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पिता को मेडल दिखाते शर्म आती थी, ध्यानचंद के बेटे ने बताई नजर चुराने की वजह

नई दिल्ली. विश्व हॉकी के महानायक मेजर ध्यानचंद का नाम जब भी लिया जाता है तो भारत का इस खेल में दबदबा ध्यान में आता है. दद्दा के नाम से जाने जाने वाले इस महान खिलाड़ी के बेटे अशोक ध्यानचंद ने भी हॉकी में देश के लिए मेडल जीते हैं. न्यूज 18 के अमृत रत्न समारोह में सम्मानित हुए दिग्गज ने कुछ मजेदार किस्से साझा किए. ओलंपिक और वर्ल्ड कप में भारत के लिए कई मेडल जीतने वाले अशोक ने बताया कि वो पिता और चाचा की तरह शुरुआती दिनों में सफल नहीं हो पाए थे. जब हॉकी टीम को सिल्वर या कांस्य मिलता था तो मेडल को दिखाने से कतराते थे.

एशियन गेम्स 1970 में अपना इंटरनेशनल डेब्यू करने वाले अशोक ध्यानचंद ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे. वर्ल्ड कप में गोल्ड, सिल्वर और कांस्य तीनों ही पदक जीते. 1974 में अशोक ध्यानचंद को अर्जुन अवार्ड दिया गया था. इस साल उनको मेजर ध्यानचंद लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया. न्यूज 18 के अमृत रत्न से उनको सोमवार 2 दिसंबर को सम्मानित किया गया.

अशोक ने सम्मान ग्रहण करते हुए कुछ खास किस्से न्यूज 18 के साथ साझा किए. उन्होंने बताया कि हॉकी वर्ल्ड कप 1971 में कांस्य और 1973 में टीम ने सिल्वर मेडल जीता था. जबकि 1972 ओलंपिक में कांस्य पदक अपने नाम किया लेकिन वो इन पदकों को पिता ध्यानचंद और चाचा रूप सिंह से नहीं दिखाते थे. अशोक ने बताया कि जिन महान खिलाड़ियों ने देश के लिए लगातार गोल्ड जीते हों उनके सामने उससे कम कुछ भी ले जाने में शर्म आती थी. जब 1975 कुआलालंपुर वर्ल्ड कप में टीम ने गोल्ड मेडल जीता को उसे बड़े शान से दोनों को दिखाया था.

आगे उन्होंने कहा, खेल को चलाने वाले फेडरेशन की वजह से हॉकी का खराब हुआ था लेकिन हमें उन चीजों को याद नहीं रखना चाहिए. हमें इस बात पर गर्व करना चाहिए कि फेडरेशन ने गोल्ड मेडल भी दिलाया. खेल को चलाने वालों पर ही सबकुछ निर्भर करता है. देश में किसी भी खेल को कितनी तरक्की मिलेगी या उसकी दशा खराब होगी यह सब चलाने वालों पर ही निर्भर करता है.

FIRST PUBLISHED : December 2, 2024, 14:15 IST

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