इम्पीरियल कॉलेज, लंदन, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड, और यूनिवर्सिटी ऑफ सनशाइन कॉस्ट से शोधकर्ताओं की टीम बनाई गई। जिसने पता लगाया है कि जानवरों की मांसपेशियां कैसे चलती हैं, और ये इनकी मदद से तेज कैसे दौड़ पाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, स्टडी को Nature Communications नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। स्टडी कहती है कि सबसे तेज दौड़ने वाले जानवरों में न तो हाथी जैसे भारीभरकम जीव शामिल हैं, और न ही चीटी जैसे बहुत अधिक छोटे जीव। बल्कि यह क्षमता मध्यम साइज के जीवों को दी गई है जैसे कि चीता।
स्टडी बताती है कि जो जानवर बिजली की तेजी से दौड़ते हैं, उनको यह स्पीड दो कारकों के आधार पर हासिल होती है- वे कितना तेज दौड़ते हैं, और उनकी मांसपेशियां कहां तक सिकुड़ सकती हैं। अधिकतम स्पीड इस बात से तय होती है कि ये जानवर पहले किस सीमा तक पहुंच पाते हैं, जो कि इनके साइज से तय होता है।
पहली लिमिट को वैज्ञानिकों ने काइनेटिक एनिर्जी कैपिसिटी लिमिट कहा है। यह लिमिट इस बात का माप है कि मांसपेशियों का सिकु़ड़न उस जानवर की गति को कैसे सीमित करता है। दूसरी लिमिट को वर्क कैपिसिटी लिमिट कहा गया है। यह इस बात को बताती है कि बड़े जानवरों को उनकी मांसपेशियों के सिकुड़न से कितना कंट्रोल किया जाता है।
ये दोनों लिमिट ही तय करती हैं कि जानवर कितनी तेजी से दौड़ सकता है। और चीते जिस साइज के जानवर हैं यानी ऐसा मध्यम आकार जो 50 किलो के जीवों में पाया जाता है, ये दोनों ही लिमिट इस तरह के जानवरों में मौजूद होती हैं। इसलिए ये जानवर बहुत तेजी से दौड़ते हैं जिनकी गति 104 किलोमीटर प्रतिघंटा तक पहुंच सकती है। इसी मॉडल को शोधकर्ताओं ने बड़े साइज के जानवरों पर भी लागू करके देखा। और इसकी मदद से उन्हें इन जानवरों की स्पीड का भी सटीक अंदाजा लगा लिया कि ये अधिकतम रूप से कितनी स्पीड के साथ दौड़ सकते हैं।
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2024-03-16 17:05:25
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