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पिता का साया उठा, मां ने अकेले संभाला! सुन-बोल नहीं सकती, फिर भी इंटरनेशनल खिलाड़ी बन गई ये लड़की

पिता का साया उठा, मां ने अकेले संभाला! सुन-बोल नहीं सकती, फिर भी इंटरनेशनल खिलाड़ी बन गई ये लड़की

Agency:Local18

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Eva Patel Success Story: ईवा पटेल, तापी जिले की एक मूक-बधिर खिलाड़ी, ने अपनी मेहनत और लगन से आइसस्टॉक में 50 से अधिक मेडल जीते हैं. बर्फ न होने के बावजूद, वह सड़क और बास्केटबॉल कोर्ट पर प्रैक्टिस कर वर्ल्ड चैंप…और पढ़ें

ईवा पटेल: मूकबधिर खिलाड़ी ने जीते 50 से अधिक मेडल.

हाइलाइट्स

  • ईवा पटेल ने आइसस्टॉक में 50 से अधिक मेडल जीते हैं.
  • ईवा पटेल मूक-बधिर होते हुए भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनीं.
  • ईवा ने गरबा, कराटे, पेंटिंग में भी कई मेडल जीते हैं.

सूरत: गुजरात और भारत के लिए यह गर्व की बात है कि विश्व के श्रेष्ठ खिलाड़ियों के सामने गुजरात के खिलाड़ी प्रियदर्शी राज तिवारी, होजी कुकड़िया, मेतवी घलोड़िया, विकास वर्मा, नीलम मिश्रा, परविंदर सिंह चौधरी, ईवा पटेल का चयन हुआ है. ये वे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने समर्पण और कड़ी मेहनत के कारण वर्ल्ड चैंपियनशिप तक का सफर तय किया है. फुटपाथ, सर्विस रोड और बास्केटबॉल कोर्ट पर प्रैक्टिस कर ये खिलाड़ी माइनस तापमान वाले देशों में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को टक्कर देंगे. इनमें भाग लेने वाली खिलाड़ियों में ईवा पटेल एक मूकबधिर खिलाड़ी हैं.

तापी जिले के व्यारा में रहने वाले अजयभाई पटेल और उनकी पत्नी अलकाबेन पटेल की बेटी ईवा पटेल चार साल की हो चुकी थी, लेकिन बोल नहीं पाती थी. जब उसकी जांच कराई गई तो पता चला कि वह सुन और बोल नहीं सकती. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और बेटी को उसके पैरों पर खड़ा करने के लिए तैयार किया. हालांकि, 2006 में ईवा के पिता अजयभाई का निधन हो गया और पूरे परिवार की जिम्मेदारी अलकाबेन ने संभाली.

ऐसे यात्रा शुरू हुई
ईवा जब 10 साल की हुई तो उसकी मां ने उसे गरबा खेलते देखा और व्यारा में गरबा क्लास चलाने वाले विनय पटेल से संपर्क कर उसे उचित प्रशिक्षण (proper training) दिलाना शुरू किया. बस तभी से उसकी यात्रा शुरू हो गई. इसके बाद ईवा ने एक के बाद एक उपलब्धियां हासिल कीं. पेंटिंग, कराटे, डांस जैसी कई क्षेत्रों में उसने कई मेडल जीते हैं. वह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए विदेश भी जा चुकी है. ईवा की बहुमुखी प्रतिभा को देखते हुए उसके कोच ने उसे अलग से प्रशिक्षण देना शुरू किया और पिछले चार साल से वह इस खेल को खेल रही है.

ईवा पटेल ने जीते 50 से अधिक मेडल
लोकल 18 से बात करते हुए ईवा की मां अलका पटेल ने बताया, “ईवा बचपन से ही एक साहसी खिलाड़ी है. गरबा, कराटे, चित्रकला से लेकर आइसस्टॉक तक की उसकी यात्रा आसान नहीं रही है, लेकिन आज वह विश्व स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करेगी, यह हमारे लिए गर्व की बात है. ईवा भले ही सुन और बोल नहीं सकती, लेकिन वह अपने हर काम खुद करती है.”

उन्होंने आगे बताया, “उसके पास लगभग 50 से अधिक मेडल हैं और जब भी हमें सूरत प्रैक्टिस के लिए आना होता है, तो हम व्यारा से सूरत 70 किलोमीटर का सफर बस से तय करते हैं. ईवा ने ATD, टेक्सटाइल डिजाइन, एस.वाय.बी.ए, फैशन डिजाइनिंग, BSW की पढ़ाई की है और वह भरतनाट्यम में विशारद है और साथ ही कराटे में ब्लैक बेल्ट फोर्डन है.”

‘यह सपनों की यात्रा है’
गौरतलब है कि यह एक विंटर गेम है. जो देश में बर्फ पड़ती है वहां खेली जाती है और गुजरात राज्य में बर्फ नहीं पड़ती, इसलिए इन छात्रों की प्रैक्टिस की बात करें तो वे फुटपाथ, सर्विस रोड या बास्केटबॉल कोर्ट पर प्रैक्टिस करते हैं. सामान्यतः वे 40 डिग्री तक के तापमान में प्रैक्टिस करते हैं, लेकिन जब वे टूर्नामेंट खेलने जाते हैं तो तापमान माइनस में होता है. माइनस 10 से 15 तक होता है. ऐसी स्थिति में भी खिलाड़ी वर्ल्ड चैंपियनशिप तक पहुंचे हैं, यह बहुत ही प्रशंसनीय बात है.

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इस बारे में कोच विकास वर्मा ने बताया, “आइसस्टॉक केवल विंटर गेम नहीं है, यह सपनों की यात्रा है. अगर सूरत की गर्मी में ये खिलाड़ी खेलकर मेडल ला सकते हैं तो वे बर्फ पर भी जीत हासिल करेंगे.”

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