घर-धर तुलसी माता और शालिग्राम का पूजन किया गया।
बीना और खुरई में मंगलवार को देवउठनी एकादशी मनाई गई। चार महीने के बाद भगवान जागे। इसके बाद शुभ कार्य शुरू हो गए हैं। साथ ही, बाजारों में देर रात तक लोगों ने गन्ने खरीदे।
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गन्ने का मंडप बनाकर लोगों ने की पूजा
रात में लोगों ने बाजारों में गन्ने की खरीदी की। इसके बाद घरों में लोगों ने गन्ने का मंडप बनाकर उसके नीचे आंवले, बेर, हरे चने, मूंगफली आदि रखकर पूजा कर परिक्रमा लगाई। वहीं, मंदिरों में उठो देव के जयकारों के साथ घर-घर में भी देव उठाए। बाजारों में पूजन सामग्री के साथ शादी के सामान खरीदने वालों की भीड़ लगी रही।
बाजारों में देर रात तक सामान की खरीदी चलती रही।
घर-घर उठाए देवता
गांधी वार्ड निवासी सुनीता राय ने बताया कि घर-घर में देवता को उठाया गया। घरों में दीवार पर देवों की प्रति उकेर कर महिलाओं ने एकजुट होकर देवों को जगाया। भजन गाकर नमन किया। घर की सुख शांति की कामना की। इस मौके पर गन्ने, सिंघाडे, घर में बने भोजन से देवों को भोग लगाया गया। यही प्रसाद आस-पड़ोस और अन्य लोगों में भी वितरित किया गया।
पंडित मनोहर पांडेय ने बताया कि मान्यता अनुसार देवशयनी एकादशी के बाद चार महीने तक मांगलिक कार्य बंद रहते हैं। यह अवधि चातुर्मास कहलाती है। देवउठनी एकादशी से ही विवाह मुहूर्त फिर से शुरू हो जाते हैं।
देर रात तक गन्नों की खरीदी चलती रही।
घरों में लोगों ने तुलसी विवाह संपन्न कराया।
तुलसी माता का आकर्षक श्रृंगार किया गया।
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