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बैतूल पहुंची टीवी एक्ट्रेस उर्वशी उपाध्याय: दैनिक भास्कर से बातचीत में बोलीं- ओटीटी पर वल्गैरिटी सच्चाई का आईना – Betul News

छोटे परदे पर ऐसे कई अदाकारा रही हैं, जिन्हें उनके नेगेटिव रोल की वजह से खूब पसंद किया गया है। उन्ही में से एक हैं एक्ट्रेस उर्वशी उपाध्याय। उर्वशी टीवी की जानी-मानी अदाकारा हैं।वह लंबे समय से एक्टिंग की दुनिया में काम कर रही हैं। इन दिनों उर्वशी कलर्

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इस सीरियल में सास-बहू की नहीं बल्कि दो बहनों की कहानी दिखाई जा रही हैं। इस सीरियल में उर्वशी दीपिका की सास का किरदार निभा रही है। जबकि दीपिका सिंह मंगल की भूमिका निभा रही हैं जो अपनी बहन के लिए एक अच्छे जीवन साथी की तलाश में हैं। जहां उसका खुद का पति उसे हमेशा अपमानित करता रहता है।

खास बात यह है कि मंगल लक्ष्मी की सास उर्वशी बैतूल के सरल परिवार की छोटी बहू है। मंगलवार काे एक पारिवारिक कार्यक्रम में बैतूल पहुंची उर्वशी ने दैनिक भास्कर से पारिवारिक पृष्ठभूमि के सीरियल्स से लेकर ओटीटी प्लेटफार्म के कंटेंट पर चर्चा की।

उर्वशी को एक समय उनके शो मेरी देवरानी में निभाए नेगेटिव किरदार की वजह से पहचान मिली थी। इस सीरियल में वो काफी खतरनाक रोल में थी और हमेशा अपनी देवरानी को परेशान करती रहती थी। लेकिन अब वे सीरियल में मंगल की सास कुसुम सक्सेना का किरदार निभा रही है। हमेशा नेगेटिव किरदार करने वाली उर्वशी इस सीरियल में एक अच्छी सास बनी हैं।

शो में अच्छी सास बनने की प्रेरणा घर से मिली

दैनिक भास्कर से बातचीत में उर्वशी ने बताया कि सीरियल समाज का आइना होते है। जो कुछ समाज में चलता है, उसे ही अच्छी तरह प्रजेंट किया जाता है। मंगल लक्ष्मी का यह शो सास की जो छवि बन गई है, उसे तोड़ने वाला है। मेरे लिए शो करना बहुत आसान है, क्योंकि मुझे मेरे घर से ही प्रेरणा मिल रही है।

मेरी सासू मां खुद किरदार कुसुम के जैसी है, हमेशा सपोर्ट करती है। बहु को हमेशा बेटी मानती है। ये कहने की नहीं करने की भी बात है। एक लड़की जब मायका छोड़ कर आती है तो दूसरा घर अपना लेती है। इस कहानी में भी ऐसा ही है की मंगल ने अपने घर को कितनी अच्छी तरह से संभाला। शो में कुसुम सौम्या को सम्मानपूर्वक उसकी जगह दिखाती है। यह समाज के लिए बहुत अच्छा मैसेज है।

उर्वशी ने दैनिक भास्कर से पारिवारिक पृष्ठभूमि के सीरियल से लेकर ओटीटी प्लेटफार्म के कंटेंट पर चर्चा की।

हम देखकर सीखते है

उन्होंने बताया कि जब पति-पत्नी के बीच कोई तीसरा आ जाता है] तो क्या क्या प्रॉब्लम हो सकते है। घर कैसे बिखर जाता है। जब रामायण देखते हैं, कोई कहता नहीं है कि राम जैसे बनो, रावण जैसे मत बनो। उसे हम देखते है और खुद से सीख जाते है।

शो भी ऐसा ही जिससे बहुत कुछ सीखने और समझने को मिलता है। बहुत से लोग मुझे इंस्टा पर मैसेज करते है कि पहले हमारी सास गुस्सा करती थी। लेकिन, अब शो देखकर उनके व्यवहार में परिवर्तन आया है। इस पर मुझे लगता है कि मेरा काम सफल हो गया।

