केंद्र सरकार ने वर्ष 2014 में जैन धर्मावलंबियों को अल्पसंख्यक घोषित कर दिया है इसलिए उनके मामले हिंदू विवाह अधिनियम के तहत निराकृत नहीं किए जा सकते।
By Navodit Saktawat
Publish Date: Mon, 24 Mar 2025 04:43:19 PM (IST)
Updated Date: Mon, 24 Mar 2025 04:48:34 PM (IST)
HighLights
- कुटुंब न्यायालय का फैसला निरस्त किया।
- जैन समाज के वैवाहिक विवादों का केस।
- हिंदू विवाह अधिनियम के तहत होंगे तय।
जैन समाज के वैवाहिक विवादों का निराकरण हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ही होगा। कुटुंब न्यायालय के न्यायाधीश को लगता था कि जैन समाज के वैवाहिक विवादों को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत निराकृत नहीं किया जा सकता है तो उन्हें इस संबंध में हाई कोर्ट से सलाह लेना थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इस टिप्पणी के साथ मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने कुटुंब न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया। कुटुंब न्यायालय ने जैन दंपती के आपसी सहमति से तलाक के मामले को यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2014 में जैन धर्मावलंबियों को अल्पसंख्यक घोषित कर दिया है इसलिए उनके मामले हिंदू विवाह अधिनियम के तहत निराकृत नहीं किए जा सकते।
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