मानस भवन में कथा के दौरान श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया।
जब बली का अहंकार टूटा तभी उसने हरि को नमस्कार किया। यानी बिना अभिमान को छोड़े शरणागति असंभव है। हरि चरणों की शरण केवल समर्पण से ही मिलती है। यह उद्गार पंडित श्याम मनावत ने व्यक्त किए। वे दैनिक भास्कर के चेयरमैन रहे स्वर्गीय रमेशचंद्र अग्रवाल की स्म
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श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की सुंदर झांकी मानस भवन में सजाई गई।
इस अवसर पर पंडित मनावत ने कहा कि उग्र तपस्या का मूर्ति मंत्र रूप है देवी देवकी। वे कठोर तप-त्याग से भगवान को जन्म देती हैं। छः पुत्रों की निर्मम हत्या और वर्षों की कारागार यातना को सहन कर वे श्रीकृष्ण को जन्म देती है। परन्तु यशोदा उसी कृष्ण को सहज ही प्राप्त कर लेती है। यशोदा जी को तो योगमाया के हस्तातंरण का भी पता नहीं चला है। क्योंकि यशोदा की भक्ति है। उसे सहज ही प्राप्त कर लेती है। भक्ति का ही भाग्य है कि प्रभु की बाल लीलाओं का रस ले सकती है। तपस्या रूपी देवकी भी इससे वंचित रह जाती है।
श्रोताओं एवं महिलाओं ने कन्हैया के जन्मोत्सव पर भाव विभोर होकर नृत्य किये।
इस मौके पर भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की सुंदर झांकी मानस भवन में सजाई गई। श्रोताओं एवं महिलाओं ने कन्हैया के जन्मोत्सव पर भाव विभोर होकर नृत्य किये तथा भगवान कृष्ण का पूजन पुष्प वर्षा करके किया। नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल के भजन से पंडाल गूंज गया। व्यासपीठ का पूजन यजमान कैलाश जोशी एवं डॉ. मालती जोशी ने किया। कथा में रघुनंदन शर्मा, शांतिदेवी शर्मा, संयोजक राजेन्द्र शर्मा, विजय अग्रवाल, कोषाध्यक्ष कैलाश जोशी, सचिव जयनारायण गुप्ता, अजय दुबे, बी.के.सांघी, रमा बंग, सुशीला शुक्ला मौजूद रहे।
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