बनने चाहिए पारिवारिक शो

ऑडियंस फिक्स है, कुछ को सीरियल देखना पसंद है, कुछ सीरियल में भी कॉमेडी देखना चाहते है। हमारी संस्कृति, सभ्यता, ज्वाइंट फैमिली का कॉन्सेप्ट आदि अनादि से चला आ रहा है। पारिवारिक शो बनना चाहिए जिससे आने वाली जेनरेशन को पता चले कि कैसे परिवार में कोई समस्या हो जाए और कैसे उसके सॉल्यूशन निकाले जाते है।

लोगो में सहनशीलता कम हुई

उर्वशी ने कहा कि रिश्ते इसलिए टूट रहे है, क्योंकि लोगों में सहनशीलता का अभाव है। लोग एक दूसरे को नहीं सहन कर पाते। आजकल डिवोर्स के केस पहले से बहुत ज्यादा बढ़ गए है। पर दूसरी दिशा में देखे तो लव मैरिज के केसे भी बहुत बढ़ गए है।

जितने ज्यादा लव मैरिज, उतने ज्यादा डिवोर्स होते है। क्योंकि, लोग प्यार में तुरंत शादी कर लेते है फिर उसे निभा नहीं पाते, एक दूसरे को झेल नहीं पाते। शादी एक ऐसा रिश्ता है, जिसमें पति-पत्नी को एक दूसरे को समझ कर ही रहना पड़ेगा। कोई कम न कोई ज्यादा, दोनों बराबर है। दोनों को एक दूसरे की माइनस प्लस समझकर ही चलना है। संसार में सर्वगुण संपन्न तो कोई नहीं हुआ सभी में कुछ न कुछ कमियां है।

रियलिटी हमेशा वल्गर होती है

उन्होंने बताया कि ओटीटी ने, लॉकडाउन ने पूरा सीनरियो चेंज कर दिया है। 2019 तक डिफरेंट शोज आते थे। 2019 के बाद अचानक ओटीटी प्लेटफार्म पर अच्छे शोज आ रहे है। बड़े स्टार अब नेटफ्लिक्स पर आते है।

बहुत सारी ऐसी सीरीज आई है, जो साथ में बैठकर नहीं देख सकते। पर वह सुपर डूपर हिट हुई है। लोगों ने उसकी कंटेंट वाइज तारीफ भी की है। रियलिटी आपको हमेशा थोड़ी सी वल्गर ही दिखेगी। सत्य हमेशा सुंदर नहीं होता। सत्य कड़वा ही होता है। सत्य जब फेस करना पड़े तो यह मुश्किल ही लगेगा। कंटेंट बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है।

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अच्छा कंटेंट लोगों को पसंद आता है

आज कोई हीरो नहीं, लेकिन आप अच्छा कंटेंट लेकर आते है तो लोगों को पसंद आता ही आता है। आपको चुनना है कि आपको क्या देखना है। लोगों को भी ऐसा ही देखना पसंद आता है। अब लोगों को वो देखना है, जो हमारी कहानी है। वल्गैरिटी को साइड में रखकर।

अगर हम कंटेंट और ओटीटी की बात करने जाते है तो ब्रॉड वे में देखना पड़ेगा। क्योंकि आज लोगों को नया चाहिए। कुछ ऐसा देखना है जो उन्होंने देखा नहीं है। ऐसा देखना है जो उनको उनसे कनेक्ट कर दे। समाज में खुलापन आ गया है।

मैं ओटीटी की हिमायत नहीं कर रही, मेरे भी दो बच्चे है। मैं उनपर वाच रखती हूं। क्या देखते है, दोस्त कैसे है, क्या पढ़ते है। इससे समाज को सीखना पड़ेगा कि अच्छी रीडिंग करो, हर घर में रोज रामायण पढ़ी जानी चाहिए। मैंने हिंदू धर्म, फिलासफी पर मास्टर किया, अब पीएचडी करने जा रही हूं। आप घर के बड़े बुजुर्गों को बदलने की कोशिश मत कीजिए, बदलना आपको है।

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