नई दिल्लीकुछ ही क्षण पहले
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भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने जानकारी दी है।
भारत ने चीन की ओर से लद्दाख के कुछ इलाकों को अपना बताने पर विरोध दर्ज कराया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन अपने होतान प्रांत में दो नए काउंटी (जिला) बनाने की कोशिश कर रहा है। इनका कुछ हिस्सा लद्दाख में पड़ता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को मीडिया ब्रीफिंग में कहा-
भारत ने लद्दाख में चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है। चीन के नए काउंटी का ऐलान करने से भारत की संप्रभुता पर कोई असर नहीं होगा। न ही इस क्षेत्र में चीन के अवैध और जबरन कब्जे को मान्यता मिलेगी। राजनयिक माध्यम से हमने इसकी शिकायत की है।
चीन ने बीते महीने होतान प्रांत में दो नई काउंटी हेआन और हेकांग बनाने का ऐलान किया। इन काउंटियों में मौजूद कुछ इलाके भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा हैं। भारत ने साफ-साफ कहा है कि ये इलाका भारत का अभिन्न हिस्सा है और चीन का दावा पूरी तरह से अवैध है।
वहीं, दूसरा मामला ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़ा है। चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर एक डैम बना रहा है, जिसे लेकर भारत ने आपत्ति जताई है।
चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर सबसे बड़ा डैम बनाने जा रहा है।
ब्रह्मपुत्र नदी पर डैम बनाने को लेकर भारत ने चिंता जताई
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को कहा कि हमने इस बारे में सुना है कि चीन, तिब्बत में यारलुप त्यांगपो (ब्रह्मपुत्र) नदी पर बिजली बनाने से जुड़े एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।
प्रवक्ता ने कहा कि भारत में इस नदी का पानी नीचे जाकर मिलता है। हम इसका इस्तेमाल करते हैं, इसलिए हमने लगातार राजनयिक चैनलों के माध्यम से चीनी पक्ष के सामने चिंता जताई है। हमने चीनी पक्ष से आग्रह किया है कि ब्रह्मपुत्र के डाउनस्ट्रीम राज्यों के हितों को इन गतिविधियों से नुकसान न पहुंचे।
यह तिब्बत में बहने वाली यारलुंग त्सांगपो नदी है जो भारत में आकर ब्रह्मपुत्र कहलाती है।
दुनिया का सबसे बड़ा डैम बना रहा चीन
रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन तिब्बत के इलाके में दुनिया के सबसे बड़ा डैम बना रहा है। ये डैम यारलुंग त्सांगपो नदी पर बनाया जाएगा। ये नदी भारत में आकर ब्रह्मपुत्र बन जाती है और बांग्लादेश में इसे जुमना नदी कहा जाता है। चीन ने हाल ही में इस डैम प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है।
चीन इस परियोजना पर 137 अरब डॉलर खर्च करेगा, जो कि भूकंप वाले हिमालयी क्षेत्र में स्थित है। चीन के इस नदी पर डैम बनाए जाने की खबरों को लेकर भारत और बांग्लादेश के जानकारों ने चिंताएं भी जताई थीं। हालांकि चीन ने इस डैम प्रोजेक्ट का बचाव किया है।
चीन ने कहा कि यह प्रोजेक्ट बिल्कुल सेफ है। इसे कई दशकों की रिचर्स के बाद बनाया जा रहा है। चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन ने हमेशा से क्रॉस-बॉर्डर नदियों के विकास की जिम्मेदारी निभाई है। उन्होंने बताया कि तिब्बत में हाइड्रोपावर डेवलपमेंट को दशकों की इन-डेप्थ स्टडी के बाद मंजूरी दी गई है। इसके बनने से निचले इलाके में रहने वाले लोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
प्रवक्ता माओ ने कहा था कि चीन सीमावर्ती देशों के साथ बातचीत जारी रखने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन निचली नदियों के किनारे मौजूद देशों के साथ भूकंप और आपदा प्रबंधन में मदद करेगा ताकि नदी के किनारे रहने वाले लोगों को फायदा हो सके।
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