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मंत्री को चैलेंज कर ट्राइबल में फेरबदल हुए: बिना प्रतिनियुक्ति, अनुमोदन के हॉस्टल अधीक्षक बने टीचर, कलेक्टर बोले- जांच करेंगे – Khandwa News

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कार्यालय जनजातीय कार्य विभाग खंडवा।

‘प्रदेश के आदिवासी हॉस्टल के अधीक्षक अब वापस अपने मूल पद पर जाएंगे। उनकी नियुक्ति टीचर के पद पर हुई थी लेकिन वे प्रमोशन पाकर अधीक्षक बन गए। अब वे वापस पढ़ाएंगे और उनकी जगह नए अधीक्षकों की भर्ती होगी। प्रदेश में ऐसे 4570 आदिवासी हॉस्टल है, भर्ती प्रक्

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यह बात 23 फरवरी 2024 को जनजातीय कल्याण मंत्री विजय शाह ने उनके गृह जिले खंडवा में प्रेसवार्ता कर बताई थी। फिलहाल शाह के इस नवाचार पर विभाग ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया हैं। लेकिन उन्हीं के गृह जिले में टीचर्स को अधीक्षक बनाने का सिलसिला जारी है। बीते 6 महीने में ऐसी 50 से ज्यादा नियुक्तियां की गई। यहां तक कि बिना प्रतिनियुक्ति प्रक्रिया के शिक्षा विभाग के टीचर को हॉस्टल अधीक्षक बना दिया। उसी रजूर हॉस्टल में पिछले सप्ताह 10 बच्चियां बीमार पड़ गई।

खंडवा जनजातीय विभाग में सहायक आयुक्त के पद पर आशा चौहान पदस्थ है। उनसे पहले विवेक पांडे इस पद पर थे। पांडे का ट्रांसफर हो गया लेकिन चंद दिनों बाद वे परियोजना प्रशासक का पद लेकर वापस लौट आए। उनके पास पद परियोजना प्रशासक का है, लेकिन सहायक आयुक्त का दफ्तर ही उनका ठिकाना हैं। विभाग की मुखिया सहायक आयुक्त आशा चौहान को कार्यालय में एक कक्ष दे दिया गया। इधर, तमाम अवैध नियुक्तियां पांडे के द्वारा ही की गई है।

कई विषय विशेषज्ञ, सीनियर टीचर बने हॉस्टल अधीक्षक

1. सरस्वती पाटिल प्रधान पाठक कालाआम कलां (खालवा) को अधीक्षक कन्या आश्रम शाला राजगढ़ (पंधाना) पदस्थ किया गया।

2. एम. सालोमन प्रधान पाठक फेफरी सरकार (खालवा) को अधीक्षक कन्या छात्रावास बोरगांव बुजुर्ग (पंधाना) पदस्थ किया गया।

3. सुमन तिर्की प्रधान पाठक मातापुर (खालवा) को अधीक्षक प्री मैट्रिक सीनियर कन्या छात्रावास खंडवा पदस्थ किया गया।

4. संजय वानखेड़े प्रधान पाठक भगवा (खालवा) को अधीक्षक जूनियर अनुसूचित जाति छात्रावास नाहल्दा (खंडवा) पदस्थ किया गया।

5. अशोक कलम प्रधान पाठक सुंदरदेव (खालवा) को सीनियर नवीन आदिवासी बालक छात्रावास पुनासा पदस्थ किया गया।

6. मौसम भावसार वरिष्ठ अध्यापक जामन्या सरसरी (खालवा) को प्राचीन सीनियर बालक छात्रावास पुनासा पदस्थ किया गया।

कलेक्टर के बगैर अनुमोदन की गई अवैध नियुक्तियां…

केस- 1 : जिसे निलंबित किया, बाद में उसे ही अधीक्षक बना दिया

रोहित मालवीय प्राथमिक शिक्षक है, जो जनजातीय कार्य विभाग के प्राइमरी स्कूल पुरनीखेड़ा में पदस्थ थे। 19 अगस्त 2024 को उन्हें विमुक्त जाति बालक छात्रावास खंडवा में बतौर छात्रावास अधीक्षक पदस्थ कर दिया। इन्ही शिक्षक रोहित मालवीय को 19 फरवरी 2022 को सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास देवलीखुर्द का अधीक्षक रहते हुए बतौर सहायक आयुक्त विवेक पांडे ने ही उन्हें गंभीर अनियमितताएं होने के कारण निलंबित किया गया था।

