बड़वानी जिले के ग्राम ओसाडा के 75 प्रतिशत दृष्टिबाधित वेरसिंग डुडवे ने अकेले दम पर दो साल में 40 फीट गहरा कुआं खोद डाला। साथ ही उन्होंने अपने हाथों से एक कच्चा मकान भी बनाया, जहां वे अकेले रहते हैं।
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गांव वालों ने उड़ाया मजाक, परिवार ने नहीं दिया साथ
वेरसिंग रोजाना 2-3 घंटे काम करते थे। गांव वालों ने मजाक उड़ाया और परिवार का साथ भी नहीं मिला, लेकिन वे अपने लक्ष्य से नहीं हटे। चट्टानी इलाके में उन्होंने सही जगह चुनी और सफल रहे। वेरसिंग की प्राथमिक शिक्षा बड़वानी के बंधान के शासकीय दिव्यांगजन विद्यालय से हुई है। वर्तमान में वे दिव्यांगता पेंशन पर निर्भर हैं, जिसके लिए उन्हें हर बार 5 किलोमीटर दूर बैंक जाना पड़ता है।
2 साल तक कुएं की खुदाई की
ग्रामीण सूरज सस्ते ने बताया कि आमतौर पर एक कुएं को खोदने के लिए 4-5 लोगों की जरूरत होती है, लेकिन मैंने यह काम अकेले किया है। अब इस कुएं का इस्तेमाल परिवार खेती के लिए कर रहा है। अब एक नए कुएं की खुदाई कर रहा हूं, जो पीने के पानी के लिए होगा।
ग्रामीणों का कहना है कि वेरसिंग जो ठान लेते हैं, उसे करके दिखाते हैं।
दूसरे के खेतों में करते है काम
वेरसिंग दृष्टिबाधित होने के बावजूद वे खुद अपना खाना पकाते हैं और दूसरों के खेतों में भी काम करते हैं। उन्होंने नालों और खेतों से पत्थर इकट्ठा कर झोपड़ी बनाई, जो हवा-आंधी में टूट गई। फिर दूसरी झोपड़ी बनाई और अब पीने के पानी के लिए एक और कुआं खोद रहे हैं।
विकलांगता योजना के तहत मिलते है 600 रुपए
सरकारी सहायता की बात करें तो वीरसिंह को विकलांगता योजना के तहत महज 600 रुपए प्रति माह और 5 किलो राशन मिल रहा है। उन्हें न तो प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है और न ही कपिलधारा के तहत कुआं निर्माण की सहायता। कई बार सरपंच और सचिवों को बताने कराने के बावजूद कोई अन्य सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया है।
वेरसिंग ने खेतों से पत्थर इकट्ठा कर झोपड़ी बनाई है जो हवा-आंधी से टूट गई।
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