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बैंक ने खो दी ग्राहक की रजिस्ट्री: उपभोक्ता फोरम का आदेश- किसान को 30 हजार रुपए दें, डूप्लीकेट कॉपी भी बनवाएं – Guna News

जिले के मधुसुदनगढ़ के एक बैंक ने ग्राहक द्वारा लोन लेने के लिए बैंक में रखी रजिस्ट्री खो दी। ग्राहक ने जब वापस मांगी तो बैंक के अधिकारी आनाकानी करने लगे। ग्राहक ने उपभोक्ता फोरम में केस किया।

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फोरम ने इसे बैंक की गलती मानते हुए ग्राहक को 30 हजार रुपए अदा करने का आदेश दिया। साथ ही यह भी आदेश दिया कि रजिस्ट्री की डूप्लीकेट कॉपी निकलवाने में उसकी मदद करें और उसका खर्चा भी बैंक ही भुगतान करे। फोरम ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया।

यह था मामला

दरअसल, मधुसुदनगढ़ के रहने वाले प्रेमनारायण पिता जमनालाल साहू ने उपभोक्ता फोरम में परिवाद दर्ज किया था। 13 अगस्त 2020 को प्रस्तुत किए गए इस आवेदन में उन्होंने बताया कि उन्होंने स्टेट बैंक मधुसुदनगढ़ से मकान के प्लॉट की मूल रजिस्ट्री गारंटी के तौर पर रखकर 50 हजार का लोन लिया था।

उन्होंने टाइम पीरियड में ही लोन की राशि जमा कर दी। उन्हें दूसरी संस्था से 15 लाख का और लोन लेना था, तो उन्होंने बैंक से अपनी रजिस्ट्री की कॉपी वापस करने के लिए कहा। इस पर बैंक द्वारा बहाने बनाए जाने लगे। जब काफी समय तक उन्हें रजिस्ट्री वापस नहीं की गई तो उन्होंने उपभोक्ता फोरम के केस लगाया गया।

फोरम ने बैंक सहित अन्य लोगों को नोटिस जारी किया। बैंक ने वन जवाब में कहा कि पहले मधुसुदनगढ़ ब्रांच की कार्रवाई ब्यावरा के अंतर्गत आती थी। इसलिए सारे दस्तावेज ब्यावरा बैंक में जमा थे। लेकिन कुछ समय पहले गुना जिले के सभी दस्तावेज गुना भेज दिए गए। जब गुना में दस्तावेज देखे गए, तो वहां नहीं मिले। बैंक का जवाब था कि शायद उनकी रजिस्ट्री किसी दूसरी फाइल में गलती से लग गई।

फोरम ने मानी बैंक की गलती

कोर्ट में सुनवाई के दौरान फोरम ने इसे सेवा में कमी माना। फोरम ने कहा कि आवेदक ने अपनी सभी शर्तें पूरी की थीं। यह बैंक की जिम्मेवारी थी कि लोन की किश्तें पूरी होने के बाद रजिस्ट्री की ओरिजिनल कॉपी आवेदक को वापस की जाए। लेकिन, बैंक ने ऐसा नहीं किया।

इसलिए उपभोक्ता फोरम ने आदेश किया कि बैंक आज दिनांक से 2 माह की अवधि के अंदर आवेदक को ऋण प्रदान करते समय आवेदक द्वारा अपने प्लॉट के बंधक रखे गये मूल विक्रय अभिलेख की सभी पुनर्निर्मित एवं विधिवत प्रमाणित प्रतियां आवेदक के सहयोग से अपने स्वयं के व्यय पर तैयार करायें।

उनकी सत्य और प्रमाणित प्रतियां आवेदक को प्रदान करें। बैंक द्वारा रजिस्ट्री खो देने के एवज में 25 हजार और बाद व्यय की राशि 5 हजार आवेदक को दे। आवेदक को 30 हजार की राशि क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाए। आवेदक की ओर से एडवोकेट पुष्पराग शर्मा ने पैरवी की।

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