एक्सोप्लैनेट जिस तारे की परिक्रमा करता है, उसका नाम LHS 1140 है। वह एक छोटा और कम चमकीला तारा है और सेतुस तारामंडल में मौजूद है।
वैज्ञानिकों ने साल 2017 में LHS 1140b एक्सोप्लैनेट को खोजा था। तब से कई टेलीस्कोपों के जरिए इसे देखा गया है। रिसर्चर्स अब यह जानते हैं कि LHS 1140b एक चट्टानी ग्रह है और हमारी पृथ्वी से लगभग 1.7 गुना चौड़ा है।
अबतक हुए सभी ऑब्जर्वेशंस से एक और बात सामने आई है। LHS 1140b पर्याप्त रूप से घना नहीं है। इसका मतलब है कि या तो इसमें बहुत ज्यादा पानी होना चाहिए या इसमें हाइड्रोजन और हीलियम जैसे एलिमेंट होने चाहिए।
हालांकि रिसर्चर्स अभी यह नहीं जानते दोनों में से क्या हो सकता है। हालांकि आने वाले वर्षों में यह राज़ खुल सकता है। जेम्स वेब टेलीस्कोप जैसे पावरफुल टेलीस्कोपों के जरिए पता लगाया जा सकता है कि अगर LHS 1140b में पानी की दुनिया हुई, तो हमारे सौर मंडल से बाहर जीवन की खोज में यह एक्सोप्लैनेट वैज्ञानिकों की पहली पसंद हो सकता है। यह स्टडी द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में पब्लिश हुई है।
बीते दिनों एक अन्य रिपोर्ट में सामने आया था कि विभिन्न परिस्थितियों में भी कई अरबों वर्षों तक लिक्विड वॉटर, एक्सोप्लैनेट की सतह पर मौजूद रह सकता है। बर्न यूनिवर्सिटी, ज्यूरिख यूनिवर्सिटी और नेशनल सेंटर ऑफ कॉम्पीटेंस इन रिसर्च (NCCR) के रिसर्चर्स ने एक स्टडी में यह जानकारी दी थी।
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2024-01-12 13:06:53
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