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बांधवगढ़ में कैसे हुई 10 हाथियों मौत: वन विभाग खेतों में कोदो की फसल जला रहा; एक्सपर्ट बोले-जहरीली नहीं ये फसल – Madhya Pradesh News

बांधवगढ़ नेशनल पार्क में दो दिन में 10 हाथियों की मौत का रहस्य अब भी बरकरार है। वन विभाग की टीम मौत का वास्तविक कारण पता नहीं लगा सकी है। महकमा प्रारंभिक रूप से कोदो की फसल को ही जिम्मेदार मान रहा है। हाथियों में कोदो से जहर फैलने की आशंका के चलते अब

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वन विभाग खेतों में कोदो की फसल को आग लगा रहा है।

हाथियों की मौत के रहस्य से जुड़े तमाम सवालों पर हमने स्थानीय लोगों, वन विभाग के जिम्मेदार अफसरों और एक्सपर्ट्स से बात की।

पढ़िए इस ग्राउंड रिपोर्ट में… बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 10 हाथियों की माैत को दो दिन बीत चुके हैं। इलाके में अजब सी खामोशी पसरी है। वन विभाग की आवाजाही से ये खामोशी टूटती है। वन विभाग की टीम यहां 31 अक्टूबर से खेतों में लगी कोदो की फसल को नष्ट करा रही है। महकमे के आला अफसरों के आदेश हैं इसलिए मातहत अफसर भी बिना सवाल किए हुक्म बजा रहे हैं।

गांव वालों को अपनी सूखी फसल जो कट चुकी थी उसको उठाने नहीं दिया गया। अभी तक लोगों को उनके खेत को नष्ट करने के संबंध में भी कोई ऑफिशियल जानकारी नहीं दी गई है और न ही फसल के मुआवजे के बारे में बताया गया है।

दरअसल, सलखनिया गांव में पिछले कई सालों से धान, गेहूं, कोदो के साथ अन्य फसलों की खेती हो रही है। ग्रामीण अक्सर अपने खेतों की मेढ़ों या अच्छी खेती के अनुकूल न होने वाली पड़त की जमीन यानी खाली पड़ी जमीन पर कोदो की फसल लेते रहे हैं।

इसी गांव में हमें किसान राजेंद्र सिंह मिले। हमने उनसे विस्तार से बात की और ये जानने की कोशिश की कि क्या वाकई किसानों के मवेशियों की मौत भी कभी कोदो की वजह से हुई है या नहीं। किसान खेतों में उर्वरक का उपयोग करते हैं या नहीं।

एक्सपर्ट ने कहा- 81 साल उम्र है, कोदो से किसी को मरते नहीं देखा परंपरागत खेती के विशेषज्ञ पद्मश्री बाबूलाल दहिया कहते हैं कि मेरी उम्र 81 साल है। मैं जब से समझने योग्य हुआ हूं तब से यह देख रहा हूं कि कोदो हमारे आदिवासी और ग्रामीण समाज में कई जगहों पर मुख्य रूप से खाई जाती है। पर मैंने आज तक कभी भी कोदो खाकर किसी को मरते हुए न देखा न सुना।

कोदो में कई बार कुछ फसल में फंगस लग जाता है, लेकिन उससे भी मौत नहीं हो सकती। वो इतना जहरीला नहीं होता है। फंगस वाली कोदो खाने से कई बार नशा सा लगता है। नींद आने लगती है, लेकिन मौत संभव नहीं । कोदो खाने की वजह से किसी हाथी की मौत हो ऐसा लगता नहीं है।

पुष्पराज सिंह कहते हैं बांधवगढ़ का हाथियों को रखने का अनुभव नहीं रहा है। इसलिए हमें प्रोजेक्ट एलिफेंट से इनके संबंध में मदद लेनी चाहिए थी।

ऐसा लगता नहीं है कि कोदो को खाने से हाथियों की मौत हो सकती है। कई सालों से हाथी वाले क्षेत्रों में कोदो की पैदावार होती आई है। बांधवगढ़ में हाथियों की मौत को लेकर हमें बहुत ही स्पष्ट जांच करनी चाहिए क्योंकि यह जांच हमारे आगे के भविष्य के लिए बहुत ही उपयोगी और जरूरी होगी।

हाथियों के लिवर, फेफड़े और आंतें डैमेज डॉक्टरों ने बताया कि हाथियों के पेट से बड़ी मात्रा में कोदो मिला है। कोदो में फंगस लगने से टॉक्सिन बनते हैं, जो जहरीले होते हैं। पीएम के दौरान हाथियों के लिवर, फेफड़े और आंतें डैमेज मिली हैं। किडनी भी इन्फेक्टेड मिली है। आशंका है कि फंगस लगी फसल हाथियों ने खाई हो। हालांकि, अभी सटीक कारण नहीं पता चला है। जांच की जा रही है।

बांधवगढ़ में हाथियों की मौत से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए…

बांधवगढ़ में मल्टीपल-ऑर्गन डैमेज से हुई 10 हाथियों की मौत

उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में तीन दिन में 10 हाथियों की मौत मल्टीपल ऑर्गन डैमेज होने से हुई थी। पीएम के दौरान हाथियों के पेट में बड़ी मात्रा में कोदो मिला है। अफसरों का मानना है कि फंगस लगे कोदो से माइको नाम का टॉक्सिन बनता है, जो हाथियों के लिए खतरनाक है। इसके बाद वन विभाग ने सभी परिक्षेत्र में कोदो की फसल दो दिन में नष्ट करवाने के आदेश दिए हैं। पढ़ें पूरी खबर…

बांधवगढ़ में 10वें हाथी की मौत, जंगल में बेहोश होकर गिर पड़ा​​​​​​​

बांधवगढ़ नेशनल पार्क में गुरुवार को दो और हाथियों ने दम तोड़ दिया। दोपहर में 9वें हाथी और शाम को दसवें हाथी की मौत हुई। मामले में एसटीएफ ने डॉग स्क्वॉड की मदद से 7 खेतों और 7 घरों की तलाशी ली है। 5 लोगों से पूछताछ भी की। घटनास्थल से 5 किमी के दायरे में छानबीन की जा रही है। वेटरनरी डॉक्टरों का कहना है कि मौत का कारण फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट के बाद ही पता चल पाएगा।​​​​​​​ पढ़ें पूरी खबर…

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