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‘पीथमपुर के भूजल को प्रदूषित करेगा जहरीला कचरा’: गैस पीड़ित बोले-डाउ केमिकल को सौंपे कचरा; अभी भोपाल की 42 बस्तियों का पानी खराब – Bhopal News

भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का 337 टन जहरीला कचरा पीथमपुर में दफन होगा। इसमें कुल 126 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 6 जनवरी से पहले कचरे को पीथमपुर पहुंचाना है। इसी बीच गैस पीड़ित संगठनों ने फिर से एक बार यह कचरा डाउ केमिकल को सौंपने की मांग की है। स

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भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा कि भोपाल से निकलने वाले खतरनाक कचरे को साढ़े 3 महीने तक जलाया जाना है। इतने लंबे समय तक भस्मक से निकलने वाले धुएं में जहर और पार्टिकुलेट मैटर के चपेट में आने वाली आबादी की संख्या एक लाख से भी अधिक है। वर्तमान में जो काम जारी है, वह जानबूझकर सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक हादसा पैदा करने से कम नहीं है।

उन्होंने कहा कि यूका फैक्ट्री से कुल 337 टन कचरा हटना है। इसके बदले में पीथमपुर में यह तीन गुना बढ़ जाएगा, जो अत्यंत जहरीला रहेगा और पूरे पीथमपुर और आसपास के भूजल को प्रदूषित कर देगा। वर्तमान में भोपाल स्थित फैक्ट्री में 21 जगहों पर कचरा दबा है। वहीं, बाहर भी हजारों टन कचरा है। जिससे 42 बस्तियों का भूजल प्रभावित है। जिम्मेदारों को प्रदूषित होते भूजल को रोकना चाहिए। गैस पीड़ित संगठन के बालकृष्ण नामदेव ने भी जहरीले कचरे से पीथमपुर में होने वाले नुकसान के बारे में बताया।

पीथमपुर ले जाकर कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू होने से पहले बुधवार को भोपाल में गैस पीड़ित संगठनों ने पत्रकार वार्ता लेकर विरोध जताया।

भोपाल गैस पीड़ित मोर्चा के पदाधिकारी ये बोले…

  • भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा कि पीथमपुर में सुरक्षित लैंड फिल से पिछले कुछ सालों से जहरीला रिसाव जारी हैं। अधिकारियों के पास यह सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है कि 900 टन अवशेषों से निकलने वाला जहर पीथमपुर और उसके आसपास के भूजल को प्रदूषित न करें।
  • भोपाल गैस पीड़ित महिला-पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खान ने बताया कि पूर्व के सालों में पर्यावरण मंत्री के तौर पर जयंत मलैया और गैस राहत मंत्री के तौर पर बाबूलाल गौर ने कई सरकारी बैठकों में भोपाल के कचरे को पीथमपुर में जलाने की योजना का विरोध किया था। गैस राहत आयुक्त ने तो कचरे को पीथमपुर में जलाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा तक दाखिल किया था। हम ये तथ्य अब सबके सामने इसलिए ला रहे हैं। ताकि पीथमपुर को धीमी गति से हो रहे भोपाल हादसे में बदलने की प्रक्रिया में लगे अधिकारी बाद में यह न कह सकें, कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी।

यूका कचरे के बारे में ये जाने…

इधर, पीथमपुर में कचरा जलाने में सबसे बड़ी समस्याएं–

  • पीथमपुर में पिछले 20 सालों से लोग इस कचरे को जलाने का विरोध कर रहे हैं।
  • 40 टन रासायनिक कचरा और 10 टन कचरे का 48 टन अवशेष लैंडफिल किया जा चुका है। इसके बाद वहां पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो गई है।
  • 40 किमी दूर मप्र की आर्थिक राजधानी इंदौर है। कचरे का प्रभाव इंदौर पर पड़ने का डर है, जिससे भविष्य में होने वाले निवेश पर और लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
  • पीथमपुर में किए गए 7 में से 6 परीक्षण फेल हुए हैं।
  • तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री ने साइट के करीब बसे तारपुर गांव को विस्थापित करने की बात कही थी। लेकिन अब बिना विस्थापित किए कचरा दहन की बात सामने आ रही है।
  • पीथमपुर प्लांट के करीबी गांव तारपुरा, चिखनगांव के लोगों का कहना है कि गांव में बोरवोल से रंगीन पानी निकलता है, जिसका टीडीएस 2.5 हजार के करीब है।

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