समिति दीये जलाकर सरहद पर तैनात सैनिकों की हौसला अफजाई करती है।
दीपावली पर्व पर आमतौर पर घरों, दुकानों के सामने दिये जलाए जाते हैं। लेकिन बैतूल में शहीदों की याद और बॉर्डर पर तैनात जवानों के उत्साह वर्धन के लिए 13 सालों से विशेष दीप जलाए जा रहे हैं।
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छोटी दीपावली के अवसर पर बुधवार देर शाम बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति ने पूर्व सैनिकों, समाजसेवियों, खिलाड़ियों और शहीदों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए दीये जलाए। इस समारोह में नगरपालिका के मुख्य अधिकारी भी मौजूद थे। समिति हर साल शहीद भवन और विजय स्तंभ पर दीये जलाकर सरहद पर तैनात सैनिकों के प्रति सम्मान और हौसला अफजाई करती है।
ऐसे हुई समिति की शुरुआत समिति 25 वर्षों से बॉर्डर पर सैनिकों को राखी बांधने समेत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। इसका गठन 1999 में कारगिल विजय के बाद हुआ, जब बैतूल के जवान भी शहीद हुए थे। इस युद्ध की जीत के बाद सैनिकों के सम्मान और हौसला अफजाई का अभियान शुरू हुआ।
समिति की संस्थापक और अध्यक्ष गौरी बालापुरे पदम ने धनतेरस और दीपावली पर शहीदों की याद में एक दीया जलाने की पहल की, जो अब परंपरा बन चुकी है। अब हर इस पहल के लिए स्थानीय नागरिकों की भागीदारी बढ़ती जा रही है।
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