राम की कहानी या चरित्र लोक मानस के रोम-रोम में विराजता है। वे कहीं आराध्य, कहीं भगवान, कहीं मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रकट होते हैं। हालांकि भारतीय अंतस चेतना की आस्था के केंद्र श्रीराम पर सवाल भी कम नहीं उठाए गए। मां सीता की अग्नि परीक्षा, उन्ह
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इसमें कई अनसुने-अनजाने दृश्यों को गूंथकर राम के साथ रावण के चरित्र के अनछुए पक्षों को उद्घाटित किया गया है। वह भी इस तरह कि तीन घंटे से अधिक की प्रस्तुति में लोग बंधकर रह जाते हैं। कभी कुर्सी से खड़े हो जाते, कभी ताली बजाते, कभी आंखों के भीगते कोर संभालते तो कभी सियाराम का जयकार लगाते।
दैनिक भास्कर के प्रेरणा स्रोत रमेशचंद्र अग्रवाल की 80वीं जयंती पर रवींद्र भवन में मंचित फैलिसिटी थियेटर के हमारे राम ने भोपाल के मन में भी कुछ ऐसे भाव जगाए, जो लंबे समय तक उनकी स्मृतियों में स्थायी रहेंगे।
रावत का परम-ज्ञान… संसार तुम्हारा मूल्यांकन मित्र से नहीं, तुम्हारे शत्रु देखकर करता है
अंतिम समय में रावण का लक्ष्मण से संवाद-
- अहंकार चाहे सत्ता का हो या सौंदर्य का, शक्ति का हो या भक्ति का, धर्म का हो या धन का, वह बड़े से बड़े विश्व विजेता को भी नष्ट कर देता है। प्रत्यक्ष प्रमाण है रावण।
- सफल होने के लिए नहीं अपितु जीवन को सार्थक करने का प्रयास करो। इसके लिए शत्रु व मित्र में दृष्टि का भेद समझना जरूरी है।
- शत्रुता अपने से योग्य और श्रेष्ठ व्यक्ति से करो। संसार तुम्हारा मूल्यांकन मित्र देखकर नहीं, शत्रुओं को देखकर करता है। देखो जो राम ने युद्ध कर प्राप्त नहीं किया, उसे रावण ने राम से लड़कर प्राप्त कर लिया।
- शत्रु तुम्हारे भीतर ऊर्जा जाग्रत करता है, सीमित को असीमित कर देता है। शत्रु तिरस्कार का नहीं नमस्कार का पात्र होता है।
- आगे चलकर लोग कहेंगे कि रावण की पराजय का एकमात्र कारण यह था कि उसके पास लक्ष्मण जैसा भाई नहीं था, पर लक्ष्मण जैसा भाई प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को भी स्वयं राम होना पड़ता है।
- जगत पर आधिपत्य प्राप्त करने के दो मार्ग हैं-दमन और नमन। जो दमन के मार्ग पर चलता है वह भूखंड पर आधिपत्य कर लेता है, लेकिन जो नमन के मार्ग पर चलता है वह सुसार के भावखंड में स्थान बना लेता है।
- महादेव को प्राप्त करने के दो मार्ग हैं- कामना से या भावना से। जो कामना से महादेव की आराधना करते हैं, उसे महादेव वह देते हैं जो वह चाहता है और जाे भावना में भरकर महादेव की आराधना करते हैं उसे महादेव वह देते हैं, जो महादेव देना चाहते हैं। रावण की उपासना में कामना थी, राम की उपासना में भावना थी। मैं उनसे कुछ चाहता था, राम महादेव को चाहते थे।
- धार्मिक होना, श्रद्धालु, साधक, सिद्ध, संत और गुरु होना चेतना के अलग-अलग स्तर हैं। ये सारा ज्ञान राम खुद तुम्हें दे सकते थे, लेकिन उन्होंने तुम्हें मेरे पास क्यों भेजा, क्योंकि मेरी संस्कृति असुर की है, लेकिन मेरी प्रकृति साधक की है। राम मुझे मारना नहीं तारना चाहते थे, इसलिए अंतिम समय में मुझसे उपदेश कराकर मेरी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर दिया।
गायिका कविता सेठ के गीतों की प्रस्तुति आज प्रेरणा उत्सव की दूसरी शाम शनिवार 30 नवंबर को प्रसिद्ध बॉलीवुड गायिका कविता सेठ के गीतों के नाम होगी। यह आयोजन रवींद्र भवन में शाम 7 बजे से होगा। इसी शाम स्व. रमेशचंद्र अग्रवाल जी के लीडरशिप लेसन्स को दर्शाने वाली पुस्तक ‘द विजनरी’ का अनावरण भी होगा।
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