मऊगंज, मैहर और पांढुर्णा को जिला बने एक साल हो चुका है। यहां अभी तक प्रशासनिक सेटअप नहीं है।
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ये कहना है पांढुर्णा के रहने वाले अर्जुन का, जो गर्भवती पत्नी का मेडिकल चेकअप कराने के लिए अस्पताल पहुंचा था। ये केवल एक समस्या नहीं है। पांढुर्णा को जिला बने एक साल 2 महीने बीत चुके हैं, मगर यहां न तो प्रशासनिक सेटअप पूरा हुआ है और न ही लोगों की समस्याएं दूर हुई हैं।
यही हाल मैहर जिले का भी है। मऊगंज के लोग तो अभी भी अपने काम के लिए 65 किलोमीटर दूर रीवा जाने को मजबूर है। दैनिक भास्कर ने पिछले साल बने तीन जिलों के हाल देखें तो पता चला कि एक साल बाद भी पांढुर्णा के लोग छिंदवाड़ा, मैहर के लोग सतना और मऊगंज के लोग रीवा जिले पर निर्भर हैं।
सबसे पहले पांढुर्णा जिले की बात…
कलेक्टर समेत चार अधिकारी चला रहे जिला पांढुर्णा में कलेक्टर अजयदेव शर्मा समेत एसपी सुंदर सिंह कनेश, महिला बाल विकास अधिकारी उषा पंदरे और पशुपालन अधिकारी डॉ. केतन पांडे ही बैठते हैं। कलेक्ट्रेट मंडी कार्यालय के ऊपर बने छह कमरों में चल रहा है।
एक कमरे में कलेक्टर का दफ्तर है तो दूसरे में उनके रीडर और तीसरे कमरे में अपर कलेक्टर नीलमणि अग्निहोत्री बैठते हैं। बाकी दो कमरों में कर्मचारी काम करते हैं। जिले का रिकॉर्ड रूम भी अब तक छिंदवाड़ा में ही है। एक निजी बंगले में कलेक्टर निवास बनाया गया है तो एसपी का बंगला स्वास्थ्य विभाग के क्वार्टर में है।
थाने के मैदान में एसपी ऑफिस और पुलिस लाइन पांढुर्णा थाने के सामने खाली पड़े मैदान में छोटी सी इमारत बनाकर एसपी ऑफिस तैयार कर लिया गया है। थाने के परिसर में पुलिस लाइन बनाई गई है। नाम न बताने की शर्त पर एक पुलिसकर्मी ने कहा- एक साल पहले थाने का जो स्टाफ था, उतना ही है।
पांढुर्णा में केवल एक थाना है। सौंसर में एक थाना है। नंदवारी में नया थाना बनाने का प्रस्ताव है, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है। पुलिसकर्मियों का वेतन अभी भी छिंदवाड़ा ट्रैजरी से आता है। आरक्षकों के बेल्ट नंबर तक छिंदवाड़ा के हैं। पुलिसकर्मी कहते हैं कि जब जिला का अपना कुछ नहीं है तो फिर जिला कैसा?