केस- 2 : एजुकेशन की प्राइमरी टीचर को बना दिया अधीक्षक

सहायक आयुक्त रहते हुए विवेक पांडे ने कन्या शिक्षा परिसर रजूर में संगीता तिग्गा को अधीक्षक नियुक्त किया। वे स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत खंडवा ब्लॉक के सांवखेड़ा में प्राइमरी टीचर थी। जिन्हें बिना प्रतिनियुक्ति के जनजातीय विभाग में अधीक्षक बना दिया। हवाला दिया कि रजूर के ग्रामीणों ने उनकी नियुक्ति की मांग की। जबकि रजूर और सांवखेड़ा का कोई कनेक्शन ही नहीं हैं। इसी हॉस्टल में पिछले हफ्ते 10 बच्चियां बीमार पड़ गई थी।

केस- 3 : खालवा के टीचर को हरसूद ब्लॉक में पदस्थ किया

खालवा ब्लॉक में कदवालिया स्कूल के प्राइमरी टीचर दिनेश मासरे को बिना जिला स्तरीय स्थानांतरण बोर्ड की सहमति के स्वयं के आदेश 10 जुलाई 2023 से बालक आश्रम शाला मांडला विकासखंड हरसूद में पदस्थ कर दिया।

आदेश में हवाला दिया कि मांडला आश्रम में 50 बच्चों के लिए एक शिक्षक की नियुक्ति हैं। शैक्षणिक स्तर सुधारने के लिए नियुक्ति की है। जबकि 80 किमी दूर दूसरे ब्लॉक के टीचर की नियुक्ति की बजाय अतिथि शिक्षक रखें जा सकते थे। वास्तविकता यह है कि मासरे खंडवा के आनंद नगर के है। उनके लिए कदवालिया 110 तो मांडला सिर्फ 25 किलोमीटर पड़ता हैं।

परियोजना प्रशासक विवेक पांडे और सहायक आयुक्त आशा चौहान। आशा चौहान फिलहाल मेडिकल अवकाश पर है। सहायक आयुक्त का चार्ज भी विवेक पांडे के पास हैं।

पांडे बोले- सारे काम नियमानुसार, टीचर्स को प्रभार दिए हैं

परियोजना प्रशासक और प्रभारी सहायक आयुक्त विवेक पांडेय का कहना हैं कि हॉस्टल अधीक्षक के लिए शासन स्तर से भर्ती प्रक्रिया हो रही है। तब तक खाली पदों पर टीचर्स को ही अधीक्षक का प्रभार देना हैं। विभाग के हॉस्टल भले ही पूरे जिले में है लेकिन स्कूल सिर्फ खालवा ब्लॉक में हैं। ऐसे में खालवा के टीचर ही जिले में स्थित विभागीय हॉस्टल के अधीक्षक बन पाएंगे। फिलहाल उन्हें प्रभार दिए गए है। सभी आदेश और नियुक्तियां नियमानुसार हुई हैं। ये विभागीय मंत्री का गृह जिला हैं। हम लोग नियमों के खिलाफ कैसे चले जाएंगे।

इधर, विभाग के सूत्रों के मुताबिक, भले ही प्रभार दिए गए हो लेकिन प्रत्येक आदेश के संबंध में कलेक्टर का अनुमोदन जरूरी हैं। प्रतिदिन होने वाली गतिविधियों से भी कलेक्टर को अवगत कराया जाना जरूरी है। विभाग के ओआईसी सीईओ जिला पंचायत है। जिनके द्वारा कलेक्टर के समक्ष फाइल पुटअप की जाती हैं।

कलेक्टर ने कहा- मामला संज्ञान में नहीं, जांच करेंगे

कलेक्टर अनूपसिंह का कहना हैं कि इस तरह के मामले उनकी जानकारी में नहीं है। ना ही किसी ट्रांसफर और प्रभार को लेकर उनसे अनुमोदन लिया गया हैं। यदि ऐसा है तो हॉस्टल अधीक्षकों को लेकर जारी हुए आदेशों की जांच करेंगे। यदि नियम विरूद्ध जाकर नियुक्तियां की गई है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

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जनजातीय कार्य विभाग मंत्री विजय शाह।

जनजातीय कार्य विभाग मंत्री विजय शाह।

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