मध्य प्रदेश के फॉरेस्ट गार्ड्स से अब 165 करोड़ रुपए की वसूली नहीं की जाएगी। वन विभाग ने आगामी आदेश तक वसूली पर रोक लगा दी है। संभाग और जिलों में पदस्थ मुख्य वनसंरक्षक, वनसंरक्षक से कहा गया है कि वे फॉरेस्ट गार्ड्स को पिछले 8 साल में वेतन के रूप में दी
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विभाग ने 5200 के स्थान पर 5680 पे-बैंड देकर पिछले 8 साल में 6 हजार 592 फॉरेस्ट गार्ड्स को निर्धारित सैलरी से 165 करोड़ रुपए अधिक दिए हैं। यह स्थिति भोपाल, नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जिलों को छोड़कर पूरे प्रदेश में है। दोनों जिलों के कोषालय अधिकारियों ने इस गड़बड़ी को पकड़ा और वित्त विभाग के संज्ञान में लाए। अगस्त में वित्त विभाग ने इस पर आपत्ति लेते हुए वन विभाग को लिखा कि फॉरेस्ट गार्ड सीधी भर्ती का पद नहीं है, इसलिए उन्हें 5680 का पे-बैंड नहीं दिया जा सकता है।
उनका वेतन मूलभूत नियम 22 A 2 से निर्धारित करें। इसके बाद वन विभाग ने सभी मैदानी अधिकारियों को फॉरेस्ट गार्ड्स को 8 साल में दी गई अधिक राशि की गणना करने और हर माह किस्तों में राशि की वसूली करने के निर्देश दिए थे। जिस आधार पर मैदानी अधिकारियों ने वसूली शुरू कर दी थी। फॉरेस्ट गार्ड्स को वसूली के नोटिस दिए जा रहे थे। बता दें कि ये गड़बड़ी 1 जनवरी 2006 से 8 सितंबर 2014 के बीच भर्ती हुए वनरक्षकों की सैलरी में हुई है। फॉरेस्ट गार्ड्स से डेढ़ से 5 लाख रुपए तक की वसूली की जानी थी। इस राशि पर 12 प्रतिशत ब्याज भी देना पड़ता।
वनमंत्री-अधिकारियों से मिले फॉरेस्ट गार्ड्स
वसूली के आदेश जारी होते ही फॉरेस्ट गार्ड्स वनमंत्री रामनिवास रावत, वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव एवं अन्य अधिकारियों से मिले और वसूली पर रोक लगाने की मांग की थी। मंत्री और वन बल प्रमुख ने फॉरेस्ट गार्ड्स को भरोसा दिलाया था कि वसूली नहीं की जाएगी।
पुनर्विचार का प्रस्ताव शासन को भेजा
वसूली को लेकर फॉरेस्ट गार्ड्स के विरोध के बाद वन मुख्यालय ने वित्त विभाग के निर्देशों पर पुनर्विचार के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। जिसमें फॉरेस्ट गार्ड्स के लिए 5680+1900 के वेतनमान पर सहमति का अनुरोध किया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी वन अधिकारी फॉरेस्ट गार्ड्स को 5680+1900 का वेतनमान देने का प्रस्ताव शासन को भेज चुके हैं, पर वित्त विभाग ने अधिकारी नहीं माने और वसूली निकाल दी।
फिर तो रिकवरी होगी
वित्त विभाग ने फॉरेस्ट गार्ड्स भर्ती के मूलभूत नियम 22 A 2 के तहत वेतन का निर्धारण करने को कहा है। वसूली पर रोक जरूर लगाई गई है, पर इसे खारिज नहीं किया गया है। यदि इसके तहत गणना की गई, तो फॉरेस्ट गार्ड्स से वसूली होना तय है।
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