बैतूल में रविवार को सर्व आदिवासी समाज ने जिला स्तरीय दिवाली, गोठान सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया। जिसमें आदिवासी कलाकारों और आम आदिवासी सदस्यों ने परंपरागत नृत्य, गीत-संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।
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महोत्सव में खंडवा, भोपाल, बालाघाट से भी लोक कलाकारों ने हिस्सा लिया। इस दौरान आदिवासियों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिली। महोत्सव रानी दुर्गावती ऑडिटोरियम में मनाया गया, इस आयोजन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रंगारंग प्रस्तुति दी गई। इससे पहले आदिवासी कलाकारी ने शहर के स्टेडियम क्षेत्र में ठटिया नृत्य और, ढढार का आयोजन किया
सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखना उद्देश्य
आयोजन समिति के सदस्य अविनाश धुर्वे और दुर्गा उइके ने बताया कि महोत्सव में आदिवासी समाज की समृद्ध परंपराओं और रीति-रिवाजों का अद्भुत प्रदर्शन किया गया। जिसमें समाज के लोगों ने परंपरागत नृत्य, गीत-संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।
आयोजन का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखना और नई पीढ़ी को इससे परिचित कराना है। आधुनिकता के चलते लुप्त हो रही सांस्कृतिक विरासत को संजोने के लिए यह आयोजन किया गया। इस दौरान लोक नृत्य, पारंपरिक गीत और वेशभूषा के प्रदर्शन किया गया।
बता दें कि आदिवासी समाज एक माह तक अलग अलग गांव और क्षेत्रों में दिवाली का आयोजन करता है, जबकि गौठान मेले लगाए जाते है।
देखें आयोजन की तस्वीरें..
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