नई दिल्ली31 मिनट पहले
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सीरिया के शहरों में विद्रोही गुट तहरीर अल शाम के कब्जे के चलते हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। विद्रोही समूहों ने हामा शहर पर कब्जा जमा लिया है। वे जल्द ही राजधानी दमिश्क में कब्जा कर सकते हैं। इसी बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने सीरिया की यात्रा और वहां रहने वाले भारतीय मूल के लोगों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा- रिया की मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक सीरिया की यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है। वे अपडेट के लिए दमिश्क में भारतीय दूतावास के आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर +963 993385973 (व्हाट्सएप पर भी) और ईमेल आईडी hoc.damascus@mea.gov.in पर संपर्क में रहें। लोगों से अपील की जाती है कि वो बहुत जरूरी होने पर ही बाहर निकलें।
सीरिया के एक और बड़े शहर हमा पर विद्रोही गुट हयात तहरीर अल शाम (HTS) का कब्जा हो गया है। HTS के लड़ाके अब सीरिया के अहम शहर होम्स की तरफ बढ़ रहे हैं। उन्होंने होम्स के कुछ इलाके पर कब्जा भी कर लिया है। होम्स पर कब्जा करने के बाद वे राजधानी दमिश्क की तरफ बढ़ेंगे।
न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक सीरियाई सेना ने विद्रोहियों को रोकने के लिए होम्स और हमा को जोड़ने वाली हाईवे पर हवाई हमले कर उसे नष्ट कर दिया है। होम्स शहर, हमा से सिर्फ 40 किमी की दूरी पर है। हमा पर कब्जे के बाद होम्स शहर में रहने वाले शिया समुदाय के लोग शहर से भागने लगे हैं।
HTS के विद्रोहियों को रोकने के लिए रूसी सेना ने कई मिसाइलें दागी हैं, लेकिन वे उनकी बढ़त को रोक नहीं पाए हैं। हमा पर कब्जे के बाद HTS के कमांडर अबू मोहम्मद अल जुलानी ने जीत का संदेश दिया है।
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HTS विद्रोहियों के हमा पर कब्जे के बाद की 5 फुटेज…
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हमा शहर को जीतने के बाद जीत की खुशी जाहिर करते HTS लड़ाके।
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HTS लड़ाकों ने हमा में सीरियाई सेना के तोप पर कब्जा कर लिया।
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5 दिसंबर, 2024 को हमा पर कब्जा करने के दौरान विद्रोहियों ने असद सरकार के हथियार और एयर डिफेंस सिस्टम पर कब्जा कर लिया।
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हमा शहर पर कब्जे के बाद विद्रोहियों ने राष्ट्रपति असद के पिता और पूर्व राष्ट्रपति हाफिज अल असद का पुतला गिरा दिया।
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राष्ट्रपति बशर असद के पिता हाफिज असद की एक टूटी हुई प्रतिमा।
HTS चीफ बोला- असद सरकार के गिनती के दिन बाकी जुलानी ने कहा कि उसका मकसद सीरिया से असद सरकार को उखाड़ फेंकना है। सीरिया में एक गुप्त जगह से उसने CNN को इंटरव्यू दिया। जुलानी ने कहा कि सीरिया में तानाशाही खत्म होगी और लोगों की सरकार चुनी जाएगी।
उसने कहा कि सीरिया में 40 साल से असद खानदान का राज है। लेकिन अब असद सरकार मर चुकी है। ईरानियों की मदद से यह कुछ समय तक जिंदा रहा। बाद में रूसियों ने भी उनकी मदद की, लेकिन हकीकत ये है कि उनके शासन के अब गिनती के दिन बाकी रह गए हैं।
सीरिया में बीते 27 नवंबर से सेना और HTS के बीच संघर्ष जारी है। विद्रोहियों ने 1 दिसंबर को इससे पहले सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया था। सीरिया में इस जंग में अब तक 826 लोग मारे गए हैं। सीरिया में 2011 में गृहयुद्ध शुरू होने के बाद ये सबसे भीषण लड़ाई है।
हमा के लिए 3 दिन से लड़ रहे थे विद्रोही लड़ाके
हमा पर कब्जे के लिए विद्रोही लड़ाके पिछले 3 दिनों से सेना के साथ लड़ रहे थे। सेना ने आरोप लगाया कि विद्रोहियों ने डिफेंस लाइन को तोड़ने के लिए आत्मघाती हमले किए थे। इस दौरान विद्रोहियों से लड़ते हुए कई सैनिक मारे गए हैं।
हमा सीरिया का चौथा सबसे बड़ा शहर है। 2011 में सीरिया में शुरू हुए सिविल वॉर के दौरान भी हमा पर विद्रोहियों का कब्जा नहीं हो पाया था। तब भी ये शहर सरकारी नियंत्रण में था। ऐसे में यहां इस बार विद्रोहियों का कब्जा उनके लिए बड़ी जीत है।
