मध्य प्रदेश में हर साल 3 से 4 हजार कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं और पदोन्नति पर रोक है। ऐसे में प्रदेश के सबसे बड़े प्रशासकीय भवन मंत्रालय में कर्मचारियों को टोटा पड़ने लगा है। यहां अतिरिक्त सचिव से सहायक ग्रेड-2 संवर्ग के 469 पद खाली हैं। इस कारण मंत्राल
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साल 2024 में मंत्रालय से 85 अधिकारी रिटायर हुए हैं और साल 2025 में लगभग 130 अधिकारी रिटायर होंगे। इस स्थिति ने जीएडी के अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है। यही कारण है कि प्रमोशन के पदों को भी सीधी भर्ती से भरने की कोशिश की जा रही है। उधर, कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं। मंत्रालय सेवा अधिकारी-कर्मचारी संघ के कार्यकारी अध्यक्ष राजकुमार पटेल कहते हैं कि मुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव जीएडी सहित अन्य अधिकारियों को लिखित में आपत्ति दर्ज करा दी है। पटेल का कहना है कि इन पदों पर कर्मचारियों को पदोन्नत किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में मामला होने के कारण ऐसा नहीं कर सकते हैं तो साल 2020 में लिए निर्णय अनुसार उच्च पदनाम दे दें। फिर जिम्मेदारी से काम करने लगेंगे।
4 साल पहले हुआ पदनाम देने का निर्णय
पदोन्नति पर रोक से कर्मचारियों की बढ़ती नाराजी के कारण सरकार ने 2020 में कैबिनेट कमेटी बनाई थी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन महाधिवक्ता, हाईकोर्ट जबलपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता, विधि विभाग के प्रमुख सचिव की मौजूदगी में बीच का रास्ता निकाला गया था। कमेटी ने तय किया था कि कर्मचारियों को वरिष्ठ वेतनमान तो दिया ही जा रहा है, उच्च पदनाम भी दे दें, तो काम में सुधार हो जाएगा। जीएडी ने यह निर्देश अन्य विभागों को जारी किए और विभागों में उच्च पद का प्रभार देकर कर्मचारियों को किसी हद तक संतुष्ठ भी कर दिया, पर जीएडी ने खुद ही अपने निर्देश का पालन नहीं किया।
अप्रैल 16 से पदोन्नति पर रोक
मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) अधिनियम 2002 का पदोन्नति में आरक्षण का नियम जबलपुर हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को खत्म कर दिया था और इस नियम से पदोन्नति पाने वाले कर्मचारियों को रिवर्ट करने को कहा था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मप्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, तो कोर्ट ने पहली ही सुनवाई में प्रकरण में यथास्थिति रखने के निर्देश दिए थे। तभी से प्रदेश में पदोन्नति पर रोक लगी है। इस अवधि में 1 लाख 50 हजार से अधिक कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं।
इन विभागों ने दिया उच्च पद का प्रभार
पुलिस-गृह, स्वास्थ्य, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, वन सहित कई विभागों ने कर्मचारियों के विरोध को शांत करने के लिए अपने कर्मचारियों को उच्च पद का प्रभार दे दिया है।
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