सिविल अस्पताल नहीं बन सका जिला अस्पताल
जिला बनने से लोगों को भी वैसा कोई फायदा नहीं मिला है जैसी उम्मीद की जा रही थी। लोग इलाज के लिए अभी भी महाराष्ट्र और नागपुर जाते हैं। यहां एक सिविल अस्पताल है जिसके बोर्ड से अस्पताल का नाम हटा दिया गया है। इसे ही जिला अस्पताल बनाना है।
सिविल अस्पताल के डॉक्टर नीलेश धारसे बताते हैं कि ये भी सिविल अस्पताल ही है। सारी सुविधाएं भी वैसी ही है। सिविल अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 300 पेशेंट्स आते हैं।अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ, एमडी, शिशु रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ और महिला रोग विशेषज्ञ के रूप में एक-एक डॉक्टर हैं।
छिंदवाड़ा सीएमएचओ ही सारा कामकाज देख रहे
जिला बनने के बाद यहां स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अभी तक सीएमएचओ की नियुक्ति नहीं की गई है। सिविल अस्पताल के डॉक्टर विनीत श्रीवास्तव बताते हैं कि यदि यह जिला अस्पताल बनता है तो यहां सीएमएचओ और सिविल सर्जन की नियुक्ति होगी। अस्पताल में दवाओं का स्टोरेज से लेकर सारी व्यवस्थाएं सीएमएचओ के जिम्मे होगी।
अभी सारा कामकाज छिंदवाड़ा से ही चलता है। सीएमएचओ भी छिंदवाड़ा में ही बैठते हैं।
पांढुर्णा और छिंदवाड़ा के बीच झूलते रहते हैं सौंसर के लोग
सौंसर पांढुर्णा और छिंदवाड़ा के बीच पड़ता है। ये अब पांढुर्णा जिले में शामिल हो गया है। सौंसर से छिंदवाड़ा की दूरी 55 किमी और पांढुर्णा की दूरी 41 किमी है। पांढुर्णा के जिला बनने से सौंसर के लोग सबसे ज्यादा परेशान है। यहां रहने वाले पंकज ठाकरे बताते हैं कि सौंसर, पांढुर्णा से बड़ा है।
यह बहुत पुरानी तहसील है। पांढुर्णा तो बाद में तहसील बनी। हमने मांग की थी कि सौंसर को जिला घोषित किया जाए, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अचानक पांढुर्णा के नाम की घोषणा की। लोगों ने सोचा कि जिला बना है तो विकास होगा, लेकिन विकास में तेजी आना तो दूर और भ्रम की स्थिति बन गई है।
वे कहते हैं कि कौन से काम के लिए पांढुर्णा जाना है और कौन सा काम छिंदवाड़ा से हो रहा है यह पता ही नहीं चलता। स्कूल शिक्षा विभाग से जुड़े काम के लिए पांढुर्णा जाते हैं तो बताया जाता है कि जिला शिक्षा अधिकारी तो छिंदवाड़ा में बैठते हैं। किसी और काम के लिए सीधे छिंदवाड़ा जाते हैं तो अधिकारी कह देते हैं कि अब तो पांढुर्णा जिला बन गया है, वहीं से काम होगा।
पांढुर्णा से छिंदवाड़ा जाते समय युवा वकील दीक्षा मोरे मिलीं । दीक्षा प्रैक्टिस के लिए अपर जिला एवं सत्र न्यायालय सौंसर जाती हैं। वह बताती हैं, पांढुर्णा के जिला बनने पर सभी वकीलों को उम्मीद हुई कि जल्द ही यहां जिला न्यायालय आ जाएगा, लेकिन एक साल में कुछ नहीं हुआ। आज भी 50 किलोमीटर सफर करके सौंसर जाते हैं।
विधायक बोले- सौंसर के लोगों के लिए समस्या बन गया जिला
सौंसर विधायक विजय चौरे बताते हैं, पांढुर्णा जिला बना हम इसका स्वागत करते हैं, लेकिन संसाधनों की बहुत कमी है। एक साल हो गया लेकिन अभी तक विभागों के लिए जमीन ही आवंटित ही नहीं हुई। एक साल के बाद भी सारे विभाग छिंदवाड़ा से चल रहे हैं। केवल एसपी-कलेक्टर की पोस्टिंग से जिला नहीं बन जाता।
मैने और पांढुर्ना के विधायक नीलेश उइके जी ने विधानसभा में प्रश्न भी लगाए थे। विधायक चौरे कहते हैं, हमने सौंसर को जिला बनाने के लिए कई प्रयास किए लेकिन सरकार ने पांढुर्णा को जिला बना दिया अब मैं उस विषय पर मैं कुछ नहीं कहना चाहता।
पांढुर्णा जो जिला बना है उसे जिले के रूप में विकसित करने के लिए जरूरी है कि या तो छिंदवाड़ा से सभी विभाग यहां लाए जाएं या पांढुर्णा में नए सिरे से विभाग तैयार किए जाएं जिससे आम जनता को छिंदवाड़ा और पांढुर्णा भागने की दोहरी समस्या ना रहे।
अब मैहर की बात…..
