारा था। वह तो बताने लायक भी नहीं है। पूरे शरीर पर कई घाव थे, लेकिन मेडिकल तक नहीं कराया पुलिस वालों ने…मुझे ही चौकी में बैठा लिया।
युवक ने बताया कि धमकी से डरकर मैं गांव से भाग गया लेकिन कमाई कुछ थी नहीं, रहने का ठिकाना भी नहीं, घर में बूढे मां-बाप थे। परिवार गांव में ही रह गया। मेरा वनवास शुरू हो गया था। सरपंच राजेंद्र सिंह के पास चारचक्का गाड़ी है, गुंडे हैं, मेरे पास साइकिल भी नहीं है।
आवेदनों से बैग भर चुका पर इंसाफ नहीं मिला युवक ने बताया कि जब थाने से उसके साथ इंसाफ नहीं हुआ तो उसने एसपी, आईजी, पुलिस मुख्यालय, गृह विभाग से लेकर सीएम हेल्पलाइन, मानव अधिकार आयोग जैसे तमाम फोरम पर शिकायत की। अब तक 50 शिकायतें कर चुका है। इसके बाद की तो अब गिनती भी नहीं करता।
शिकायतों का पुलिंदा इतना बड़ा हो चुका है कि बैग भर जाता है। बैग में एक जोड़ी कपड़े और तमाम शिकायतें लेकर यह युवक पिछले 10 दिनों से राजधानी की सड़कों पर भटक रहा है। रानी कमलापति स्टेशन के रैनबसेरे में सोता है, तो गुरुद्वारे में भोजन करता है। जब उसे मालूम हुआ कि प्रदेश के मुख्यमंत्री जनता दरबार लगाने वाले हैं तो वह रानी कमलापति स्टेशन से पैदल–पैदल सीएम हाउस तक पहुंच गया।
6 जनवरी को सीएम हाउस पहुंचने से लेकर शाम को वापसी तक दैनिक भास्कर रिपोर्टर पीड़ित के साथ मौजूद रहा और इन सात घंटों में बार–बार सिस्टम की ओर से उसे खारिज किए जाने अविश्वास किए जाने के दर्द को करीब से समझा।
युवक सीएम के जनता दरबार के लिए पहुंचा तो अफसरों ने आवेदन लेकर कार्रवाई शुरू की।
दोपहर एक बजे- जिले से आया काॅल इस बीच सीएम हाउस से आवेदन फाॅरवर्ड होने का असर शुरू हो चुका था। पीड़ित के मोबाइल पर कॉल आया। जिले से एसडीओपी आशीष जैन ने अपने रीडर के फोन से काॅल किया। बातचीत विन्रम लहजे से शुरु हुई।
दोनों के बीच की बातचीत पढ़िए…
एसडीओपी– तुमने बार–बार मारपीट की शिकायत की है, पत्नी से दुष्कर्म गंभीर मामला है, इसे क्यों नहीं उठाया?
युवक- हमने लिखा है साहब! उसी में लिखा है।
एसडीओपी– मैं तुम्हारा ही आवेदन पढ़ रहा हूं, तुम्हें पढ़कर सुना देता हूं…(पढ़ते हैं) इसमें नीचे आखिर में एक लाइन लिखी है। बताओ बड़ी शिकायत तो यही है ना कि तुम्हारी पत्नी के साथ गलत हुआ, इसे उठाना था ना…।
युवक – साहब! हमें कुछ समझ नहीं आता, आवेदन लिखवाते हैं, कई–कई बार लिखवाए हैं, पत्नी से संबंधित शिकायत भी की है।
एसडीओपी– कहां किए हो, बार–बार पिटाई–पिटाई की शिकायत ही तो की है?
युवक – सर, मैं अभी कागज ढूंढता हूं, (ढेर में से कागज तलाश कर निकालता है ) सर, ये है 24 अक्टूबर 2018 का आवेदन है, सील लगी है, लेकिन एफआईआर नहीं हुई।
एसडीओपी–तुम शिकायत करते भटकते हो। बयान देने नहीं आते…फिर कार्रवाई कैसे होगी?
युवक– हम बयान देने एसडीओपी ऑफिस आए थे… सर आपको भेज रहा हूं, जुलाई 2023 को ऑफिस जाकर बयान दिए थे।
एसडीओपी ने कहा-मेरे सामने एक बार भी नहीं आया चितरंगी एसडीओपी आशीष जैन से भास्कर रिपोर्टर ने बात की तो उन्होंने कहा कि यह व्यक्ति 2019 से शिकायतें कर रहा है। यह दो शिकायत करता है। एक मारपीट की, उसी में दूसरी शिकायत बताता है कि मेरी पत्नी के साथ दुष्कर्म हुआ था।
इसका अपने चाचा के साथ जमीनी विवाद भी चल रहा है। मैंने अगस्त 2023 में ज्वाइन किया है, लेकिन यह एक बार भी मेरे सामने नहीं आया। यह बयान देने को भी उपस्थित नहीं हुआ।(रिपोर्टर द्वारा पहले हो चुके बयान का तथ्य याद दिलाने पर कहा, ) – वह पुराने एसडीओपी के सामने बयान दिए थे।
एसडीओपी ने कहा कि उस समय की एमएलसी नहीं है, इसमें यही तकनीकी दिक्कत आ रही है। इस मामले में दोनों पक्षों को बांड ओवर किया गया था, विवाद में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस बांड ओवर कर सकती है, वह किया गया है। मैंने इससे कल भी बात की। बयान के लिए बुलाया, लेकिन इसने मना कर दिया।
एफआईआर दर्ज न करने वाले पर भी एफआईआर संभव सीनियर एडवोकेट यावर खान से हमने केस के तकनीकी पहलू पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि दुष्कर्म यानी आईपीसी की धारा 376 एक संज्ञेय अपराध है, इसकी सूचना प्राप्त होने के छह साल बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं किया जाना 166 ए आईपीसी का अपराध है।
इसमें प्रावधान है कि यदि कोई लोकसेवक दुष्कर्म की सूचना प्राप्त होने पर भी भी एफआईआर दर्ज नहीं करता तो उसके खिलाफ भी 166 ए आईपीसी का अपराध दर्ज होगा।
भारत सरकार के 2020 के सकुर्लर में भी लिखा है कि दुष्कर्म के अपराध में सबसे पहले मेडिकल और 164 के बयान होंगे और एफआईआर दर्ज किया जाएगा।
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