रतलाम के जावरा में पंजाब पासिंग ट्रकों में पकड़ी गई अफगानिस्तान टैग लगी लहसुन को लेकर अधिकारी असमंजस की स्थिति में है। किसानों का दावा है कि पकड़ी गई चाइनीज लहसुन है। अधिकारी अभी तय नहीं कर पाए कि यह लहसुन चायना की है या अफगानिस्तान की।
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किसान और व्यापारियों का दावा है कि भारत में चाइनीज लहसुन प्रतिबंधित होने के बावजूद बड़ी मात्रा में अफगानिस्तान के रास्ते भारत में आ रही है। किसानों ने चाइनीज लहसुन को लेकर नाराजगी जताते हुए प्रदर्शन किया था। किसानों का आरोप है कि चाइनीज लहसुन आने से देशी लहसुन के रेट भी नहीं मिल पा रहे हैं।
इस पूरे मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने भी भारत में चाइनीज लहसुन की तस्करी की बात कही है तो कांग्रेस नेता सज्जनसिंह वर्मा ने केंद्र सरकार के सरंक्षण में भारत में बैन के बावजूद चाइनीज लहुसन आयात करने का आरोप लगाया है। यहां बता दें कि भारत सरकार ने 2014 में चाइनीज लहसुन को भारत में प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बाद भी भारत में चाइनीज लहसुन आ रहा है।
चाइनीज लहसुन के विरोध में जावरा में किसानों ने किसान पंचायत भी रखी।
दो ट्रकों से पकड़ा था लहसुन
बता दें कि मंगलवार रात को किसानों की सूचना पर जावरा-उज्जैन बायपास पर पुलिस ने पंजाब पासिंग दो ट्रकों को पकड़ा था। दोनों ट्रक लहसुन से भरे थे। लहसुन के कैरेट पर काबुल अफगानिस्तान का टैग लगा था। किसानों के विरोध के बाद रात में ही जावरा शहर थाना पुलिस ने दोनों ट्रकों को थाना परिसर में लाकर खड़ा करवा दिया। लेकिन तीन दिन बाद भी अधिकारी यह पता नहीं कर पाए कि यह चाइनीज लहसुन है या अफगानिस्तान की।
दरअसल दोनों ट्रक चालकों के पास लहसुन से जुड़ी बिल्टी व कस्टम अप्रूवल के दस्तावेज मिले, जिनमें स्पष्ट लिखा है कि लहसुन की पैदावार अफगानिस्तान में हुई है और यह काबुल से भारत के लिए लोड हुआ। पुलिस भी मंडी, जीएसटी की जांच के बाद ही कार्रवाई की बात कह रही थी। दोनों ट्रकों में से लहसुन के सैंपल लेकर छोड़ दिया है।
रतलाम में दो ट्रकों में लाया गया लहसुन पकड़ा गया था।
चाइनीज लहसुन अफगानिस्तान के नाम से आ रही
व्यापारियों और किसानों की माने तो जो लहसुन अफगानिस्तान के नाम से आ रही है। यह चाइनीज लहसुन है। चाइनीज लहसुन भारत में प्रतिबंधित है। इसके बावजूद अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल के रास्ते भारत में आ रही है। अफगानिस्तान के रास्ते जो लहसुन आ रही है उसके सारे दस्तावेज तैयार कर नंबर एक में भारत में लाया जा रहा है। जबकि पाकिस्तान, नेपाल के रास्ते नंबर दो में लहसुन आ रही है।
किसानों का कहना है कि बिना मंडियों से बिना अनुज्ञा के लहसुन, प्याज का एक भी कट्टा बाहर नहीं हो सकता। ऐसे में चाइनीज लहसुन अफगानिस्तान के रास्ते भारत में आना एक बड़ा नेटवर्क इसके पीछे होगा।
चाइनीज लहसुन की आशंका में पकड़े गए ट्रकों में रखी लहसुन पर अफगानिस्तान के टैग लगे थे।
भारत में प्रतिबंधित है चाइनीज लहसुन-बाफना
तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पंवार ने चाइनीज लहसुन पर भारत में प्रतिबंध लगाया था। प्रतिबंध का कारण यह था कि जांच में चाइनीज लहसुन गुणवत्ता पूर्ण नहीं थी। कैमिकल वाली पाई गई थी। मिलीभगत के कारण चायना से भारत में वर्तमान में 80 प्रतिशत लहसुन आ रहा है। जबकि भारत में मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा लहसुन उत्पादक राज्य है। -निलेश बाफना, अध्यक्ष संघर्षशील प्याज-लहसुन युवा व्यापारी संघ
देख कर बता सकते है किस मिट्टी की लहसुन है- धाकड़
हम देख कर बता देंगे कि किस मिट्टी में पैदावर हुई है। यह हिंदुस्तान की लहसुन नहीं है। चाइनीज लहसुन को अफगानिस्तान के रास्ते लाया गया है। अफगानिस्तान में लहसुन होता ही नहीं है। यह केवल गुमराह कर रहे है। हमारी सरकार स्वदेशी की बात करती है और चाइनीज से सामान लेने का विरोध करती है और हमें चाइनीज लहसुन खिलाई जा रही है। सरकार अफगानिस्तान के जरिए आ रही लहसुन को टैक्स फ्री करके हमारे किसानों की कमर तोड़ रही है।चाइनीज लहसुन के कारण हमें दाम भी नहीं मिल पा रहे है। – डीपी धाकड़, किसान नेता
लहसुन उत्पादक राज्य है मध्यप्रदेश
भारत में मध्यप्रदेश से सबसे ज्यादा लहसुन का उत्पादन होता है। वह भी खासकर मालवांचल क्षेत्रों में। जिनमें रतलाम, नीमच, मंदसौर, उज्जैन, इंदौर, शुजालपुर आदि शहर शामिल है। जहां के किसान सालभर में दो बार लहसुन का उत्पादन करते है।
जावरा शहर थाने के बाहर अफगानिस्तान से लहसुन लेकर आए ट्रक खड़े है।
अटारी बॉर्डर से बेंगलुरु जा रहे थे ट्रक
किसानों की सूचना पर पुलिस ने लहसुन से भरे जो दो ट्रक पकड़े हैं, वह पाकिस्तान के अटारी (बाघा) बॉर्डर से बेंगलुरु जा रहे थे। इस पूरे मामले में प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है। मामला हाई लेवल का है। स्थानीय कोई भी अधिकारी इसके बारे में बोलने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि जो ट्रक पकड़े गए उनमें बिल्टी व कस्टम अप्रूवल के दस्तावेज मिले। इनमें स्पष्ट लिखा है कि लहसुन की पैदावार अफगानिस्तान में हुई और काबुल से ये भारत के लिए लोड हुआ। अटारी बॉर्डर से बेंगलुरु भेजा जा रहा था। इसकी मात्रा करीब 24 टन है और ये माल 56545 यूएसडी यानी की लगभग 48 लाख रुपए का है।
अफगानिस्तान में पैदा हुए लहसुन को आयात करना प्रतिबंधित नहीं है इसलिए प्रशासन भी कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। लैब टेस्ट की बात हो रही है लेकिन लैब भी इसके रासायनिक, पौष्टिक व अन्य तत्वों के गुण यानी क्वालिटी की रिपोर्ट देगी। लहसुन किस देश में पैदा हुआ, यह तो कोई लैब नहीं बता सकती इसलिए चीन का लहसुन है, यह भी कोई सिद्ध नहीं कर पाएगा। इसी कारण प्रशासन को दोनों ट्रकों को रिलीज कर दिया है। दोनों ट्रकों की लहसुन के सैंपल जांच के लिए है।
पंजाब पासिंग ट्रक से सप्लाई
पुलिस ने ट्रक क्रमांक पीबी 02 डीटी 8928 और ट्रक क्रमांक पीबी 05 एएन 1521 को पकड़ा था। पहले तो थाने में खड़ा किया। लेकिन जब सारे दस्तावेज होने पर पुलिस ने थाने के बाहर खड़ा कर दिया था। मामला इंटरनेशनल होने के कारण कोई स्थानीय अधिकारी इस बारे में खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं है। दोनों ट्रकों ने मंगलवार को नयागांव टोल से क्रास होकर एमपी की सीमा में प्रवेश किया था। किसानों को इसकी जानकारी लगने पर पीछा कर जावरा पुलिस को सूचना दी थी। जब किसानों ने ट्रक का त्रिपाल खुलवाकर चैक किया। तब लहसुन कैरेट में पूरी तरह से पैक थी। सभी कैरेट पर मोहम्मद आसिफ अफगान फ्रूट एंड वेजिटेबल प्रोसेसिंग कंपनी मार्केट काबुल अफगानिस्तान का टैग लगा हुआ था। इसके साथ ही एक तरफ अफगान फ्रेश गारलिक भी लिखा था। यहां तक जिसने मंगाया उसका भी मामा एक्सपोर्ट इंडिया लिखा हुआ है।