इससे पहले शनिवार को विद्रोहियों ने जिस अलेप्पो शहर पर कब्जा किया था। वह सीरिया का प्रमुख ट्रेड हब है।
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अलेप्पो में कब्जे के बाद जश्न मनाते विद्रोह गुट के लड़ाके।
सीरिया का सबसे बड़ा संगठन बना HTS
HTS पहले अल कायदा से जुड़ा रहा है। सुन्नी गुट HTS का नेतृत्व अबू मोहम्मद अल-जुलानी कर रहा है। जुलानी बीते कई साल से अल असद सरकार के लिए खतरा बना हुआ है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक अल-जुलानी का जन्म 1982 में रियाद, सऊदी अरब में हुआ। वहां उसके पिता पेट्रोलियम इंजीनियर थे। साल 1989 जुलानी का परिवार सीरिया लौट आया और दमिश्क के पास बस गया।
जुलानी ने 2003 में इराक पर अमेरिकी हमले के बाद मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़कर अल-कायदा ज्वाइन कर लिया था। वह अल कायदा में अबू मुसाब अल-जरकावी का करीबी रहा। 2006 में जरकावी की हत्या के बाद जुलानी ने लेबनान और इराक में समय बिताया।
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2003 में अलकायदा ज्वाइन करने से पहले जुलानी की बहुत कम जानकारी मिलती है।
2006 में ही जुलानी को इराक में अमेरिकी सेना ने गिरफ्तार कर लिया। 5 साल जेल में रहने के बाद उसे रिहा कर दिया गया। इसके बाद वह इस्लामिक स्टेट के साथ जुड़ गया। 2011 में असद के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के बीच जुलानी सीरिया आ गया। इसके बाद उसने जबात अल-नुसरा का गठन किया और असद सरकार के खिलाफ जंग छेड़ दी।
साल 2017 में अल-नुसरा कुछ दूसरे आतंकी गुटों के साथ मिलकर हयात तहरीर अल-शाम (HTS) बना। HTS अब सीरिया में सबसे शक्तिशाली विद्रोही गुट है। अलेप्पो और हमा पर कब्जे से पहले इस संगठन का इदलिब पर कब्जा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस संगठन के बाद 30 हजार लड़ाके हैं। अमेरिका ने 2018 में इस संगठन को आतंकी लिस्ट में डाला था।
क्या असद सरकार शासन खत्म हो जाएगा?
वाशिंगटन डीसी में मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के एक वरिष्ठ फेलो इब्राहिम अल-असिल ने कहा कि असद की सेना और विद्रोही गुट के बीच असल लड़ाई अभी शुरू नहीं हुई है। असद एक पुरानी रणनीति पर काम कर रहे हैं, जो उनके लिए पहले भी कारगर रही है। पहले पीछे हटना, एकजुट होना, किलेबंदी करना और फिर जवाबी हमला करना।
विद्रोहियों को अगर जीत हासिल करनी है तो उन्हें पता होना चाहिए कि कब रूक जाना है। असद इन विद्रोहियों को रोकने के लिए रासायनिक हथियारों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
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सीरिया में 2011 में शुरू हुआ गृह युद्ध
2011 में अरब क्रांति के साथ ही सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत हुई थी। सीरिया के लोगों ने 10 साल से सत्ता में काबिज बशर अल-असद सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। इसके बाद ‘फ्री सीरियन आर्मी’ के नाम से एक विद्रोही गुट तैयार हुआ।
विद्रोही गुट के बनने के साथ ही सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत हो गई थी। इसमें अमेरिका, रूस, ईरान और सऊदी अरब के शामिल होने के बाद ये संघर्ष और बढ़ता गया। इस बीच, सीरिया में आतंकवादी संगठन ISIS ने भी पैर पसार लिए थे।
2020 के सीजफायर समझौते के बाद यहां सिर्फ छिटपुट झड़प ही हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, एक दशक तक चले गृहयुद्ध में 3 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसके अलावा लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा था।
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सीरिया में विद्रोहियों ने 4 दिन में कब्जाया अलेप्पो शहर:सेना भागी, लोगों को घरों में रहने के आदेश ; रूसी हमले में 300 की मौत
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सीरिया में विद्रोही गुटों ने 4 दिन के भीतर अलेप्पो शहर के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, यह हमला बुधवार को शुरू हुआ था और शनिवार तक आस-पास के गांवों पर कब्जा करते हुए लड़ाकों ने अलेप्पो का बड़ा हिस्सा अपने कंट्रोल में ले लिया। पूरी खबर यहां पढ़ें…
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https://www.bhaskar.com/international/news/indian-foreign-ministry-said-avoid-going-to-syria-134079752.html