बेटी की सफलता की रुकावट नहीं बन पाई पिता की गरीबी, मजदूरी की लाडली ने नेटबॉल में बनाई अलग पहचान
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अंबिकापुर के किसान की बेटी प्रीति मिंज ने नेटबॉल में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है. सरगुजा के कोच राजेश प्रताप सिंह की कोचिंग से वह 37वीं राष्ट्रीय जूनियर नेटबॉल चैंपियनशिप में भाग ले रही है.
नेटबॉल चैम्पियनशिप
हाइलाइट्स
- प्रीति मिंज ने राष्ट्रीय स्तर पर नेटबॉल में पहचान बनाई.
- प्रीति मिंज 37वीं राष्ट्रीय जूनियर नेटबॉल चैंपियनशिप में भाग ले रही है.
- प्रीति मिंज ने अपनी सफलता का श्रेय कोच राजेश प्रताप सिंह को दिया.
अम्बिकापुर. आज हम आपको एक बेटी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने परिश्रम के बल पर ऐसे मुकाम पर पहुंच गई है कि उसे देखकर हर कोई गर्व महसूस करता है. उसका नाम प्रीति मिंज है और वह अंबिकापुर के समनिया की रहने वाली है. उसके पिता एक किसान हैं, जिन्होंने अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए पहले सरगुजा के जाने-माने कोच राजेश प्रताप सिंह का सहारा लिया. समनिया के इस किसान की बेटी अंबिकापुर में किराए के मकान में रहती थी. पढ़ाई के साथ-साथ खेल पर ध्यान केंद्रित करने और अपनी मेहनत व लगन के कारण वह अब नेटबॉल में राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बन गई है.
आपको बता दें कि सरगुजा जिला नेटबॉल संघ उत्कृष्ट कार्य कर रहा है और सरगुजा जिले का मान बढ़ाते हुए छत्तीसगढ़ जूनियर बालिका टीम में सरगुजा से कु. प्रीति मिंज का चयन किया गया है. चयनित छत्तीसगढ़ बालिका ट्रेडिशनल नेटबॉल टीम 37वीं राष्ट्रीय जूनियर नेटबॉल चैंपियनशिप प्रतियोगिता में भाग ले रही है, जो भिवानी, हरियाणा में 23 से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित होगी.
पढ़ाई के साथ खेल में होना चाहिए रुचि
ऐसे में सरगुजा जिले में नेटबॉल खेल का भविष्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है. किसान की बेटी कु. प्रीति मिंज, जो अंबिकापुर में किराए के मकान में रहकर गांधी स्टेडियम, अंबिकापुर में खेल का अभ्यास करती है. इसका एक बेहतरीन उदाहरण है. ऐसे में गांव से शहर में रहकर पढ़ने वाले बालक-बालिकाओं को पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी अपनी रुचि और प्रतिभा दिखानी चाहिए.
हौसल बुंलद होना चाहिए
वहीं प्रिती मिंज ने अपनी सफलता का श्रेय अपने कोच राजेश प्रताप सिंह को दिया. उन्होंने बताया कि नेटबॉल की खिलाड़ी हूं और अभी मैं हरियाणा में नेटबॉल खेलने आई हूं. मेरे कोच राजेश प्रताप सिंह ने मुझे कोचिंग दी जिस वजह से मैं इतनी आगे तक खेलने आई हूं. उन्होंने कहा मैं सुबह शाम तीन घंटे अभ्यास करती हूं. मुझे खेल में बहुत रूचि है अगर कोई बालिका खेल में अपना भविष्य बनना चाहे तो भविष्य बन सकता है. वहीं अगर आप गरीब हैं तो हौसला बुलंद होना चाहिए मंजिल खुद ब खुद चलकर आती है जैसे एक किसान की बेटी ने मिसाल कायम करते हुए राष्ट्रीय जुनियर नेटबॉल चैम्पियनशिप में खेलने का मौका मिला है.
Ambikapur,Surguja,Chhattisgarh
March 03, 2025, 14:38 IST
बेटी की सफलता की रुकावट नहीं बन पाई पिता की गरीबी, नेटबॉल में बनाई अलग पहचान
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