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मप्र में डीएपी की मारा-मारी: किसानों की कतार के बीच 25 जिलों से भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट – Bhopal News

ये वोटर्स होते तो कतार में नहीं होते… कृषि मंत्री के गृह जिले मुरैना में भी संकट

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तस्वीर प्रदेश के कृषि मंत्री एदल सिंह कंषाना के गृह जिले मुरैना की है। यहां महिलाएं वोट डालने के लिए नहीं, बल्कि डीएपी के लिए कतारों में घंटों खड़ी रहती हैं। फिर भी डीएपी नहीं मिल रहा।

भोपाल-रायसेन : रापड़िया सोसायटी (भोपाल) के पास किसान दीपू पाटीदार व कपिल पाटीदार ने कहा- डीएपी की जरूरत थी तो आखिर में सीहोर से लाए। सलकनी सोसायटी (रायसेन) के दीपक गौर बोले- एक माह बाद 25 टन डीएपी मिला, जरूरत 500 टन की है। गौहरगंज सरकारी गोदाम के इंचार्ज प्रेमचंद लोवंशी ने कहा- 22 दिन पहले 100 टन डीएपी मिला था। औबेदुल्लागंज गोदाम के इंचार्ज राजेश सिंह राणा बोले- 2000 टन की जरूरत है। दो दिन पहले 150 टन आया।

सागर में 178 समितियों में डीएपी खाद नहीं

  • सागर : 178 सहकारी समितियों में डीएपी का स्टाक खत्म है। किसी भी समिति में डीएपी खाद नहीं है। रबी सीजन में 30 हजार टन डीएपी की डिमांड है। अब तक 5,374 टन डीएपी ही मिल सका। अक्टूबर में एक ही रैक आई है।
  • टीकमगढ़ : 23 00 टन डीएपी खाद रखी है।
  • हरदा : 15 हजार टन डीएपी की जरूरत है।
  • मुरैना : 17 अक्टूबर से डीएपी नहीं है। अफसरों का तर्क है कि डीएपी की रैक मुगलसराय पर रुकी है। सभी जगह डीएपी खत्म है। पिछले साल 19617 टन डीएपी बंटा गया था। इस साल शासन को 24,500 टन डीएपी की डिमांड भेजी गई थी। इसमें से अब तक 6496 टन डीएपी ही जिले में आ सका।
  • बैतूल : रबी सीजन की बोवनी शुरू हो गई है। डीएपी की जरूरत है, लेकिन जिले में वर्तमान में 644 टन डीएपी और एनपीके ही उपलब्ध है। जिले की कुल डिमांड 10,472 टन है। अब तक 4572 टन डीएपी ही बंटा है। फसल कटाई के साथ डीएपी की डिमांड बढ़ेगी। शुक्रवार को 2750 टन डीएपी की रैक बैतूल पहुंची है।
  • भिंड : कम सप्लाई से किसान परेशान हैं। घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है। जरूरत 15 हजार टन डीएपी की है। मिला काफी कम। गोहद और मेहगांव में ज्यादा डिमांड बनी हुई है।
  • राजगढ़ : जरूरत का 27% डीएपी मिला है।
  • अशोकनगर : फिलहाल डीएपी का स्टॉक नहीं है। करीब 10 दिन पहले 2600 टन डीएपी आया था, जो चार दिन में ही खत्म हो गया।
  • विदिशा : अक्टूबर-नवंबर के बोवनी सीजन में 25 हजार टन डीएपी की डिमांड है। इसकी तुलना में यहां सिर्फ 3757 टन डीएपी ही आया है। कोआपरेटिव सोसायटियों के पास भी डीएपी उपलब्ध नहीं है।
  • दमोह : जिले के जबेरा, तेंदूखेड़ा और हटा में डीएपी का संकट है। यहां पर खाद को लेकर हर दिन मारामारी मच रही है। जरूरत का 20 से 25 फीसदी ही डीएपी किसानों को मिला है।
  • छतरपुर : डीएपी के लिए किसान परेशान है। लवकुशनगर, बारीगढ़ गौरिहार, छतरपुर, नौगांव में ज्यादा दिक्कत है।
  • देवास : 21 मई को 1300 बोरी डीएपी आई थी, जो 21 जून को खत्म हो गई। उसके बाद से देवास में डीएपी खाद नहीं आया है।
  • धार : कृषि विभाग के अधिकारी विकल्प के रूप में एनपीके के उपयोग पर जोर दे रहे हैं। किसान इसे लेने के लिए राजी नहीं हैं।
  • रतलाम, मंदसौर, नीमच, बड़वानी-खरगौन में थोड़ी उपलब्धता है। खंडवा में 1469 टन डीएपी उपलब्ध है।

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