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पुलिस आरक्षक भर्ती-2016; HC ने गृहसचिव-डीजीपी को दी चेतावनी: आरक्षण को लेकर गलत जानकारी दी तो परिणाम भुगतने को तैयार रहें – Jabalpur News

मध्यप्रदेश में साल 2016 की पुलिस आरक्षक भर्ती में राज्य की बजाय जिलेवार आरक्षण को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई की।

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हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान गृह सचिव और डीजीपी को शपथ पत्र के साथ यह बताने के निर्देश दिए हैं कि जो आरक्षण था वह जिला स्तरीय था या फिर राज्य स्तरीय। कोर्ट ने यह भी कहा कि जानकारी गलत होने पर दोनों अधिकारी इसके परिणाम भुगतने को तैयार रहें। इसी के साथ हाईकोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 13 फरवरी की तारीख तय कर दी है।

मंगलवार को इस मामले में सरकार द्वारा पेश किए गए जवाब पर बहस हुई। याचिकाकर्ता की और से सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने आरोप लगाया कि 2022 में गृह विभाग ने फर्जी कटआफ लिस्ट बनाई।जबकि इसकी लिस्ट व्यापम 2016 में ही जारी कर चुका थी। गृह विभाग ने जिला स्तरीय लिस्ट बनाकर हाईकोर्ट में पेश कर दी। राज्य शासन ने अपने जवाब में बताया कि विज्ञापन में यह कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया कि यह भर्ती जिला स्तरीय होगी और कैडर वाइस लागू की जाएगी। सीनियर एडवोकेट ने कोर्ट को बताया कि आरक्षक की भर्ती राज्य स्तरीय होती है। याचिका में आरोप है कि आरक्षक भर्ती में जिला स्तर पर किए आरक्षण में रोस्टर का पालन भी नहीं किया गया।

गृह विभाग ने खाली छोड़ दिए ओबीसी के 889 पद

मध्य प्रदेश गृह विभाग के अंतर्गत आरक्षक संवर्ग में जिला बल, एसएएफ के अलावा तमाम इकाइयों में भर्तियां होती हैं। इनके लिए विधिवत विज्ञापन में हर विभाग में रिक्त पदों की संख्या बताई जाती है। संयुक्त प्रवेश परीक्षा में ओबीसी, एससी-एसटी वर्ग के बहुत से अभ्यर्थी ने मेरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग के बराबर अंक प्राप्त किए। सरकार ने ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग की जगह ऐसे अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में ही चयनित करते हुए ओबीसी के 889 पद खाली छोड़ दिए।

14 हजार से ज्यादा पदों पर निकली थी भर्ती

  • मध्यप्रदेश में साल 2016-17 में 14 हजार 283 पदों पर पुलिस आरक्षकों की भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ था।
  • अनारक्षित वर्ग के लिए 8 हजार 432 पदों का प्रावधान था।
  • एससी के लिए 1 हजार 917, एसटी के लिए 2 हजार 521 और ओबीसी के लिए 1 हजार 411 पदों का प्रावधान था।
  • हालांकि इनमें से ओबीसी के 889 पदों पर नियुक्ति नहीं दी गई।

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