एक साल से पद वृद्धि की मांग कर रहे चयनित शिक्षकों ने दिल्ली और भोपाल के बाद शुक्रवार को उज्जैन में प्रशासन से अनुमति लेकर प्रदर्शन शुरू किया था। लेकिन इसी बीच शिक्षकों द्वारा दंडवत यात्रा निकालने से पहले ही प्रशासन ने अनुमति निरस्त कर प्रदर्शन को रुक
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दरअसल, शुक्रवार को प्रदेश के अलग-अलग जिलों से उज्जैन रेलवे स्टेशन पहुंचे अभ्यर्थियों ने चयन और पात्रता परीक्षा पास करने के बाद भी प्रतीक्षा सूची में रखे जाने से नाराज होकर दंडवत यात्रा शुरू की थी। लेकिन यात्रा विधिवत महाकाल मंदिर के लिए रवाना होती इससे पहले प्रशासन ने प्रदर्शन करने आए शिक्षकों की अनुमति निरस्त कर दी।
प्रदर्शन के पहले जारी की गई अनुमति।
वेटिंग शिक्षकों का प्रदर्शन शुरू होने के पहले निरस्त करने का जो कारण बताया गया उसके मुताबिक, प्रदर्शन करने वाले 300 लोगों द्वारा शिप्रा नदी में जल सत्याग्रह करने और ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग करने को लेकर अनुमति चाही गई थी। लेकिन जल सत्याग्रह और ध्वनि यंत्रों के उपयोग पर पुलिस की आपत्ति के बाद तीन दिन तक चलने वाले प्रदर्शन को रोक दिया गया। खास बात ये है की प्रशासन ने 2 जनवरी को अनुमति दी इसके बाद अगले ही दिन 3 जनवरी को अनुमति निरस्त कर दी।
प्रदर्शन की अनुमति देने के अगले दिन ही अनुमति निरस्त कर दी गई
सभी को घर भेजा
कमल मालवीय ने बताया कि उज्जैन में हजारों प्रदर्शनकारी तीन दिन तक प्रदर्शन करने वाले थे। इसके लिए प्रशासन से अनुमति भी मिल गई थी। जिसके बाद हमने सभी जिलों के वेटिंग शिक्षकों को उज्जैन में बुलवाया था। शुक्रवार को सभी लोग पहुंचना शुरू हो गए। हम प्रदर्शन करते हुए महाकाल मंदिर के लिए रवाना होने वाले थे लेकिन अचानक पुलिस आई और हमारी अनुमति को निरस्त करने की जानकारी हमकों दी गई। जिसके बाद प्रदर्शन को रोक दिया गया। बड़ी संख्या में महिलाएं भी पहुंची थी। बाद में प्रदर्शन को खत्म कर सभी अपने घर रवाना हो गए।
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