भोपाल में एक महिला बैंककर्मी को डिजिटल अरेस्ट कर साइबर ठगी का प्रयास किया गया। ठग ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर महिला से बैंक डिटेल मांगी। महिला की सास ने पुलिस को सूचना दी, जिस पर पुलिस ने महिला को ठगी से बचाया।
By Prashant Pandey
Publish Date: Mon, 06 Jan 2025 02:36:10 PM (IST)
Updated Date: Mon, 06 Jan 2025 02:41:18 PM (IST)
HighLights
- साइबर ठगों ने महिला बैंककर्मी को डिजिटल अरेस्ट में फंसाया।
- पुलिस ने महिला को ठगी से बचाया, शिकायत दर्ज की गई।
- साइबर ठगी के बढ़ते मामलों पर पुलिस ने जताई है चिंता।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल(Digital Arrest Scam)। भोपाल की एक महिला बैंककर्मी को डिजिटल अरेस्ट कर साइबर ठगी का प्रयास किया गया। ठग के फोन से घबराई महिला ने खुद को कमरे में बंद कर वीडियो कॉल पर बातचीत शुरू कि तो स्वजनों को शंका हुई। उनकी सूचना पर पहुंची पुलिस ने बैंककर्मी को डिजिटल अरेस्ट से मुक्त कर साइबर ठगी से बचाया। महिला ने कोलार थाने में ठगों की शिकायत की है।
जानकारी के अनुसार 30 वर्षीय प्रणाली थूल कोलार के दानिश कुंज में परिवार के साथ रहती हैं। वह बैंक ऑफ इंडिया में क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं। प्रणाली की सास संगीता ने बताया कि रविवार को वे दोनों घर में अकेली थीं।
दोपहर 12:40 बजे प्राणाली को फोन आया, फोन करने वाले ने खुद को एसबीआई बैंक का प्रतिनिधि बताया। उसने कहा कि आपके खाते से दो करोड़ 56 लाख रुपये का अवैध लेनदेन हुआ है। इसकी जांच मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस कर रही है।
आधार नंबर बताया, बैंक डिटेल भी देने वाली थीं
एक ठग का फोन कटा तो उनके मोबाइल पर तुरंत दूसरे ठग का वीडियो काल आया। तब तक प्रणाली ने दूसरे कमरे में जाकर दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था। दूसरे ठग ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया।
वह वर्दी में था वीडियो कॉल पर नजर आया जैसे कि सच में वह किसी पुलिस ऑफिस में ही बैठा था। इसके बाद उन्होंने पूछताछ शुरू की। करीब 40 मिनट की बात के बाद प्रणाली ने अपना आधार कार्ड ठगों को दिखा दिया था और उसके नंबर भी बता दिए थे, ठगों ने बैंक डिटेल भी मांगी थी।
संगीता ने बताया कि काफी देर तक दरवाजा खटखटाने के बावजूद प्रणाली ने नहीं सुना तो खिड़की से झांका, वह वीडियो कॉल पर बात करते हुए परेशान दिख रही थी। इसके बाद मैंने अपने पड़ोसियों और पुलिस को सूचना दी।
पुलिसकर्मी बोले- वह नकली पुलिस है, तब खोला दरवाजा
कोलार थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक कैलाश जाट आरक्षक बलराम कुर्मी और अजय झारिया ने महिला का रेस्क्यू किया। कैलाश बताते हैं कि प्रणाली हमें देखकर कन्फ्यूज हो गई थीं। उन्हें लग रहा था कि जिनसे वह फोन पर बात कर रही हैं, वही असली पुलिस है। खिड़की से झांककर हमने बताया कि वह नकली पुलिस है, इसके बाद उन्होंने फोन काटा और दरवाजा खोला।
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