मैहर में सिर्फ कलेक्टर, एसपी सतना में बैठते हैं
मैहर जिले का नोटिफिकेशन भी पांढुर्णा के साथ 5 अक्टूबर 2023 को हुआ था। नोटिफिकेशन जारी होने के दो दिन में नए एसपी और कलेक्टर की पोस्टिंग हो गई थी। मैहर के लोगों को उम्मीद थी कि जिस तेजी से कलेक्टर और एसपी की पोस्टिंग हुई है उसी तेजी से प्रशासनिक काम भी पूरे होंगे। मगर, ऐसा नहीं हुआ।
इस समय मैहर कलेक्टर रानी बाटड़ और एसपी सुधीर अग्रवाल हैं। मैहर के विवेकानंद कॉलेज के नए भवन में कलेक्टर का ऑफिस है। कलेक्टर के अलावा एडीएम शैलेंद्र सिंह, जिला महिला बाल विकास अधिकारी राजेंद्र बंजारे, जॉइंट डायरेक्ट पशु औषधालय डॉ. ललित द्विवेदी की पोस्टिंग हुई है। फूड ऑफिसर पीएस भदौरिया रिटायर हो चुके हैं।
इसके अलावा यहां कोई अधिकारी नहीं है। रिकॉर्ड रुम, ट्रैजरी सतना में ही है, कर्मचारियों का वेतन भी 35 किमी दूर सतना से ही आता है। कलेक्टर ने प्रशासनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए टीएल( टाइम लिमिट) बैठक का दिन बदल दिया है। सतना में सोमवार को बैठक होती है तो मैहर में बुधवार को बैठक कर ली जाती है।
मऊगंज में कॉलेज भवन में लग रहा कलेक्ट्रेट
मऊगंज को 13 अगस्त 2023 को घोषणा हुई और इतनी तेजी से काम हुआ कि 15 अगस्त से एसपी कलेक्टर की पोस्टिंग हो गई। वर्तमान में कलेक्टर अजय श्रीवास्तव है, वहीं एसपी रचना ठाकुर हैं। मऊगंज के लॉ कॉलेज की नई बिल्डिंग में कलेक्टर का ऑफिस है। कलेक्टर के अलावा एमडीएम और डिप्टी कलेक्टर रश्मि चतुर्वेदी की पोस्टिंग हुई है। बाकी अधिकारी रीवा में ही बैठते हैं।
कलेक्टर मऊगंज को चलाने के लिए रीवा से ही अधिकारियों को तलब करते हैं। जिले का रिकॉर्ड भी वहीं है और व्यावहारिक रूप से जिला रीवा से ही चल रहा है। मऊगंज जिले की अभी मैपिंग तक नहीं हुई है। स्थानीय नागरिक शेख मुख्तार सिद्दकी बताते हैं, मऊगंज को जिला बने एक साल हो गया, लेकिन इसकी स्थिति पहले से भी खराब हो गई।
पहले तो पता होता था कि सरकारी काम के लिए रीवा ही जाना है। अधिकारी भी सतर्क रहते थे। अब तो दो जगह पावर सेंटर बन गए हैं, अधिकारी भी लापरवाह हो चुके हैं। मऊगंज में 5 थाने हैं, 165 पुलिसकर्मियों का बल है।
मैहर कलेक्टर कार्यालय विवेकानंद कॉलेज के नए भवन में लग रहा है। दफ्तर तक जाने के लिए कच्चा रास्ता है।
इनपुट- मैहर से प्रशांत द्विवेदी और मऊगंज से नसीम खान
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