इन राज्यों में जाती है लहसुन
मध्यप्रदेश के रतलाम के अलावा मालवांचल क्षेत्र से महाराष्ट्र, गुजरात, आसाम, उड़ीसा, बिहार, यूपी समेत पूरे भारत देश में लहसुन जाती है। साल भर में दो बार लहसुन की पैदावर किसानों द्वारा की जाती है। फरवरी व मार्च पैदावर करता है जो कि बारिश में जुलाई से अगस्त माह में मंडियों में लाई जाती है। इसके बाद मुख्य फसल सितंबर-अक्टूबर माह में आती है।
पूर्व सीएम ने X पर कहा-स्मलिंग हो रही
सज्जनसिंह वर्मा बोले- पीएम व सीएम को शर्म आना चाहिए
जावरा में पकड़ी गई लहसुन के बाद रतलाम जिले में आए कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा ने नामली के पास खेत में खड़े होकर अपना वीडियो जारी किया। उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार चाइनीज लहसुन मंगा रहे हैं। मेरे किसानों ने चाइनीज लहसुन के ट्रक पकड़वाकर दिए हैं। किसानों ने खेत, गहने गिरवी रख महंगा बीज लाकर खेत में बोया है। आप उनसे भीख मंगवाना चाहते है। जिस दिन प्रदेश का किसान खड़ा हो गया उस दिन ईंट से ईंट बजा दी जाएगी।
लहसुन पकड़ाने के बाद हुई किसान पंचायत
अफगानिस्तान टैग की लहसुन पकड़ने के बाद बुधवार को जावरा कृषि मंडी में रतलाम, नीमच व मंदसौर के किसान एकत्र हुए। किसान पंचायत रख चाइनीज लहसुन का विरोध किया था। किसानों ने कहा था प्रदेश के मंडियों में चाइनीज लहसुन बिकने नहीं देंगे। रतलाम जिले से लहसुन का हर साल 8 से 9 मैट्रिक टन का उत्पादन होता है। औसत 30841 हैक्टेयर में लहसुन की खेती की जाती है। उपसंचालक उद्यानिकी त्रिलोकचंद वास्कले के अनुसार रतलाम जिले में 35 से 40 हजार किसान है जो लहसुन का उत्पादन करते है।
रतलाम कृषि उपज मंडी में भी किसानों ने चाइनीज लहसुन का विरोध जताया।
चाइनीज लहसुन के कारण दाम गिरे
किसान राजेश पुरोहित ने बताया कि मंगलवार को रतलाम मंडी में 29 हजार रुपए क्विंटल लहसुन बिकी थी। दो दिन बाद गुरुवार को उसी क्वालिटी की लहसुन 19 हजार रुपए क्विंटल बिकी। दो दिन के अंदर ही 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव गिर गए। दाम इसलिए गिरे की भारत में चाइनीज लहसुन मंडियों में आ रही है। इस कारण किसानों को अपना दाम नहीं मिल पा रहा है।
भारत व अफगानिस्तान के बीच व्यापारी संधि
बताया जा रहा है कि भारत व अफगानिस्तान के बीच 0 प्रतिशत पर व्यापार संधि हुई है। इस कारण अफगानिस्तान से आने वाले माल पर कोई रोक-टोक नहीं होती है। इसका फायदा चायना उठा रहा है। अफगानिस्तान के जरिए चाइनीज लहसुन भारत में भेजी जा रही है। क्योंकि सारे दस्तावेज अफगानिस्तान के होते है। ऐसे में इन्हें कोई रोक नहीं सकता। कलेक्टर राजेश बाथम ने बताया दस्तावेजों का परीक्षण कराया जा रहा है, जो भी वैधानिक कार्रवाई होगी की जाएगी।
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