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ये बातें भोपाल शाहजहांनाबाद के आसरा वृद्धाश्रम में रहने वाली 65 साल की महिला ने एक वीडियो में कही। ये इकलौता वीडियो नहीं है। ऐसे तीन वीडियो आश्रम की महिलाओं ने बनाए हैं। वीडियो भोपाल के कुछ समाजसेवियों के पास पहुंचे तो उन्होंने कलेक्टर से शिकायत की। यहां रहने वाले बुजर्गों का कहना है कि उनके पेंशन के रुपए छीन लिए जाते हैं, मारपीट की जाती है। सामान चोरी कर लिए जाते हैं। अपनों से ठुकराए जाने के बाद ये सहारे की आस में यहां आए और यहां भी मिल रहा है सिर्फ तकलीफ और तिरस्कार।
क्या है पूरा मामला, आखिर क्यों बुजुर्गों को आवाज उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा और अब प्रशासन क्या कार्रवाई कर रहा है…
पढ़िए पूरी रिपोर्ट-
80 बुजुर्गों के लिए आसरा वृद्धाश्रम ही अब बुढ़ापे का आखिरी सहारा है। जब हमारी टीम आसरा पहुंची तो कुछ बुजुर्ग समूह में तो कुछ अपने आप में खोए हुए से अकेले बैठे नजर आए। यहीं शिकायतों के बाद एसडीएम आदित्य जैन जांच के लिए भी पहुंचे थे।
अफसरों ने शिकायत की जांच के लिए कुछ बुजुर्गों से बात की।
साहब कपड़े चोरी हो जाते हैं…
वीडियो वायरल होने के बाद कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बैरागढ़ एसडीएम आदित्य जैन को जांच के लिए आसरा भेजा। जैन ने कमरे में बुजर्गों से बात की। इस दौरान प्रबंधन के लोग भी मौजूद थे।
इस दौरान पूछने पर बुजुर्गों ने बताया कि हमारे कपड़े चोरी हो जाते हैं। वीडियो वायरल करने वाली बुजुर्ग लक्ष्मी ने बताया कि मैंने वीडियो से शिकायत की थी, क्योंकि सफाई कर्मचारी ने मुझ पर एक किलो दाल चोरी करने का आरोप लगा दिया था। इससे मैं बहुत दुखी थी, इसलिए शिकायत की। पूछताछ में अन्य बुजुर्गों ने कपड़े चोरी होने की शिकायत की, वहीं वीडियो जारी करने वाली दूसरी महिला ने कहा कि मुझे सब्जी काटने के लिए नीचे बैठने को कहते हैं, मेरे घुटनों में दर्द है। मैं बैठ नहीं पाती। बुजुर्गों ने कपड़े चोरी होने, बाथरूम गंदे होने, सीवेज लाइन चोक होने की शिकायत भी की।
एसडीएम ने कहा-मारपीट की शिकायत नहीं, भोजन-इलाज की परेशानी नहीं
बयान तैयार कर बुजुर्गों का अंगूठा लगवाने के बाद एसडीएम जैन बाहर आए तो उन्होंने बताया कि बुजुर्गों से बात हुई है, उन्हें यहां खाने–पीने में कोई समस्या नहीं है। इलाज भरपूर मिल रहा है, पेंशन भी मिलती है।
जब उनसे पूछा गया कि महिलाओं ने नाम लेकर आरोप लगाया है कि सफाई कर्मचारी मारती हैं, चोरी करती हैं तो इस पर एसडीएम ने कहा कि उन्होंने मारपीट की शिकायत नहीं की है।
महिलाओं के गुहार के वीडियो, जांच की प्रक्रिया देखने और अधिकारियों के जाने के बाद भास्कर ने पड़ताल की तो अलग ही सच सामने आया।
‘आश्रम क्या है उनका एक धंधा है’
60 साल की भगवती बाई का कहना है कि यहां हम पर बहुत अत्याचार हो रहा है। कर्मचारी मारपीट करती है, मैडम तो सुनती नहीं हैं, कुछ शिकायत करने जाओ तो कहती हैं कि जाओ मारो तुम भी , उसे कहती हैं(कर्मचारी को) तुम भी मारो…।
जो सच कहते हैं उसे ज्यादा दबाते हैं। आश्रम क्या है, उनका एक धंधा है। बिजनेस है दद्दू लोगों के लिए।
‘डर के मारे कोई कुछ नहीं कहता’
आश्रम के पार्क में बैठे कुछ बुजुर्गों से आम नागरिक की तरह बातचीत शुरू की तो वह खुलते चले गए…। कुछ लोगों ने कहा कि कर्मचारी पीटते हैं, पायल चोरी कर ली। हमने पूछा कि आपने सामने तो कुछ बोला नहीं। तो जवाब मिला कौन बोले- निकालने की धमकी देते हैं। सब डरे हुए हैं। डर के मारे कोई कुछ नहीं बोलता।
