ढाका34 मिनट पहले
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जॉय बांग्ला नारे को कवि काजी नजरुल इस्लाम की कविता से लिया गया है।
बांग्लादेश में जॉय बांग्ला को राष्ट्रीय नारा नहीं माना जाएगा। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेशी सरकार ने हाल ही में इसे लेकर आदेश जारी किया है। बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान ने 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस नारे का व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया था।
डेली स्टार के मुताबिक, बांग्लादेशी सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस सरकारी आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राष्ट्रीय नारा सरकार की पॉलिसी का मामला है और न्यायपालिका को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
बता दें कि जॉय बांग्ला नारा कवि काजी नजरुल इस्लाम की कविता से लिया गया है। उन्होंने 1922 में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लिखी एक कविता में इसका जिक्र किया था। 1971 में बांग्लादेश स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इसका इस्तेमाल युद्धघोष की तरह किया गया था।
शेख मुजीबुर्रहमान ने पाकिस्तानी सेना से मुकाबला करने के लिए 1971 में जॉय बांग्ला (बांग्ला की जीत) नारे का व्यापक इस्तेमाल किया था। तस्वीर- रॉयटर्स
2020 में हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय नारा घोषित किया था
बांग्लादेश बनने के बाद नजरुल इस्लाम को बांग्लादेश के राष्ट्रीय कवि की उपाधि से सम्मानित किया गया। बांग्लादेश की आजादी के तुरंत बाद जॉय बांग्ला को नए देश का राष्ट्रीय नारा बना दिया गया। हालांकि, 1975 में शेख मुजीब की हत्या के बाद खोंडेकर मुस्ताक अहमद बांग्लादेश के राष्ट्रपति बने तो उन्होंने बांग्लादेश जिंदाबाद नारे का इस्तेमाल किया।
2017 में बांग्लादेश हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें जॉय बांग्ला को देश का राष्ट्रीय नारा घोषित करने की मांग की गई थी। 10 मार्च, 2020 को हाई कोर्ट ने जय बांग्ला को देश का राष्ट्रीय नारा घोषित कर दिया।
2 मार्च 2022 को शेख हसीना की अवामी लीग सरकार ने सभी सरकारी कार्यालयों और सरकारी समारोह में इसे बोलना अनिवार्य कर दिया था।
नोट से शेख मुजीब की तस्वीर हटाने की तैयारी
बांग्लादेशी में करेंसी नोट से भी शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर हटाने की तैयारी की जा रही है। ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक, बांग्लादेश सेंट्रल बैंक नए नोट छाप रहा है, जिनमें जुलाई के हिंसक प्रदर्शन की तस्वीरें होंगी। अंतरिम सरकार के निर्देश पर 20, 100, 500 और 1,000 टका के नए बैंक नोट छापे जा रहे हैं।
बांग्लादेश में शुरुआती चरण में चार नोटों से शेख मुजीब की तस्वीर हटाई जा रही है। बाकी को अलग अलग चरण में बदला जाएगा।
पहले राष्ट्रपति से जुड़ी निशानियों पर भी हमला
अगस्त 2024 को बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से लगातार शेख मुजीब की जुड़ी निशानियों पर हमला किया जा रहा है। ढाका में शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को तोड़ा गया और कई सार्वजनिक स्थानों पर लगी उनकी नेमप्लेट को हटाया गया। अंतरिम सरकार ने आजादी और संस्थापक से जुड़े दिनों की 8 सरकारी छुट्टियां भी कैंसिल कर दी थी।
शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति थे। वह 17 अप्रैल 1971 से लेकर 15 अगस्त 1975 तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे थे।
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