भोपाल की हुजूर तहसील में पदस्थ तहसीलदार आशुतोष त्रिपाठी पर घर में घुसकर परिवार को धमकाने और महिला को अपशब्द कहने के आरोप लगे हैं। दरअसल 25 दिसंबर को सतनामी नगर पिपलानी में रहने वाला परिवार बोट क्लब अपनी नई कार से घूमने निकला था। उनकी कार से अन्य कार
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4.22 लाख रुपए का कोटेशन दिया, इसके बाद कार की मरम्मत कराने के एवज में रकम की मांग की। नहीं देने की हालत में भोपाल में रहने न देने तक की धमकी दे डाली। तहसीलदार और उनके साले करीब 15 मिनट तक पीड़ित परिवार के घर रहे। उनके घर के कैमरों में घटनाक्रम रिकार्ड हुआ है।
जानिए कैसे शुरू हुआ विवाद
जितेंद्र सेंगर 25 वर्ष इंदौर में रहते हैं और फार्मा कंपनी में पर्चेजिंग का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि छुट्टी के मौके पर भोपाल स्थित सतनामी नगर पिपलानी में रहने वाले भैया के घर आया था। भैया ने नई कार खरीदी है, इसी से परिवार के लोग घूमने निकले थे। बोट क्लब पर रांग साइड पर कार खड़ी थी। अचानक कार और बाइक सामने आई, जिससे उन्हें रांग साइड खड़ी कार दिखाई नहीं दी।
इससे कार में टक्कर लग गई। इस समय मौके पर कार के साथ कोई नहीं था, लिहाजा हम परिवार के साथ घर लौट आए। इसी रात को करीब 1:30 बजे करीब दस से अधिक पुलिस वालों के साथ युवक आया। उसने स्वयं को तहसीलदार आशुतोष त्रिपाठी का साला बताया। धमकाया कि कार में काम नहीं कराया तो भोपाल में नहीं रह पाओगे। कार तहसीलदार की है, इसके बाद युवक और पुलिस वहां से चली गई। अगले दिन उन्हें युवक ने दर्जनों कॉल किए।
स्वयं आशुतोष त्रिपाठी ने भी उने से बात की। उन्होंने फोन पर बदसलूकी की। तब उन्हें घर आकर बात करने की बात हमने कही, हम जो कुछ भी छोटा मोटा नुकसान हुआ है वह भुगतने को तैयार थे। तहसीलदार और साला घर आए तो उन्होंने 4.22 लाख रुपए का कोटेशन दिया, बताया कि कार रिपेयरिंग में इतना खर्च आ रहा है।
तब हमने जवाब दिया कि कार का इंश्योरेंस है,उससे काम हो जाएगा। लेकिन वह रकम देने की बात पर अड़े रहे। इतना ही नहीं उन्होंने भाभी से अपशब्द कहे। उन्हें भी धमकाया। यह घटनाक्रम गुरुवार की रात 8 से 8:30 बजे के बीच का है। इसके बाद हम थाने पहुंचे।
पुलिस ने डेढ़ घंटे बैठाए रखा, शिकायत लेने से इनकार किया
जितेंद्र ने बताया कि जब थाने पहुंचे तो पिपलानी थाने में करीब डेढ़ घंटे तक आवेदन तक रिसीव नहीं किया गया। तहसीलदार का नाम सुनते ही कोई कार्रवाई के लिए तैयार नहीं था। जबकि हमने सीसीटीवी फुटेज भी दिखाए। तब एक परिचित को कॉल किया, अपनी समस्या बताई, उन्होंने एक वरिष्ठ अधिकारी को कॉल किया। इसके बाद पुलिस ने आवेदन को रिसीव किया। सील साइन कर रिसीविंग हमें सौंपी गई।
तहसीलदार बोले मेरा ही नुकसान कर अनर्गल आरोप लगाए जा रहे हैं
पूरे मामले को लेकर तहसीलदार आशुतोष त्रिपाठी का कहना है कि उनकी खड़ी गाड़ी में टक्कर मारकर नुकसान किया गया है। हालांकि कार में काम कराने का आश्वासन देने के बाद जितेंद्र परिवार सहित निकल गए थे। बाद में वह अपनी बात से मुकर गए। मैने किसी के साथ कोई बदसलूकी नहीं की, किसी प्रकार के अपशब्द नहीं कहे हैं। तमाम आरोप निराधार हैं।
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