घर से पैसे आते हैं तो पता लग जाता है, निकाल लेते हैं। निकालने वाला कौन है यह मालूम नहीं पड़ता। साहब लोग आते रहेंगे तो सब समस्या हल हो जाएगी।
बजबजाते बाथरूम, टूटी खिड़कियां
एंट्रेस गेट के दाएं ओर बीमार बुजुर्गों के लिए वार्ड हैं। यहां कुछ बुजुर्ग कंबल ओढ़कर लेटे हुए थे, तो एक ठंड से कांप रहे थे। हाॅल बहुत ठंडा था, इसके बावजूद हाल में पंखा भी चल रहा था। कर्मचारियों से पूछा तो उन्होंने कहा कि पोंछा लगाने के बाद बंद नहीं कर सके। बाथरूम बेहद गंदे थे, लेकिन इसी दौरान देखा कि बेड के पास में लगी खिड़कियों के कांच टूटे हुए हैं, जिनसे हवा आ रही थी।
वृद्धाश्रम की कई खिड़कियों में कांच नहीं था। बुजुर्गों ने बताया टूट गया है।
कई बुजुर्ग बोले- हमें नहीं मिलती पेंशन
एक ओर वृद्धाश्रम के प्रबंधक और प्रशासन के अधिकारी कह रहे हैं कि यहां सभी बुजुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन मिल रही है, इधर भास्कर ने पड़ताल की तो कई बुजुर्गों ने पेंशन नहीं मिलने की बात कही।
रोगी वार्ड में मौजूद अल्ताफ ने बताया कि कहीं आसरा नहीं मिली तो यहां आ गए। बच्चे नहीं हैं, वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिलती है। दूसरे बुजुर्ग संजय जैन ने बताया कि मैं कोहेफिजा का रहने वाला हूं, शादी नहीं की है। छोटे भाई की शादी हुई है। मेरे भतीजे हैं। भतीजे ने यहां छोड़ दिया। वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिलती।
‘आई नीड लिटिल बिट ऑफ डिटाॅल.. नथिंग मोर’
वार्ड में तकलीफ में घूम रहे बुजुर्ग ने कहा- मुझे हाइड्रोसील की प्राॅब्लम है। नीचे पसीना जम जाता है। आई नीड ए लिटिल बिट ऑफ डिटाॅल। प्राॅब्लम हो जाती है। आई एम ए एडवोकेट, एडवोकेट विजय कुमार फ्रांसिस ….। आई हैड बीन प्रैक्टिसिंग इन नागपुर हाइकोर्ट। आई हैड अपॉरच्युनिटी ऑफ प्रिजेटिंग बिफोर सुप्रीम कोर्ट आलसो…।
मैंने स्वेटर दी, बुजुर्गों से वापस ले ली…क्या कर सकती हूं
संगम टाॅकीज के पास ऊनी कपड़ों की दुकान लगाने वाली एक तिब्बती महिला ने वृद्धाश्रम के बुजुर्गों की सहायता के लिए सभी बुजुर्गों को स्वेटर वितरित किए। कर्मचारियों को बुरा ना लगे इसलिए उन्हें भी स्वेटर दिए। बुजुर्गों को अपने सामने नाप के अनुसार स्वेटर पहनाए, लेकिन इस दानदाता के जाते ही कर्मचारियों ने सभी बुजुर्गों से नए स्वेटर उतरवा लिए।
दैनिक भास्कर ने इस विक्रेता से संपर्क किया। महिला बोली- मैं बाहर की हूं, लफड़े में नहीं पड़ सकती। मैने मदद करने के लिए काम किया। अब कुछ नहीं कहना है।
बार–बार पूछने पर एक बार वे बोलीं- मैंने बुजुर्गों को स्वेटर दी थी, लेकिन मुझे बताया गया कि सब वापस ले ली…। मैं क्या कर सकती हूं।
घर में भी बर्तन खड़कते हैं- व्यवस्थापिका
यहां की व्यवस्थापिका राधा चौबे से जब हमने उन पर लगे आरोपों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि कोई बड़ा मामला नहीं है। उन्होंने अपने स्तर पर कार्रवाई भी की है।
35 साल में कभी नहीं लगे आरोप, सब झूठ हैं
गांधी भवन ट्रस्ट के सचिव दयाराम नामदेव ने आसरा पर लगे आरोपों पर दैनिक भास्कर से बात करते हुए बताया कि यह आरोप पूरी तरह निराधार और असत्य हैं।
जब उनसे पूछा गया कि दो से तीन महिलाओं ने आरोप लगाएं हैं तो उन्होंने कहा कि सब आरोप गलत हैं। 41 महिलाएं हैं, यही आपस में लड़ती हैं और चोरी का आरोप लगा देती हैं, जिन कर्मचारियों पर आरोप लगे थे उनकी ड्यूटी बदल दी है।
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