हादसे के करीब 44 घंटे बाद गुरुवार दोपहर सवा 12 बजे शव निकाले जा सके।
छिंदवाड़ा में कुआं धंसने से मलबे में दबे 3 मजदूरों की मौत हो गई। हादसे के करीब 44 घंटे बाद गुरुवार दोपहर सवा 12 बजे शव निकाले जा सके। रेस्क्यू टीम को पहली लाश सुबह सवा 8 बजे मिली। उसकी पहचान वासिद खान के रूप में की गई। इसके 5 घंटे बाद मां और बेटे के श
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दरअसल, जिले के खुनाझिर खुर्द गांव में मंगलवार दोपहर कुआं धंसने से एक महिला समेत 3 मजदूर 35 फीट गहराई में दब गए थे। मंगलवार शाम 4 बजे से बुधवार सुबह 6 बजे तक कुएं से उनके चिल्लाने की आवाजें आती रहीं। रेस्क्यू के दौरान और मलबा गिरा फिर आवाजें आनी बंद हो गईं। रेस्क्यू टीम जेसीबी से मलबा हटाने में तो जुटी रहीं, लेकिन मजदूरों के सशकुल बाहर आने की उम्मीदें कम हो गईं।
अधिकारी बोले- मिट्टी के कारण नहीं बच सकी जान रेस्क्यू करने वाले एनडीआरएफ कमांडर सिकंदर और एसडीआरएफ के एस आर आजमी ने दैनिक भास्कर को बताया कि तीन दिनों तक लगातार मजदूरों को बचाने की कोशिश की गई। लेकिन कुएं की मिट्टी कच्ची होने के कारण बार-बार धंस रही थी। यही उनकी मौत की वजह बन गई।
एनडीआरएफ के एस आर आजमी ने कहा कि होरिजेंटल पैटर्न में मिट्टी हटाने के बाद धूप की वजह से भुरभुरी मिट्टी दब रही थी। हम कुछ फीट मिट्टी हटाते थे इसके बाद फिर मिट्टी बढ़ जाती थी। उसके बाद रैम्प पैटर्न से भी लोगों की जान बचाई जा सकती थी लेकिन पानी बढ़ने की वजह से उनकी मौत हुई होगी।
मजदूरों तक पहुंचने के लिए टीम ने इस तरह से रैम्प तैयार किया।
मजदूर के पैर पूरी तरह जाम हो गए थे इधर, एनडीआरएफ कमांडर सिकंदर का कहना है कि कुआं काफी पुराना था। इसमें पत्थरों के बीच किसी भी तरह की जुड़ाई नहीं थी। मिट्टी भुरभुरी होने के कारण मिट्टी और पत्थर गिर रहे थे। होरिजेंटल रेस्क्यू में हम मलबे में फंसे मजदूर के आसपास से कुछ पत्थर हटाते थे तो बहुत सारे पत्थर और मिट्टी हमारे जवानों के ऊपर गिरती थी। मंगलवार रात को रेस्क्यू के दौरान हमारा एक जवान घायल भी हुआ था।
एक से डेढ़ फीट पत्थर और मिट्टी हटाने ने ढाई से तीन घंटे लग गए थे। इसके बाद बुधवार की सुबह रेस्क्यू के दौरान टीम पर काफी मलबा गिरा था इसलिए दूसरा पैटर्न पर काम किया। मलबे में फंसे युवा मजदूर के पैर पत्थरों और मिट्टी में पूरी तरह जाम हो गए थे। मलबे में फंसे तीनों मजदूर बुधवार सुबह तक टीम से बातचीत कर रहे थे। लेकिन उसके बाद खामोशी छा गई।
पोकलेन और 2 जेसीबी की मदद से कुएं में सामने गड्ढा खोदकर रैंप बनाया गया।
मां-बेटे के शव कुएं से एक साथ निकले 55 घंटे से ज्यादा चले रेस्क्यू के बाद आज (गुरुवार) सुबह 8 बजे मलबे में दबे वासिद पिता कल्लू खान का शव निकला। 5 घटें बाद 3 फीट नीचे से मलबा ट्रॉली में फंसे मां शहजादी और बेटे राशिद के शव को मैन्युअली एन डी आर एफ की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद निकाला। दोनों के हाथ मलबा ट्रॉली में फंसे थे। शवों को पीएम के बाद बड़ी ईदगाह में जनाजे की नमाज अदा की गई। इसके बाद छिंदवाड़ा के कब्रिस्तान में सपुर्द ए खाक किया गया।
टीम का एक मेंबर एनर्जी ड्रिंक लेकर नीचे उतरा और मजदूरों को पिलाया।
खेती पर निर्भर है वस्त्राणे परिवार खेत मालिक गजानन वस्त्राणे ने बताया कि हमारे परिवार में मां सहित कुल 9 लोग हैं। मैं और मेरा भाई येशराव वस्त्राणे के पास 6 एकड़ खेत है। दूसरे के यहां से पानी लेकर खेती करते थे। गांव में किसी चंद्रवंशी परिवार के यहां कुआं खोदने वाली टीम से संपर्क हुआ था।
राशिद खान को 7 हजार फीट रुपए प्रति फीट खुदाई के हिसाब से ठेके पर काम दिया था। मंगलवार को कुएं का मलबा निकाला गया। दो बार मलबा बाहर फेंकने के बाद दोपहर करीब 3.30 बजे मजदूर मलबे में दब गए थे। मेरे भाई येशराव वस्त्राणे घटना स्थल से कुछ दूरी पर मवेशी चरवा रहे थे।
एक के बाद एक, तीनों शवों को बाहर निकाल पीएम करवाया गया।
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