भारत सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए गैर बासमती चावल यानी सफेद चावल के निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया है। इसका फायदा प्रदेश के किसानों को होगा। क्योंकि चावल उत्पादन में बड़ा हिस्सा सफेद वेरायटी के चावल का होता है। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी
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सरकार ने एक साल पहले गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिससे सिर्फ बासमती चावल का ही एक्सपोर्ट हो रहा है। प्रतिबंध हटने से अब बासमती के साथ ही सफेद चावल का निर्यात चीन, अमेरिका, थाईलैंड, इटली, स्पेन, श्रीलंका सहित 30 से ज्यादा देशों में शुरू हो जाएगा।
डीजीएफटी के संयुक्त निदेशक सुविध शाह का कहना है, प्रदेश के किसानों व एक्सपोर्टर्स को फायदा होगा। क्योंकि वे न्यूनतम निर्यात मूल्य से अधिक कीमत पर चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच सकेंगे। आदिवासी क्षेत्रों के बेहतर चावल की मांग भी बढ़ेगी।
– प्रदेश को इसलिए लाभ होगा चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है। इसमें बासमती के साथ 25 फीसदी सफेद चावल होता है। विशेषज्ञों की माने तो निर्यात के अच्छे अवसर हैं, क्योंकि यहां उत्पादन के अनुपात में स्थानीय खपत कम है। गुणवत्ता और स्वाद अच्छा होता है। सरप्लस स्टाॅक भी है। जबकि अन्य चावल उत्पादक प्रदेशों में स्थानीय खपत ज्यादा होने से सरप्लस स्टॉक कम है। इसलिए प्रदेश को फायदा होगा।
उत्पादन की बात करें तो प्रदेश में पिछले साल धान का उत्पादन 1 करोड़ 32 लाख टन हुआ था। यह 2021 के उत्पादन 1 करोड 25 लाख टन से बेहतर रहा। इस साल अच्छी बारिश होने से उत्पादन बढ़ने की पूरी उम्मीद है। दूसरा सरकार चावल प्रसंस्करण पर भी ध्यान दे रही है। 200 नई मिलिंग भी शुरू की है।
बालाघाट, सिवनी, शहडोल के चावल की अच्छी मांग
बड़ा असर जबलपुर, मंडला, बालाघाट, सिवनी शहडोल,कटनी, नर्मदापुरम, सीहोर व अन्य चावल उत्पादक क्षेत्रों को होगा। यहां पर जैविक और सुगंधित कई तरह की किस्में उगाई जाती हैं। इनमें स्वादिष्ट वैरायटी चिन्नौर, पूसा, कांति, दूबराज, कालीमूंछ आदि की मांग भी इन देशों में अच्छी रहती है। चिन्नौर चावल को तो जीआई टैग भी मिला हुआ है।
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