Why hosting the World Cup can be a bad idea: फीफा विश्व कप को दुनिया के दूसरे सबसे बड़े खेल आयोजन का दर्जा हासिल है. जाहिर सी बात है पहले नंबर पर ओलंपिक आते हैं. इन दोनों खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन चार साल बाद किया जाता है. फीफा विश्व कप की मेजबानी करने वाले देश में टूर्नामेंट के दौरान पर्यटन रेवेन्यू में वृद्धि देखने को मिलती है. क्योंकि दुनिया भर से प्रशंसक आते हैं, जिससे होटल, रिटेल और ट्रांसपोर्ट के सेक्टर में योगदान होता है. लेकिन इसकी कीमत बहुत ज्यादा चुकानी होती है. 2022 में कतर में खेले गए फीफा विश्व कप पर वहां की सरकार ने लगभग 229 बिलियन डॉलर (19.43 लाख करोड़ रुपये) खर्च किया. यह अब तक का सबसे महंगा आयोजन था. यह रकम 1990 से 2018 तक विश्व कप पर खर्च की गई संयुक्त राशि 48.63 बिलियन डॉलर से लगभग पांच गुना ज्यादा है.
कर्ज में डूब जाते हैं मेजबान देश
लेकिन यह आयोजन मेजबान देश को काफी नुकसान भी दे जाता है. बुनियादी ढांचे और स्टेडियमों पर ज्यादा खर्च के कारण कुछ मेजबान भारी कर्जें में डूब गए. क्योंकि विश्व कप खत्म होने के बाद उनके पास ऐसे निर्माण कार्य रह गए जिनका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है. कुछ मेजबान देश, जिनके पास दुनिया के सबसे बड़े फुटबॉल टूर्नामेंट के आयोजन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा या स्टेडियम नहीं हैं, उन पर भारी कर्ज का बोझ पड़ जाता है. टूर्नामेंट समाप्त होने के बाद उनके पास तथाकथित ‘सफेद हाथी’ जैसा इंफ्रास्ट्रक्चर ही बचता है.
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कैसे होता है रेवेन्यू का बंटवारा
विश्व कप से तीन तरह से आमदनी होती है. पहला है मैचों का प्रसारण, टिकट बिक्री और मार्केटिंग रेवेन्यू. लेकिन इन तीनों पर फुटबॉल की अंतरराष्ट्रीय गवर्निंग बॉडी फीफा का अधिकार होता है. इससे होने वाली आय फीफा अपने हिसाब से वितरित करता है. लेकिन वो टूर्नामेंट के संचालन के लिए मेजबान देश को भी धन आवंटित करता है. 2022 के लिए फीफा ने कतर को लगभग 1.7 बिलियन डॉलर दिए. इसमें टीमों को दी जाने वाली 440 मिलियन डॉलर की पुरस्कार राशि भी शामिल है. जबकि 2022 विश्व कप से लगभग 4.7 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू मिला. मेजबान देश रेवेन्यू जुटाने के लिए टूर्नामेंट से मिलने वाले अन्य आर्थिक लाभ पर निर्भर करते हैं.
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प्रसारण अधिकार से मिलता है मोटा पैसा
फीफा का सबसे बड़ा रेवेन्यू सोर्स प्रसारण अधिकार होते हैं. उदाहरण के लिए, 2018 में रूस में हुए वर्ल्ड कप ने प्रसारण सौदों से तीन बिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की. फुटबॉल की वैश्विक लोकप्रियता के कारण इसकी मांग हमेशा बनी रहती है, जिससे यह एक अत्यधिक लाभदायक सौदा बन जाता है. कॉर्पोरेट प्रायोजन भी रेवेन्यू का महत्वपूर्ण सोर्स है. 2018 के टूर्नामेंट के लिए, फीफा ने एडिडास, कोका-कोला और वीजा जैसे प्रायोजकों से 1.6 बिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की. टिकट बिक्री भी राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान देती है. उदाहरण के लिए, 2018 वर्ल्ड कप ने टिकट बिक्री से 500 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की.
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फीफा का भर जाता है खजाना
फीफा के लिए न तो आयोजन में होने वाली मुश्किलें मायने रखती हैं और न ही इस पर खर्च होने वाली धनराशि. फीफा के लिए विश्व कप का आयोजन हर हाल में फायदे का मामला है. उसके लिए वो हर चार साल पर रेवेन्यू जमा करने का एक मंच है, जिससे वो दुनिया भर में अपनी गतिविधियों को बिना किसी दिक्कत के चला सके. किसी भी टूर्नामेंट का आयोजन मेजबान देश के लिए आर्थिक रूप से भले ही घाटे का सौदा हो, लेकिन इससे फीफा को फायदा ही होता है. यही वजह है कि विश्व कप के आयोजन की लागत को लेकर उसे कोई परवाह नहीं होती है. लेकिन पानी की तरह पैसा बहाने के बावजूद कतर की इकॉनमी को इससे महज 17 अरब डॉलर का फायदा होने की उम्मीद लगाई गई थी.
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इसकी मेजबानी सम्मान की बात
अगर निवेश सही तरीके से किया जाए तो मेजबान देशों के लिए भी यह लाभकारी साबित हो सकता है. हालांकि, मेजबान देशों के लिए मुनाफा इस बात पर निर्भर करता है कि वे अल्पकालिक लाभ और दीर्घकालिक आर्थिक, सामाजिक और बुनियादी ढांचे के लक्ष्यों के बीच संतुलन कैसे बनाते हैं. जहां फीफा को हमेशा बड़े मुनाफे मिलते हैं, वहीं मेजबान देशों के लिए वित्तीय सफलता काफी हद तक अलग-अलग हो सकती है. भले ही मेजबान देशों को फीफा विश्व कप से कोई आर्थिक लाभ न होता है, लेकिन इसकी मेजबानी करना सम्मान की बात है. क्योंकि फुटबॉल दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल है. इस खेल के पांच अरब से ज्यादा प्रशंसक हैं.
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एशिया केवल 2 बार कर सका है मेजबानी
इसको आप ऐसे समझिए कि अब तक एशिया में केवल दो बार फीफा विश्व कप का आयोजन हुआ है. 2002 में दक्षिण कोरिया और जापान ने मिलकर विश्व कप का आयोजन किया था. इसके 20 साल बाद 2022 में कतर में विश्व कप का आयोजन हुआ. यह अरब जगत में होने वाला पहला फीफा विश्व कप था. अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको मिलकर 2026 में अगले विश्व कप की मेजबानी करेंगे. माना कि माना कि कुछ देशों के लिए इसकी मेजबानी करना एक बुरा विचार हो सकता है. लेकिन इतिहास बताता है कि प्रशंसक अपने देश के विश्व कप जीतने की उम्मीद के साथ इसे देखना जारी रखेंगे.
FIRST PUBLISHED : December 12, 2024, 15:43 IST
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