मध्य प्रदेश में पिछले एक साल में लगभग 70 बच्चों को उनके माता-पिता ने पालन-पोषण के लिए सरकार को सौंप दिया है। इन बच्चों को मातृछाया (शिशु गृह) में रखा गया है, जहां वे अब अन्य लोगों के द्वारा देखरेख किए जा रहे हैं।
By Neeraj Pandey
Publish Date: Fri, 13 Dec 2024 08:41:17 PM (IST)
Updated Date: Fri, 13 Dec 2024 11:06:52 PM (IST)
HighLights
- शिशु गृह में 145 बच्चे, 700 से अधिक को गोद की प्रतीक्षा
- एक साल में 70 नौनिहालों को दूसरे की गोद के लिए छोड़ा
- पांच वर्ष में प्रदेश के 60 बच्चों को विदेशियों ने लिया गोद
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल: मजबूरी के सामने ममता भी घुटने टेक देती है। ऐसी ही मजबूरी है जन्म देने के बाद अपने जिगर के टुकड़े को नहीं पाल पाने की। प्रदेश में लगभग एक वर्ष में 70 बच्चों को उनके माता-पिता ने पालने के लिए सरकार को सौंप दिया, यानी नौनिहालों को मां की कोख तो मिली पर उनकी मजबूरी ने बच्चों से गोद छीन ली। यह अलग-अलग जिलों में मातृछाया (शिशु गृह) में रह रहे हैं।
60 बच्चों को विदेशी मां की गोद
इसके उलट, विदेशी प्रदेश के उन बच्चों को गोद ले रहे हैं, जिन्हें हमारे देश के लोग नहीं अपनाते। इनमें कुछ बच्चे जन्मजात विकृति वाले भी होते हैं। पिछले चार वर्ष के आंकड़े देखें तो 60 बच्चों को विदेशी मां की गोद मिली। इस वर्ष 11 बच्चों को स्पेन, ब्रिटेन, अमेरिका आदि देशों के लोगों ने गोद लिया है। विभिन्न जिलों की बाल कल्याण समितियों के आंकड़े से यह बात सामने आई है।
कुछ दिन के लिए छोड़ा, फिर आए नहीं
इन 70 बच्चों के अतिरिक्त 65 ऐसे हैं जो जिन्होंने कुछ दिन के लिए बच्चों को छोड़ा था, ताकि स्थिति या अन्य तत्कालीन समस्या हल होने के बाद उसे ले जा सकेंगे, पर उसके बाद आए ही नहीं। यानी इन बच्चों की स्थिति भी समर्पित किए गए बच्चों की तरह हो गई है।
145 बच्चे सरकार के पालने में
अनाथ होने के कारण 145 बच्चे सरकार के पालने या शिशु गृह में हैं तो इतने ही ऐसे भी हैं जिनके माता-पिता ने जन्म देने के बाद यहां-वहां फेंक दिया था। साथ ही 68 ऐसे बच्चे हैं जिनके माता-पिता उन्हें पाल पाने के लिए फिट ही नहीं हैं। यानी उनकी शारीरिक या मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। अन्य मिलाकर 700 से अधिक बच्चे गोद की प्रतीक्षा में हैं।
यह तो सामाजिक दृष्टिकोण से बहुत गलत है। जिस बच्चे को माता-पिता दुनिया में ला रहे हैं, उसे छोड़ने का अधिकार नहीं है। वह मान रहे हैं कि आर्थिक मजबूरी है तो जन्म देने के पहले सोचना चाहिए। हर बच्चे को सम्मानजनक जिंदगी जीने का अधिकार है।
कोई छोड़ भी जाता है तो सरकार की तरफ से व्यवस्था तो है पर ऐसे माता-पिता की काउंसलिंग भी आवश्यक है। उसके बाद देखना चाहिए उसके परिवार को क्या सहायता की जा सकती है। बहुत से गैर सरकारी संगठन भी आर्थिक मदद के लिए आगे आते हैँ।
डा. शैलजा दुबे समाजशास्त्री
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