स्वामी अड़गड़ानंद जी द्वारा लिखित यथार्थ गीता को छतरपुर की दाे दृष्टि बाधित दिव्यांग छात्राएं ब्रेल लिपि में लिख रही हैं। यह ग्रंथ पहली बार ब्रेल लिपि में लिखा जा रहा है। छात्राएं सूरदास संत नारायण मुनि के प्रेरित करने पर ग्रंथ को ब्रेल लिपि में लिख रह
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इसके लिए उन्होंने ब्रेल लिपि के दो-दो हजार पेज लिखे हैं। दोनों छात्राएं ब्रेल लिपि के दो सेट तैयार कर रही हैं। अक्टूबर 2025 तक छात्राएं पूरा ग्रंथ ब्रेल लिपि में लिख लेंगी। स्वामी अड़गड़ानंद ने पवित्र ग्रंथ यथार्थ गीता में सभी 700 श्लोकों काे सरल भाषा में यथार्थ रूप में अनुवादित किया है। कहा जाता है कि इसमें किसी दार्शनिक या सांप्रदायिक भेदभाव का प्रभाव नहीं है।
सरल और स्पष्ट भाषाशैली के कारण यह लोकप्रिय ग्रंथ 29 भाषाओं में अनुवादित हो चुका है, लेकिन अब तक यह ग्रंथ ब्रेल लिपि में उपलब्ध नहीं है। पहली बार छतरपुर की दिव्यांग छात्राएं मोहनी और पार्वती पटेल ही इस ब्रेल लिपि में लिख रही हैं। दोनों छात्राएं अपने शिक्षक अरविंद पटेल के मार्गदर्शन में ग्रंथ को ब्रेल लिपि में लिख रही हैं।
सूरदास नारायण मुनि से मिली प्रेरणा
निर्वाना फाउंडेशन के प्रमुख संजय सिंह बताते हैं कि ब्रेल लिपि में ग्रंथ लिखने की प्रेरणा सूरदास नारायण मुनि से मिली। संत नारायण मुनि, स्वामी अड़गड़ानंद महाराज के ही शिष्य हैं। वे एक साल पहले निर्वाना फाउंडेशन की ब्रेल कक्षा में आए थे। मुनि ब्रेल लिपि में निपुण हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि वे यथार्थ गीता पुस्तक को खुद पढ़ना चाहते हैं लेकिन ब्रेल लिपि में उपलब्ध न होने के कारण वे पढ़ नहीं पा रहे हैं।
यहीं से यथार्थ गीता को ब्रेल लिपि में लिखने का विचार आया। मुनि की प्रेरणा से दोनों छात्राएं एक साथ दो सेट तैयार कर रही हैं। संजय सिंह ने बताया कि एक पुस्तक स्वामी अड़गड़ानंद के आश्रम में भेंट करेंगे। दूसरा सेट निर्वाना में ही रखा जाएगा।
4 साल में ब्रेल लिपि में एक्सपर्ट हुईं छात्राएं
पार्वती पटेल छतरपुर जिले के झमटुली गांव और मोहनी अनुरागी बारीगढ़ की रहने वाली हैं। दोनों को वर्ष 2019 में निर्वाना फाउंडेशन छतरपुर लाया गया था। यहीं दोनों को ब्रेल लिपि का प्रशिक्षण मिला। अब वे ब्रेल लिपि पढ़ने और लिखने में पूरी तरह से एक्सपर्ट हैं। प्रशिक्षक यथार्थ गीता को पढ़ते हैं और यह दोनों छात्राएं एक साथ उसे ब्रेल लिपि में लिख रही हैं।
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