ग्वालियर खंडपीठ में बुधवार को सुनवाई हुई। इसमें युवक को सजा पूरी होने के बाद भी जेल में ही डिटेंशन सेंटर बनाकर रखे जाने पर विचार हुआ। कोर्ट ने कहा कि देश में कहां-कहां डिटेंशन सेंटर हैं और युवक को उनमें से किस डिटेंशन सेंटर में रखा जा सकता है, इसका पता कर युवक को स्थानांतरित किया जाए।
By Vikram Singh Tomar
Publish Date: Thu, 24 Oct 2024 02:08:27 PM (IST)
Updated Date: Thu, 24 Oct 2024 02:08:27 PM (IST)
HighLights
- सजा पूरी होने के बाद डेढ़ साल से जेल में डिटेंशन सेंटर के नाम पर रखा गया है विदेशी युवक
- शासन ने कोर्ट में बताया कि शासन का जवाब था कि मध्यप्रदेश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है
- अलमक्की 21 सितंबर 2014 को स्टेशन बजरिया में सिम खरीदते पकड़ा गया था
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। विदेशी युवक अहमद अलमक्की की याचिका पर हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में बुधवार को सुनवाई हुई। इसमें युवक को सजा पूरी होने के बाद भी जेल में ही डिटेंशन सेंटर बनाकर रखे जाने पर विचार हुआ। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की युगलपीठ ने शासन को निर्देशित किया कि युवक को उचित डिटेंशन सेंटर में रखा जाना चाहिए जिस पर शासन का जवाब था कि मध्यप्रदेश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है।
युगल पीठ ने शासन को चार सप्ताह का समय देकर कहा है कि देश में कहां-कहां डिटेंशन सेंटर हैं और युवक को उनमें से किस डिटेंशन सेंटर में रखा जा सकता है, इसका पता कर युवक को स्थानांतरित किया जाए। वहीं बीती सुनवाई पर कोर्ट में बांग्लादेश के दूतावास की ओर से नोटिस का जवाब नहीं आया और सऊदी अरब के दूतावास से नोटिस अप्राप्त होकर वापस आ गया था।
बुधवार की सुनवाई तक दोनों दूतावासों की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। बता दें कि बीते डेढ़ साल से सजा पूरी होने के बाद भी युवक को डिटेंशन सेंटर के नाम पर जेल में ही रखा गया है। इस बात पर आपत्ति जताते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने हाई कोर्ट से कहा है कि जेल किसी भी स्थिति में डिटेंशन सेंटर नहीं हो सकता है। सजा भुगतने के बाद उसे उचित स्थान पर रखकर वापस उसके देश में भेजने की व्यवस्था करवाई जानी चाहिए।
यह है मामला
- दरअसल, विदेशी युवक अहमद अलमक्की 21 सितंबर 2014 को स्टेशन बजरिया में सिम खरीदते पकड़ा गया था। उसके पास से पड़ाव पुलिस को बांग्लादेश का पासपोर्ट और सऊदी अरब का ड्राइविंग लाइसेंस मिला था। पुलिस ने उस पर मामला दर्ज कर उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 37 महीने के कारावास की सजा हुई। सजा पूरी कर 23 अक्टूबर 2017 को वह रिहा हो गया।
- इसके बाद युवक को उसके देश में डिपोट किया जाना था लेकिन सात साल में अभी तक तय नहीं हो सका है कि उसे सऊदी अरब भेजना है या बांग्लादेश। इसलिए अभी भी तक युवक को ग्वालियर के सेंट्रल जेल में डिटेंशन सेंटर के नाम पर ही रखा गया है।
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