वैज्ञानिकों का कहना है कि ये तरंगें हमारी पृथ्वी के काफी ऊपर से गुजरती हैं। नए ऑब्जर्वेशन से पहले इन तरंगों को पृथ्वी से सिर्फ 51 हजार किलोमीटर दूर खोजा गया था। वह एक ऐसी जगह है जहां पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र सक्रिय है। अबतक वैज्ञानिक यही मानते आ रहे थे कि इस इलाके से ही तरंगें पैदा होती हैं।
नई रिसर्च को जरनल नेचर मैग्जीन में पब्लिश किया गया है। इसमें जिस क्षेत्र से तरंगों के निकलने की बात कही गई है, वह पृथ्वी से करीब 1 लाख 65 हजार किलोमीटर दूर है। इस दूरी पर पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र कहीं अधिक विकृत है। इस खोज का मतलब यह है कि इन तरंगों की उत्पत्ति, पृथ्वी के एकदम नजदीक से तो नहीं है।
यह खोज वैज्ञानिकों के लिए नए रास्ते खोलती है। वह इन तरंगों को फिर से समझना चाहेंगे। उनके स्रोत का पता नए सिरे से लगाया जाएगा और देखा जाएगा कि इस सबका हमारे ग्रह पर क्या असर होता है। पृथ्वी की तरह अन्य ग्रहों पर भी ऐसी तरंगें मौजूद हैं। इनमें मंगल, बृहस्पति, शनि ग्रह आदि शामिल हैं। नई खोज से वैज्ञानिकों को यह समझने में भी मदद मिलेगी कि तमाम ग्रहों का मैग्नेटिक फील्ड किस तरह से आकार लेता है।
लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।
संबंधित ख़बरें
Source link
#पथव #स #लख #कलमटर #दर #स #आई #चडय #क #चहचहन #जस #आवज #जन #पर #ममल
2025-01-29 08:18:52
[source_url_encoded