Newsweek की रिपोर्ट कहती है कि द ग्रेट रेड स्पॉट (GRS) एक तूफान द्वारा बनाई गई आकृति है जो धब्बे के रूप में नजर आती है। Geophysical Research Letters नामक जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, खगोल वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि यह जितना पुराना माना जाता था, उतना पुराना असल में है नहीं। Giovanni Cassini ने ऐसे ही एक धब्बे को सैकड़ों सालों पहले पर्मानेंट स्पॉट नाम दिया था। वो पहले व्यक्ति थे जिसने द ग्रेट रेड स्पॉट को ऑब्जर्व किया था। यह जुपिटर के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित है।
कुछ लोग ये भी मानते हैं कि Cassini ने जुपिटर पर किसी अन्य, इससे भी बड़े स्पॉट को देखा होगा। जिसे उन्होंने पर्मानेंट स्पॉट नाम दिया होगा। 1600 ईसवी से इसके बारे में रिसर्च होती चली आ रही हैं यह पता लगाने के लिए कि असल में यह कब से मौजूद है और कैसे बना है।
University of the Basque Country में स्टडी के को-ऑथर Agustin Sanchez-Lavega के एक बयान के मुताबिक, इसके आकार और गतिविधियों को ऑब्जर्व करके उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि इसकी बहुत अधिक संभावना नहीं है कि वर्तमान ग्रेट रेड स्पॉट कैसिनी द्वारा देखा गया पर्मानेंट स्पॉट ही था। कहा गया है कि शायद 1800 से 1900 के बीच में पर्मानेंट स्पॉट गायब हो गया था। इसलिए ग्रेट रेड स्पॉट का जन्म आज से लगभग 200 साल पहले हुआ होगा। वर्टीकली यह 500 किलोमीटर लम्बा है।
ग्रेट रेड स्पॉट के बारे में वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि यह एक बड़े तूफान के उठने से बना होगा। जैसे कि शनि ग्रह पर भी देखा जाता है। खोज में पाया गया है कि हवा की कुछ खास परिस्थितियों में एक स्टॉर्म सेल बना होगा जिसने हवाओं को कैद कर लिया और प्रोटो ग्रेट रेड स्पॉट का जन्म हुआ। बहरहाल, खगोल शास्त्री इस रेड स्पॉट के बारे में और अधिक स्टडी कर रहे हैं। नासा का जूनो मिशन भी खासतौर पर बृहस्पति ग्रह के बारे में जानकारी जुटाने निकला है। संभावना है कि जल्द ही वैज्ञानिक इस धब्बे के बारे में भी सटीक जानकारी जुटा लेंगे।
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2024-06-22 09:25:58
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