शहर में दीपावली पर्व पर हिंगोट युद्ध के बैन की मांग को लेकर निकाली गई रैली।
प्यारे भैया न चलाओ हिंगोट, चलो मिटाओ दिलों की खोट, अब न चलाना तुम हिंगोट, हमारे दिलों की यही है दुआ, न उड़े अब हिंगोट का धुआं, शहरवासियों की यही पुकार, हिंगोट न चलाओ अबकी बार, हम पर रहम करो, खूनी हिंगोट बंद करो। इस तरह नारे लिखी तख्तियां थाम सोमवार दो
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जो मुख्यमार्ग से होकर मोटी माता चौराहे, रामदेव मंदिर, पाला बाजार और चंचल चौराहा होते हुए फिर वापस झंडा चौक पर पहुंची। जहां दीपावली पर चलने वाली हिंगोट पर पूरी तरह से प्रतिबंध की मांग की गई। इस दौरान पुलिस प्रशासन क्षेत्रीय विधायक राजन मण्डलोई, नगर पालिका अध्यक्ष अश्विनी चौहान, भाजपा जिलाध्यक्ष कमल नयन इंग्ले सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए।
हिंगोट युद्ध के खिलाफ शहर में पुलिस प्रशासन ने निकाली रैली।
हिंगोट खेल से हर साल लोग होते हैं घायल
गौरतलब है कि दीपावली पर्व पर हिंगोट युद्ध का खेल दीपावली पर्व पर खेला जाता है। शहर में यह खेल वर्षो से चलता आ रहा है। हिंगोट युद्ध में युवाओं का झुंड आतिशबाजी को युद्ध के सामान इस्तेमाल करता है। हिंगोट विस्फोट होने के बाद अक्सर आसपास के लोग घायल हो जाते हैं। जिससे उनकी मौत भी हो सकती है। इसे लेकर पिछले दिनों नागरिकों ने कलेक्टर, एसपी सहित जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपे थे। जिसमें हिंगोट युद्ध रोक की मांग की गई थी।
पुलिस प्रशासन के साथ सामाजिक संगठनों ने हाथों में तख्तियां लेकर सड़क पर हिंगोट को लेकर लोगों को जागरूक किया।
जानिए हिंगोट युद्ध के बारे में
हिंगोट एक तरह का फल होता है। इसे कच्चा तोड़कर लाया जाता है। इसके बाद एक ओर से बारीक सुराख करके उसके अंदर का सारा सारा हिस्सा बाहर निकाल दिया जाता है। जब वह अंदर से पूरा खाली हो जाता है। तभी उसमें बारूद और अन्य सामग्री मिलाकर सुराख को बंद कर दिया जाता है। जब इसे चलाया जाता है तो यह तेज रफ्तार से जाती है और जिसे भी लगती है गंभीर रूप से घायल कर देती है।
शहर में हर साल हिंगोट के कारण कई लोग गंभीर तौर पर जख्मी हो चुके हैं। वहीं इससे विवाद की स्थिति भी कई बार बनती है। ऐसे में हर साल दीपावली के पहले ही इसके उपयोग पर प्रशासन द्वारा जिलेभर में प्रतिबंध लगाया जाता है।
पिछली बार बालक हुआ था गंभीर घायल
पिछले साल एमजी रोड पर एक बालक के सिर में हिंगोट लगने पर सिर की हड्डी क्रेक हो गई थी और ब्रेन में समस्या आई थी। इंदौर में करीब 2 माह तक बालक का इलाज चला। उसके बाद उसका स्वास्थ्य सामान्य हो पाया। इस बार दीपावली के पहले ही नागरिकों ने हिंगोट पर पूरी तरह से रोक के लिए आंदोलन विरोध शुरू किया है।
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बड़वानी में हिंगोट युद्ध कुप्रथा पर रोक की मांग
बड़वानी जिले में दीपावली पर्व के दौरान हिंगोट युद्ध की कुप्रथा बंद कराने को लेकर मंगलवार सुबह 10 बजे झंडा चौक से कारंजा चौराहे तक जन जागरूकता रैली निकाली गई। इस दौरान आम नागरिक, सामाजिक संगठन, महिलाएं, स्कूली बच्चे और बुजुर्ग भी इस रैली का हिस्सा बने। पूरी खबर पढ़ें
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