मराठा सोशल ग्रुप ने 24वां युवक-युवती परिचय सम्मेलन आयोजित किया। जिसमें उच्च शिक्षित युवक-युवतियों ने भाग लिया और मंच से अपना परिचय देते हुए स्वयं के कार्य अनुभव एवं विवाह संबंध के लिए अपनी अपेक्षाओं की जानकारी भी दी। सम्मेलन के समापन पर महामंडलेश्वर
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कार्यक्रम में प्रत्याशियों ने मंच पर आकर अपना परिचय दिया और विवाह संबंधी अपेक्षाएं भी रखीं, जिससे उनके आत्मविश्वास का प्रदर्शन हुआ। महामंडलेश्वर दादू महाराज ने कहा कि किसी आयोजन को शुरू करना आसान है, लेकिन 24 वर्षों तक निरंतर चलाना आयोजकों के समाज के प्रति समर्पण को दर्शाता है। उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास की उक्ति ‘परहित सरिस धर्म नहीं भाई, परपीड़ा सम नहीं अधमाई’ का उल्लेख किया। यह सम्मेलन कई परिवारों को उपयुक्त जीवनसाथी चुनने में मददगार साबित हो रहा है और समाज सेवा का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।
महामंडलेश्वर दादू महाराज ने कहा कि विवाह संबंध तय करते समय अभिभावक घर में कार है या नहीं यह तलाशने के बजाय घर में संस्कार हैं कि नहीं, इस पर भी ध्यान दें। क्योंकि संस्कारवान पति-पत्नी मिलने पर कार-बंगला आदि सांसारिक वस्तुएं, सब योग से अपने आप जुड़ते चले जाते हैं। चौहान ने बताया कि समाज के इस परिचय सम्मेलन में उच्च अध्ययन प्राप्त, देश-विदेश में प्रतिष्ठित कंपनियों में उत्तम जॉब कर रहे उच्च शिक्षित एवं अच्छे पैकेज वाले युवक-युवतियों की भी प्रविष्ठियां प्राप्त हुई हैं।
गांधी हाल के मुख्य सभाकक्ष में कार्यक्रम का मुख्य आयोजन हो रहा था, वहीं परिसर प्रांगण में युवक-युवतियों के अभिभावक, पालक पुष्टिका में प्राप्त प्रत्याशी परिचय के आधार पर संबंधित परिवारों से संपर्क कर विवाह संबंधों की प्रारंभिक बातें शुरू करते हुए देखे गए। कार्यक्रम के समापन पर मराठी समाज की परंपरा अनुसार सुहागिन महिलाओं का हल्दी-कंकु से स्वागत किया गया।
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