मल्टीप्लेक्स में मूवी से पहले दिखाए जा रहे विज्ञापनों को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। स्वाति अग्रवाल की याचिका को निराकृत करते हुए डिवीजन बेंच ने कहा अभी ये मामला पूर्ण रूप से सुनवाई के योग्य नहीं है।
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पॉलिसी बनाने की स्थिति में इस मामले पर और विचार व चर्चा होनी है। ताकि उचित गाइडलाइन तैयार की जा सके। केंद्र को इस मामले में अहम भूमिका निभानी है। कोर्ट ने आदेश के अंत में कहा ये ना भूलें -कि समय एक कीमती संसाधन है।
याचिका में कोर्ट को बताया गया कि कई वर्षों से ट्रेंड बन गया है कि हॉल, सिनेप्लेक्स में मूवी देखने से पहले दर्शकों को कई-कई विज्ञापन दिखाए जाते हैं। मूवी का टिकिट लेते समय शो की टाइमिंग कुछ और लिखी होती है, जबकि स्क्रीनिंग टाइम कुछ और होती है।
याचिका के माध्यम से ऐसे मामले में केंद्र सरकार से गाइडलाइन तैयार करने की मांग की गई है। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद आशा जताई कि जिम्मेदार अधिकारी सभी पक्षों से अर्थपूर्ण चर्चा करेंगे, ताकि कोई ठोस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके। कोर्ट ने कहा कि भिन्न-भिन्न विचारों के बीच में सामंजस्य बिठाने का काम शासन-प्रशासन का है।
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