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‘पदोन्नति में आरक्षण’ विवाद सुलझाने का सरकारी प्रयास: सुप्रीम कोर्ट से मामले की शीघ्र सुनवाई और फैसला सुनाने की गुहार लगाएगी सरकार – Bhopal News

डॉ. मोहन सरकार प्रदेश के 7.50 लाख कर्मचारियों के पक्ष में बड़ा कदम उठाने जा रही है। सरकार सुप्रीम कोर्ट से ‘पदोन्नति में आरक्षण’ प्रकरण में जल्द सुनवाई करने और फैसला सुनाने की गुहार लगाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है। उम्मीद की जा र

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वरिष्ठ पद से रिटायर होना किसी भी कर्मचारी का सपना होता है। ये स्टेटस सिंबल का मामला है, पर मध्य प्रदेश के 1 लाख कर्मचारियों से यह मौका भी छीन लिया गया। कर्मचारियों को 8 साल 7 महीने से पदोन्नति का इंतजार है। आरक्षित वर्ग और अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी मुख्यमंत्री, जीएडी मंत्री व जिम्मेदार अधिकारियों से मिलकर पदोन्नति शुरू करने की मांग कर चुके हैं, पर इससे पहले सरकार ने ध्यान नहीं दिया। अब सरकार के स्तर पर सुगबुगाहट शुरू हुई है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण मामले की पहली सुनवाई में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले पर स्टेटस-को (यथास्थिति) रखने के निर्देश दिए थे। तभी से प्रदेश में पदोन्नति नहीं हो रही है और हर महीने औसत 2000 कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं।

हाईकोर्ट ने समाप्त कर दिया नियम

मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 में प्रदेश में अनुसूचित जाति, जनजाति के अधिकारियों-कर्मचारियों को पदोन्नति में भी आरक्षण देने का प्रावधान था। इसके खिलाफ अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि इस नियम से उनके हित प्रभावित हो रहे हैं। वर्ग विशेष के उनसे जूनियर कर्मचारी सीनियर पदों पर बैठ रहे हैं। हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को फैसला सुनाते हुए 2002 के इस नियम की पदोन्नति में आरक्षण देने वाली कंडिका को समाप्त कर दिया। निर्णय का आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने विरोध किया।

सरकार ने पूरा नियम समाप्त मान लिया

हाईकोर्ट ने मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 के पदोन्नति में आरक्षण देने वाली कंडिका को समाप्त किया और सरकार ने पूरे नियम को ही समाप्त मानकर पदोन्नति पर पूरी तरह से रोक लगा दी। अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने बाद में हाईकोर्ट की विभिन्न बेंच में याचिका लगाईं। जिनमें कोर्ट ने पदोन्नति देने के आदेश दिए। सरकार ने इनमें से कई आदेशों का भी पालन नहीं किया। आज भी कर्मचारी संगठन कह रहे हैं कि हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण का नियम समाप्त किया है न की पदोन्नति का। फिर अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों को पदोन्नति देने में क्या दिक्कत है।

सरकार ही चली गई सुप्रीम कोर्ट

मध्य प्रदेश में 2018 में विधानसभा चुनाव होने थे। इससे पहले अजाक्स (अनुसूचित जाति,जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ) ने भोपाल में सम्मेलन किया, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहुंचे और पदोन्नति में आरक्षण खत्म न करने का भरोसा दिलाया। इस प्रकरण में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ही सुप्रीम कोर्ट चली गई और 12 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने पहली सुनवाई करते हुए प्रकरण को यथास्थिति रखने के निर्देश दिए।

समिति की रिपोर्ट का करेंगे परीक्षण

राज्य सरकार मामले का फैसला आने का इंतजार कर रही है। इसके बाद नए नियम बनाने पर विचार शुरू होगा। इसके लिए शिवराज सरकार में गृहमंत्री रहे डॉ.नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट का परीक्षण किया जाएगा। कैबिनेट की इस उप समिति ने सभी प्रभावित पक्षों से चर्चा कर रिपोर्ट तैयार की है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज गौरकेला से नए नियम का प्रारूप तैयार कराया। हालांकि अनारक्षित कर्मचारियों ने आपत्ति भी लगाई है। उनका कहना था कि ये नियम पुराने नियमों को उलटफेर कर बनाए हैं, इनमें हाईकोर्ट के फैसले का पालन नहीं किया गया है।

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