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मप्र के अभयारण्य में बंधक दो हाथियों को मुक्त कर छत्तीसगढ़ के जंगल में छोड़ेगा वन विभाग

मध्य प्रदेश में फरवरी और मार्च 2024 में छत्तीसगढ़ से आए दो नर हाथियों को शहडोल और अनूपपुर से पकड़ कर कान्हा टाइगर रिजर्व और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बंधक बनाकर रखा हुआ है। एल्सा फाउंडेशन नामक संस्था की मांग पर वन विभाग इन्हें जंगल में छोड़ने को तैयार हो गया है। दोनों हाथियों को अलग-अलग वन क्षेत्र (उसके गृह क्षेत्र से दूर) में छोड़ने की योजना बनाई गई है।

By sourabh soni

Publish Date: Fri, 25 Oct 2024 03:54:27 PM (IST)

Updated Date: Fri, 25 Oct 2024 03:54:27 PM (IST)

बाड़े में जंगली हाथी।

HighLights

  1. बंधक हाथियों की उम्र 10 और 25 वर्ष है।
  2. एक को फरवरी, दूसरे को मार्च में पकड़ा था।
  3. एल्सा फाउंडेशन ने लिखा एसीएस को पत्र।

राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में बंधक बनाकर टाइगर रिजर्व में रखे गए दो नर हाथियों को मुक्त कर उनके गृह राज्य छत्तीसगढ़ के जंगल में छोड़ा जाएगा। एल्सा फाउंडेशन ने वन विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक बर्णवाल को पत्र लिखकर दोनों हाथियों को मुक्त कर होम रेंज (छत्तीसगढ़ के जंगलों) में छोड़ने की करने की मांग की थी। इस पर वन विभाग सहमत हो गया है।

सात-आठ माह पहले पकड़ा था

दरअसल, मध्य प्रदेश में फरवरी और मार्च 2024 में छत्तीसगढ़ से आए दो नर हाथियों को शहडोल और अनूपपुर से पकड़ कर कान्हा टाइगर रिजर्व और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बंधक बनाकर रखा हुआ है। संस्था की मांग पर हाथियों को बंधक बनाने के बाद वन में वापस छोड़ने को लेकर वन विभाग तैयार हो गया है।

दो मार्च 2024 को उत्तर शहडोल वन मंडल से एक नर हाथी (उम्र 10 वर्ष) को पकड़ के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के रामा हाथी कैंप में रखा गया है। दूसरे हाथी (उम्र 25 वर्ष) को 25 फरवरी 2024 को अनूपपुर वन मंडल से पकड़ कर किसली हाथी कैंप कान्हा टाइगर रिजर्व में रखा गया है।

इनको वापस छोड़े जाने को लेकर जबलपुर हाई कोर्ट में लंबित एक जनहित याचिका में मध्य प्रदेश वन विभाग ने बताया है कि वह बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में रखे रखे हाथी को छोड़ देगा और दूसरे हाथी को जंजीरों से बांधने के कारण चोटें आ गई है, उसे ठीक होते ही छोड़ दिया जाएगा।

दोनों हाथियों को एक साथ छोड़ने की मांग

दोनों हाथियों को अलग-अलग वन क्षेत्र (उसके गृह क्षेत्र से दूर) में छोड़ने की योजना बनाई गई है। वन विभाग की समिति ने लिखा है कि यदि पहले हाथी की रिहाई विफल हो जाती है, तो उस हाथी को फिर से पकड़कर कैद में रखा जाएगा। इस पर एल्सा फाउंडेशन के संस्थापक प्रकाश ने पत्र में लिखा है कि एक अपरिचित वन क्षेत्र में एक हाथी को छोड़ने के दुखद परिणाम होते हैं। ऐसे छोड़ना हाथी के लिए अत्यधिक क्रूर और दर्दनाक होता है। अफ्रीका में विस्थापन या पुनर्वास हाथियों के बड़े समूहों में किया जाता है।

वन विभाग की सोच से असहमत है फाउंडेशन

वन विभाग ने इन हाथियों को छोड़ने के लिए एक समिति बनाई है। समिति की रिपोर्ट में दी गई राय के अनुसार ये हाथी इंसानों के आदी हो चुके हैं और जंगल में जीवित नहीं रह सकते। लेकिन एल्सा फाउंडेशन इससे सहमत नहीं है। उसका कहना है कि ये जंगली हाथी हैं, जिन्हें कुछ माह पहले ही पकड़ा गया था।

वन विभाग पर लगाए आरोप

इस मामले में वन्य प्राणी विशेषज्ञ अजय दुबे का आरोप है कि छत्तीसगढ़ से जो भी हाथी मध्य प्रदेश आता है, वन विभाग उसे टाइगर रिजर्व में उपयोग करने के लिए बंधक बना लेता है। यह बहुत ही गंभीर विषय है कि जिन दो हाथियों को फरवरी-मार्च में बंधक बनाया गया प्रत्येक से तीन-तीन जनहानि होने का दावा किया गया, जबकि दस्तावेज बताते है कि शहडोल और अनूपपुर को मिला कर सिर्फ तीन जनहानि हुई थी।

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https://www.naidunia.com/madhya-pradesh/bhopal-the-forest-department-will-free-two-elephants-held-captive-in-a-sanctuary-in-mp-and-leave-them-in-the-forests-of-chhattisgarh-8356784